Covid19 की मार से बच नही पाया Global Climate Action Day इस बार होगा Digital

Covid19 की मार से बच नही पाया Global Climate Action Day इस बार होगा Digital

डिजिटल ही सही, लेकिन इस साल भी होगा ग्लोबल क्लाइमेट एक्शन डे(Global Climate Action Day )

National News Day -साल 2020 खत्म होने से पहले ही ऐतिहासिक बन चुका है। और इस ऐतिहासिक साल में एक यादगार दिन होगा सितम्बर 25 जिसे याद किया जायेगा ग्लोबल क्लाइमेट एक्शन डे के नाम से। इस दिन, कोविड-19 के मद्देनज़र सभी सावधानियों बरतते हुए, दुनिया भर में फ्राइडे फॉर फ्यूचर के बैनर तले स्कूल हड़ताल आंदोलन होगा और दुनिया भर में बेहतर जलवायु की माँग रखते हुए प्रदर्शन होंगे।

लेकिन पिछले कुछ महीनों के दौरान, कोविड-19 (Covid19 Pandemic)महामारी ने कार्यकर्ताओं और आंदोलनकर्ताओं को विरोध प्रदर्शन के नए तरीके खोजने पर मजबूर कर दिया है। आखिर अब पैदल मार्च और भीड़ का हिस्सा बनना जनहित में सुरक्षित जो नहीं। और इसी क्रम में जलवायु परिवर्तन के ख़िलाफ़ इस आन्दोलन ने डिजिटल अवतार धारण कर लिया है। कल, मतलब 25 सितंबर को इस साल का पहला ग्लोबल क्लाइमेट एक्शन डे होगा।

अपना बयान जारी करते हुए फ्राइडे फॉर फ्यूचर (Friday For Future)ने कहा कि हालात ऐसे बन रहे हैं कि पेरिस एग्रीमेंट के समझौते के तहत ग्लोबल मीन तापमान को 1.5C से कम रखना आगामी माह और सालों मे कठिन होगा। स्थिति मानव नियंत्रण से बाहर न हो इसके लिए अभी से क़दम उठाने होंगे। कोविड-19 के आगे जलवायु संकट छोटा नहीं हुआ है बल्कि यह वक़्त तो इसे प्राथमिकता देने का है। जब तक प्रकृति का दोहन होता रहेगा तब तक फ़्राइडे फ़ॉर फ्यूचर अपने आन्दोलन जारी रखेगा। चाहें सशरीर हो प्रदर्शन, या डिजिटल-लेकिन विरोध प्रदर्शन होगा ज़रूर कोविड-19 की स्थानीय परिस्थितियों को देखते हुए।

इस आन्दोलन पर फ्राइडे फ़ॉर फ्यूचर ,केन्या, के एरिक डेमिन कहते हैं, “महामारी ने स्पष्ट कर दिया है कि राजनेताओं के पास विज्ञान की मदद से शीघ्र और स्थायी क़दम उठाने की शक्ति है। लेकिन महामारी के दौरान भी जलवायु संकट पर(Environment degradation) लगाम नहीं लग पा रही है। स्थायी और न्यायपूर्ण तरीके से दुनिया भर में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए कोई उपाय नहीं किया गया है। अब महामारी से निपटने के लिए किए जाने वाले अरबों-डॉलर के निवेश पेरिस समझौते के अनुरूप होने चाहिए।”

एरिक की बात आगे ले जाते हुए फ्राइडेज़ फ़ॉर फ्यूचर, भारत, से दिशा रवि कहती हैं, “समस्या की गंभीरता तब समझ आती है जब अपने पर गुज़रती है। लाखों लोग अपना घर और जीवन यापन की आवश्यक चीज़ें खो रहे हैं। इसे अनसुना नहीं किया जा सकता। हमें ऐसे वैश्विक राजनेताओं की जरुरत है जो लालच की जगह मानवता को प्राथमिकता दें। अच्छी बात यह है कि अब युवा वर्ग पहले से ज़्यादा योजनाबद्ध और संगठित तरीक़े से संगठित हो रहा है।”

हो सकता है वर्तमान परिस्थितियों के चलते उठाए जा रहे क़दम वैसे न हों जैसे हो सकते थे, लेकिन अच्छी बात यह है कि दुनिया भर के युवा अब आवाज़ उठा रहे हैं एक बेहतर कल के लिए जहाँ हमारी आने वाली नस्लें बेहतर जीवन जी सकें।

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