Criminal cases में मुकदमे में अगर पुलिस करे मनमानी तो क्या करें

Criminal cases में मुकदमे में अगर पुलिस करे मनमानी तो क्या करें

अगर हैं बेगुनाह तो पुलिस उत्पीड़न क्यों सहें

Crime News -अचानक एक फोन आता है और उधर से आवाज आती है कोई पुलिस वाला बोल रहा है और वह कहता है कि आप के खिलाफ शिकायत आई है या मुकदमा दर्ज हुआ है और आकर थाने पर मिलो इसके बाद व्यक्ति परेशान होता है और वह अपने जानने वालों और वकील को संपर्क करता है इसी के बाद प्रक्रिया शुरू हो जाती है और कई बार अगर सही व्यक्ति के पास जांच होती है तो पीड़ित व्यक्ति को काफी सहूलियत मिलती है।

और उसी जगह कई पुलिस वाले ऐसे भी हैं जो शिकायत को या मुकदमे को हथियार के रूप में इस्तेमाल करके संबंधित व्यक्ति को दबाव में लेना शुरू कर देते हैं अब सवाल यह उठता है कि ऐसे में जो भी व्यक्ति है जिसके खिलाफ शिकायत हुई है उसको क्या करना चाहिए सबसे पहला काम उसको यह करना चाहिए कि अपने किसी संपर्क के किसी व्यक्ति के जरिए या अपने एडवोकेट के जरिए सबसे पहले तो आपको यह पता करना है जो भी शिकायत हुई है उसमें आपके विरुद्ध के आरोप लगाए गए यह आप की नैतिक जिम्मेदारी और कानूनी जिम्मेदारी बनती है कि जो भी आरोप लगाए गए हैं उसका आपको जवाब देना है क्योंकि आपके विरुद्ध शिकायत है या मुकदमा दर्ज है तो कानूनी यह कहता है कि आप अपने जवाबों को दें और अपनी सफाई पेश करें।

अगर आप बेगुनाह हैं वह अपनी बेगुनाही को अपने जवाब में पेश कर सकते हैं अब सवाल यह उठता है यदि पुलिसवाला आप को धमकी देता है या उसकी कुछ अनुचित मांग होती है जिसको ना पूरा होने पर यदि वह आपको परेशान करता है और कहता है कि वह आपके विरुद्ध चार्जशीट फाइल कर देगा या शिकायत है तो मुकदमा कायम कर देगा तो आप अपने जवाब को लिखित रूप में थाने पर दे सकते हैं और थाने पर देने के साथ में ही आप उसको रजिस्टर्ड पत्र के माध्यम से थाने सहित उच्च अधिकारियों को भी भेज सकते हैं जिसकी प्रति आपके पास मौजूद रहेगी जो पुलिस के द्वारा आपका उत्पीड़न करने के मामले में आपके बचत के रूप में काम आएगा ।

अब यहां यह भी सवाल उठता है कि यदि आपकी पुलिस नहीं सुन रही है तो आप संबंधित कोर्ट में उसी प्रार्थना पत्र को यह सफाई जो आपने पेश की है जो अपना बयान लिखित बयान आपने प्रस्तुत किया है उसी लिखित बयान को आप संबंधित कोर्ट में धारा 156 (3) के तहत मजिस्ट्रेट को अवगत करा कर सारे तथ्यों से अवगत कराकर उनकी जानकारी में रखें और यदि आपको पुलिसवाला परेशान कर रहा है तो उसको नामित करते हुए साथ में इसने झूठी शिकायत आपके विरुद्ध की है उसको नॉमिनेट करते हुए आप संबंधित कोर्ट में धारा 156 (3) के तहत एप्लीकेशन दे सकते हैं जिसको मैं magistrate परीक्षण करने के बाद वह पुलिस को फॉरवर्ड कर सकता है जो भी जांच अधिकारी है उसके तक वह तथ्य पहुंच जाएंगे आप की यह सबसे बड़ी समस्या जो थी जो आप का डर था कि पुलिस के द्वारा आपके साथ न्याय नहीं किया जाएगा तो वह आप इस सारे तथ्यों को coury को अवगत करा सकते हैं।

और कोर्ट को यह बता सकते हैं कि संबंधित पुलिस वाला जांच अधिकारी है वह किसी तरीके से जो वादी है उसके साथ मिलकर आपको फर्जी तरीके से फंसाने के लिए प्रयास कर रहा है और उसमें पूरी तरीके से लिप्त हैं ऐसे में मजिस्ट्रेट पत्र का संज्ञान लेते हुए संबंधित स्ट्रीट को या नोटिस जारी कर सकता है और उसको कोर्ट में अपीयर होने को कह सकता है दूसरा Further इन्वेस्टिगेशन के तहत उन सारे तथ्यों को जांच में शामिल किए जाने के डायरेक्शन भी दे सकता है .

इस तरीके से आप अपनी बचत संबंधित कोर्ट से ही कर सकते हैं आगे आने वाले वीडियो में फिर आपको बताया जाएगा कि इसके अलावा और कौन से प्रावधान है जिससे आप की बचत हो सकती है बशर्ते आप के विरुद्ध जो भी चार्ज लगाए गए हैं वह गलत है और आप पूरी तरीके से सही हैं इसका प्रमाण आपको कोर्ट को देना होगा।

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