मुकदमे की विवेचना में पुलिस नही कर पायेगी मनमानी इस तरह से लाएं उसे कानून के दायरे में

मुकदमे की विवेचना में पुलिस नही कर पायेगी मनमानी इस तरह से लाएं उसे कानून के दायरे में

National News Desk -मुकदमे की विवेचना में पुलिस अगर मनमानी करने लगे और गुण दोष के आधार पर विवेचना ना करके केवल आपको फसाने के उद्देश्य से आरोपी को परेशान करने लगे और कई बार ऐसा होता है कि जैसे ही कोई मुकदमा दर्ज होता है ऐसे ही पुलिस विवेचना के लिए एक्टिव होती है और वही से खेल शुरू हो जाता है अवैध वसूली का ।

ऐसे में आरोपी जो है उसकी जो कानूनन जिम्मेदारी बनती है वह यह तो है कि वह जितने भी आरोप लगे हैं उसकी सफाई पेश करें लेकिन कई बार ऐसा होता है कि पुलिस जानबूझकर उसको परेशान करने लगती है और सिर्फ विवेचना में यह कहा जाता है पुलिस के द्वारा कि अगर उसने पैसे नहीं दिए तो उसके खिलाफ चार्जशीट लगा दी जाएगी यही नहीं पुलिस कई बार बिना किसी आधार के गिरफ्तारी करने के लिए भी प्रयास करती है और गिरफ्तार कर भी लेती है ऐसे में कई सारे ऐसे नियम कानून हैं कि अगर आपको नाजायज परेशान किया जा रहा है गलत तथ्यों के आधार पर आपके विरोधी ने पुलिस से मिलीभगत करके परेशान करने के उद्देश्य से मुकदमा कायम कराया है तो आपको क्या करना है यह हम बताते हैं। कई सारे ऐसे नियम कानून है जिसको अगर आपके द्वारा पालन किया जाए तो उससे आप की कई समस्याएं दूर हो सकती हैं और जो कानून बनाया गया है, कानून इसलिए बनाया गया है कि लोगों की मदद हो सके लेकिन अगर आपको लगता है कि पुलिस मदद नहीं कर रही है और नाजायज आपको परेशान कर रही है क्योंकि विरोधी से वह मिली हुई है ऐसे में आपकी बात नहीं सुनी जा रही है तो आप सबसे बड़ी चीज यह है कि आप कोर्ट का भी सहारा ले सकते हैं और विभागीय उच्चाधिकारियों का भी सहारा ले सकते हैं ।
सबसे पहले हम आपको बताते हैं कि जो भी विवेचना हो रही है उसमें आपकी बातों का सही तरीके से जाना बहुत आवश्यक है तभी आप को कानून से कोई मदद मिल पाएगी इसके लिए आपको करना है यह है कि सबसे बड़ी चीज की आप विवेचना अधिकारी को सारे तथ्यों से अवगत कराएं और अगर आपको लगता है कि वह आपकी मदद नहीं कर रहा है नाजायज रूप से आपके ऊपर दबाव डाल रहा है तो आप उच्च अधिकारियों को Sec 36 सीआरपीसी के तहत यह मांग कर सकते हैं कि जो भी विवेचना अधिकारी है वह सही तरीके से विवेचना नहीं कर रहा है और आप को नाजायज तरीके से परेशान कर रहा है तो उच्च अधिकारी के पास में ही है सारे अधिकार होते हैं कि वह विवेचना को प्रॉपर तरीके Proper Investigation से करा सकता है अब आते हैं हम दूसरे पहलू पर दूसरा पहलू यह है जो अधिकतर आपको नहीं बताया जाता है और इस तरीके से अगर जांच को विवेचना को अगर कराया जाए तो काफी जो बेगुनाह लोग हैं उनकी मदद होगी और कानून उनकी मदद करेगा.
लेकिन उसके लिए आपको करना ही होगा उसी कोर्ट में जहां से यह मामला चल रहा है जो अधिकार क्षेत्र है जिसको उनका वहां आप जा कर अपने आपराधिक मुकदमे में धारा 156 (3) सीआरपीसी के तहत एप्लीकेशन देकर यह कह सकते हैं कि विवेचना में पुलिस द्वारा नाजायज आपके ऊपर दबाव डाला जा रहा है और जो सही तथ्य उसको शामिल नहीं किया जा रहा है तो कोर्ट ऐसे मामलों की विवेचना अपनी निगरानी में करा सकता है आपके एप्लीकेशन पर जो विपक्षी है उसके विरूद्ध मुकदमा भी काम करा सकता है.
पुलिस के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है और दूसरा प्रॉपर इन्वेस्टिगेशन के लिए कोर्ट इन सारे मामलों को खुद मॉनिटर कर सकता है यहां कुछ महत्वपूर्ण सुप्रीम कोर्ट के निर्णय हैं वह आपको जान लेना बहुत जरूरी है मोहम्मद यूसुफ वर्सेस श्रीमती आफाक जहां एंड अदर्स 2006 सुप्रीम कोर्ट Mohd Yusuf Versus Smt Agar Jahan and others 2006 Supreme Court Of India
दूसरा है दिलावर सिंह वर्सेस स्टेट आफ दिल्ली 2007 Dilawar Singh Vs State Of Delhi 2007 और इन सारे में सबसे महत्वपूर्ण अगर निर्णय है तो वह है सकीरी वासु स्टेट ऑफ यूपी एंड अनदर 7 दिसंबर 2007 Sakiri Vasu State Of UP And Others यह सारे ऐसे सुप्रीम कोर्ट के द्वारा निर्णय पास किए गए हैं कि आप 156 (3) के तहत जाकर अपनी बातों को रख सकते हैं और वहां से आपको न्याय मिलेगा दूसरी चीज जो सबसे महत्वपूर्ण है जो आपको नहीं बताई जाती है उसमें यह है कि अगर आपके विरुद्ध कोई भी मुकदमा है तो सारा का सारा जोर यही होता है कि आप Arrest Stay लें और Bail कराएं अपना लेकिन सबसे बड़ी चीज यह है कि Arrest Stay तो ले लेना आपके लिए बहुत जरूरी है क्योंकि तभी आपकी मदद हो जाएगी तभी आप अपनी बातों को दमदार इसे रख पाएंगे .
लेकिन जिन लोगों ने आप के विरुद्ध फर्जी मुकदमा कराया है उनके विरुद्ध कार्रवाई के लिए आपको 156 (3) का सहारा लेना पड़ेगा तभी आपकी मदद हो पाएगी और विरोधी जो आपको परेशान कर रहा है उसका पनिशमेंट होगा और आपका हैरेसमेंट होने से रुक जाएगा।

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