हम एक-दूसरे के बारे में अच्छी तरह जान ले तो ज्यादा अच्छा रहेगा।'​​​​​​​

 

'मैं कुछ समझा नहीं, क्या कहना चाहती हो तुम?' 

'क्या किसी लड़की से तुम्हारा कभी अफेयर था?' अभी तुम्हारी लाइफ में कोई लड़की है?  

'ओफो दीपानी, मोहब्बत की बातें करने की बजाय ये कैसी बातें लेकर बैठ गईं तुम। शायद इस बात को लेकर तुम परेशान हो।'  'अरे बाबा! न ही मेरी जिंदगी में कोई लड़की आई और न ही मेरा किसी से अफेयर था और न है।'  

सुबह दीपानी ने पूछा 'अच्छा भैरवी ये बताओ तुम्हें कैसे पता कि सनातन किसी लड़की से प्रेम करते हैं?' 

'हमें सब पता है फोन पर लगे पड़े रहते हैं। हंस-हंसकर बातें करते हैं। बातें करने के तरीके से ही समझ जाते हैं हम तो कि किससे बातें कर रहे हैं।'  

'अनवी नाम है उस लड़की का। अब तो यकीन करेंगी हमारी बातों पर।'भैरवी ने आत्मविश्वास भरे स्वर में कहा।

शक की कोई दवा नहीं होती। अब दीपानी को पक्का यकीन हो गया था कि भैरवी सही और सनातन गलत है।

वह दिनभर बस इसी बारे में सोचा करती। उसका काम में मन नहीं लगता। एक काम भी सही नहीं करती।

आज तो सब्जी में नमक इतना ज्यादा हो गया कि सनातन पहला कौर खाते ही भड़क गया। एक काम ढंग से नहीं होता तुमसे, जरा सब्जी खाकर देखना... कहां रहता है तुम्हारा ध्यान आजकल।

'ध्यान तो तुम्हारा भटका हुआ है फिर भला मेरा मन कहां से लगेगा। न टाइम से घर आते हो न ठीक से बातें करते हो, हर वक्त काम का बहाना। संडे भी नहीं है तुम्हारे पास मुझे देने के लिए। न जाने किसके चक्कर में पड़कर अपना घर बर्बाद कर रहे हो। '  दीपानी सनातन पर बुरी तरह टूट पड़ी। आज उसने अपने मन का सारा गुबार निकाल लिया था।

'अच्छा तो यह सब चल रहा है तुम्हारे मन में इसलिए तुम इतनी उखड़ी-उखड़ी सी रहती हो हमेशा। वैसे यह सब बातें तुम्हें पता कहां से चली?'    

'दीपानी कुछ कहती इससे पहले अम्मा बोल पड़ीं।'  बेटा सनातन ऐसा वैसा लड़का नहीं है। किसी की बातों में आकर तूने बिना सोचे-समझे इतना बड़ा इल्जाम कैसे लगा दिया?

'अम्मा बगैर आग के धुआं नहीं निकलता।' दीपानी ने सफाई पेश की।

'जरुर इस भैरवी की बच्ची ने ही तेरे कान भरे हैं। वही आती है तेरे पास।' अम्मा बोली।

'ओह तो उस भैरवी को अपना जासूस बनाकर रखा है तुमने, जिसने दूसरों का घर फुड़वाने के अलावा आज तक कोई काम ही नहीं किया।' सनातन गुस्से से भड़कते हुए बोला।

इतने में भैरवी आ गई। 'अच्छा हुआ तू सही समय पर आ गई।' अम्मा उसे देखते ही बोल पड़ी।

'तूने सनातन के बारे मेें क्या-क्या उल्टा सीधा बोल दिया। उसकी तो नौकरी ही ऐसी है देर से आना उसकी मजबूरी है। इसका मतलब यह तो नहीं कि वह चरित्रहीन है।' 

'नहीं अम्मा, हमने ऐसा कब कहा। हम तो सुनी-सुनाई बात बता देते हैं। भाभी को। इसका मतलब यह तो नहीं कि वह शक करने लगे भैया पर।'  

'हमारे हिसाब से तो सनातन भैया से अच्छा कोई है ही नहीं।'भैरवी ने मौका देखकर फौरन अपना पैंतरा बदल दिया।

दीपानी उसके इस व्यवहार से हतप्रभ रह गई। अब वह अच्छी तरह समझ गई थी उसकी चाल।

भैरवी की बातों में आकर उसने सनातन  पर बेवजह शक किया। उसे अपने किए पर पछतावा हो रहा था। माफी मांगने के लिए उसकी निगाहें सनातन को टटोलने लगी पर वह तो गुस्से में घर छोड़कर जा चुका था।

अब दीपानी ने सोच लिया था कि कभी किसी पर बेबुनियाद शक नहीं करेगी। उसकी निगाहें अब बेसब्री से सनातन के लौटने का इंतजार कर रही थीं।