पेट पुराण की सई तम्हंकर ने खुलकर पेट पैरेटिंग पर रखे अपने विचार
आईएएनएस के साथ बातचीत में, साई ने कहा, मुझे लगता है कि यह वास्तव में काफी शहरी मामला है। हमारी पीढ़ी, कपल्स पेट पैरेटिंग के अधिक शौकीन हैं। कुत्ते को दोस्त के रूप में अपने साथ रखना, बिना शर्त प्यार करना और उन्हें गले लगाना। लेकिन हमारे माता-पिता के लिए, यह पेरेंटिंग नहीं है। हमारे शो की कहानी इसी विषय को लेकर है।
उन्होंने आगे कहा, मेरा ²ढ़ विश्वास है कि अगर हमारा बचपन घर में पालतू जानवरों के साथ गुजरे, तो हमारे दिल और दिमाग में प्यार और दया की भावना बनी रहती है। बड़े होते-होते हम नेगेटिव एनर्जी से घिर जाते हैं। लेकिन पालतू जानवर का साथ नेगेटिव एनर्जी से हमें दूर रखता है। यह हमारे भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए बेहतरीन इलाज का काम करता है।
पेट पुराण की कहानी एक कपल की कहानी है, जो शादी के बाद बच्चे पैदा नहीं करने का फैसला करते हैं। उनके इस फैसले पर परिवार वाले सवाल खड़े करने शुरू कर देते हैं। इन सब के बीच वह एक बिल्ली और एक कुत्ते को पालते हैं। ऐसे में वह कैसे समाज और परिवार वालों के तानों-बानों का सामना करते हैं, इस पर फिल्म की पूरी कहानी है।
ज्ञानेश जोटिंग द्वारा निर्देशित और रंजीत गुगले द्वारा निर्मित पेट पुराण सोनी लिव पर स्ट्रीम हो चुकी है। इस वेबसीरीज में ललित प्रभाकर लीड रोल में हैं।
--आईएएनएस
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