रूरल टूरिज्म के जरिये पर्यटन को बढ़ाएगी यूपी सरकार

लखनऊ, 28 अप्रैल (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश सरकार अब राज्य को इको-टूरिज्म के लिहाज से देश का सबसे पसंदीदा स्थल बनाने जा रही है। यह अब प्रकृति संग पर्यटन की पसंदीदा मंजिल बनेगा। जल्दी ही यहां पर इको-रूरल टूरिज्म बोर्ड के गठन का कार्य पूरा कर लिया जाएगा। रूरल टूरिज्म के जरिए योगी सरकार पर्यटन के दायरे को बढ़ाएगी। इसके तहत अब प्रदेश के 9 तरह की एग्रो कृषि जलवायु क्षेत्र (क्लाइमेटिक जोन) का विस्तार होगा। विलेज टूरिज्म को पर्यटन से जोड़कर दायरे का विस्तार होगा।
 
लखनऊ, 28 अप्रैल (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश सरकार अब राज्य को इको-टूरिज्म के लिहाज से देश का सबसे पसंदीदा स्थल बनाने जा रही है। यह अब प्रकृति संग पर्यटन की पसंदीदा मंजिल बनेगा। जल्दी ही यहां पर इको-रूरल टूरिज्म बोर्ड के गठन का कार्य पूरा कर लिया जाएगा। रूरल टूरिज्म के जरिए योगी सरकार पर्यटन के दायरे को बढ़ाएगी। इसके तहत अब प्रदेश के 9 तरह की एग्रो कृषि जलवायु क्षेत्र (क्लाइमेटिक जोन) का विस्तार होगा। विलेज टूरिज्म को पर्यटन से जोड़कर दायरे का विस्तार होगा।

पिछले दिनों मंत्रिमंडल के सामने उन्होंने नगर विकास सेक्टर से संबंधित विभागों के प्रस्तुतिकरण के दौरान अपनी इस बात को दोहराया था। सीएम ने कहा था कि इन संभावनाओं को आकार देने के लिए इको-टूरिज्म बोर्ड का गठन किया जाए। हेरिटेज वृक्षों के संरक्षण के साथ लखनऊ स्थित कुककरैल पिकनिक स्पॉट को और बेहतर बनाया जाए। यहां इको-टूरिज्म की बहुत संभावनाएं हैं।

उžतर प्रदेश की तराई का क्षेत्र जैविक विविधता के लिहाज से बेहद संपन्न है। यहां के घने जंगल, उनमें उपलब्ध भरपूर जलस्रोतों की वजह से बाघ, हाथी, हिरण, मगरमच्छ, डॉल्फिन और लुप्त-प्राय पक्षियों की कई प्रजातियों का स्वाभाविक ठिकाना है। दुधवा, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी और कतरनिया घाट के जंगल जैविक विविधता के भंडार हैं। हर वर्ष बड़ी संख्या में देश विदेश के पर्यटक इस जैविक विविधता को देखने के लिए आते हैं। पर्यटकों की पसंद के क्षेत्रों में बहराइच जिले में स्थित कतर्निया घाट आदि प्रमुख हैं।

मानव जीवन के शुरूआत का इतिहास संजोए सोनभद्र का फॉसिल (जीवाश्म) पार्क भी द्रष्टव्य है। यहां के 150 करोड़ वर्ष पुराने जिवाश्म (फासिल्स) दुनिया के लिए शोध का विषय हैं। लगभग 25 हेक्टेयर में फैला ये फासिल्स पार्क अमेरिका के यलो स्टोन पार्क से भी बड़ा है। इसी नाते यह दुनिया के सबसे बड़े फॉसिल्स पार्क में शुमार है।

इनके अलावा बखिरा सैंक्चुअरी, चंद्रप्रभा वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी, हस्तिनापुर वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी, कैमूर सैंक्चुअरी, किसनपुर वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी, महाबीर स्वामी सैंक्चुअरी, नेशनल चंबल वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी, पार्वती आगरा बर्ड सैंक्चुअरी, रानीपुर सैंक्चुअरी, सोहगीबरवा सैंक्चुअरी, विजय सागर सैंक्चुअरी, सुरहा ताल सैंक्चुअरी, सुहेलदेव सैंक्चुअरी आदि जगहों पर भी प्राकृतिक पर्यटन की भारी संभावनाएं हैं। टूरिजम पॉलिसी 2018 में इन सबका उल्लेख भी है। बता दें कि पर्यावरण के लिहाज से बहुत समृद्ध इन जगहों के विकास के लिए योगी आदित्यनाथ के पहले कार्यकाल में आई नयी पर्यटन नीति-2018 में 12 परिपथों का जिक्र था। उनमें से वाइल्ड लाइफ एंड इकोटूरिज्म परिपथ भी एक था।

इस परिपथ में बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए शुरू कार्यों का सिलसिला योगी. 2 में भी जारी रहेगा। यह प्रयास जैव विविधता दिवस 22 मई को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय गोष्ठी में दिखेगा। इतना ही नहीं, अगले छह महीने में राधा-कृष्ण, कृष्ण और ग्वाल-बालों की याद दिलाने वाले सौभरी वन का भी लोकार्पण होना है। ग्रामीण पर्यटन को विकसित करने के लिए पहले चरण में 75 गांव मॉडल के रूप में चुने जाएंगे। कन्वर्जेंस के जरिए इनको विकसित किया जाएगा।

प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम ने बताया कि पर्यटन समग्रता में प्रदेश में पर्यटन क्षेत्र के नियोजित विकास के लिए 2018 में जो टूरिज्म पालिसी बनी थी उसमें इकोटूरिज्म सर्किट में इन सभी स्थानों का जिक्र है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुसार इन सभी जगहों पर पर्यटकों की सुविधा के लिहाज से बुनियादी सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। साथ ही इनकी ब्रांडिंग भी, ताकि अधिक से अधिक संख्या में पर्यटक यहां आएं। प्रकृति का आनंद लें।

--आईएएनएस

विकेटी/एसकेपी