नवरात्रि का पांचवा दिन जानिए कैसे करें मां स्कंदमाता की पूजा और कौन से फूल चढ़ाएं ,पूजा विधि और समय 

 

 नवरात्रि पंचमी तिथि स्कंदमाता
   आप सभी सनातन धर्म प्रेमियों को सुप्रभात सादर प्रणाम जय माता दी आज नवरात्रि का पंचम दिवस है। मां दुर्गा के पंचम स्वरूप को स्कंदमाता के रूप में पूजते हैं। वात्सल्य की देवी माता शेर पर सवार रहती हैं। उनकी चार भुजाएं हैं। ये दाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं। नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प धारण किए हुए हैं। मां का ऐसा स्वरूप भक्तों के लिए कल्याण कारी है। 
मां की कृपा से बुद्धि का विकास होता है और ज्ञान का आशीर्वाद मिलता है। मां की कृपा से पारिवारिक शांति की प्राप्ति होती है। 

इनकी उपासना से मंदबुद्धि व्यक्ति को बुद्धि व चेतना प्राप्त होती है, पारिवारिक शांति मिलती है, इनकी कृपा से ही रोगियों को रोगों से मुक्ति मिलती है तथा समस्त व्याधियों का अंत होता है। देवी स्कंदमाता की साधना उन लोगों के लिए सर्वश्रेष्ठ है जिनकी आजीविका का संबंध मैनेजमेंट, वाणिज्य, बैंकिंग अथवा व्यापार से है।

माता स्कंदमाता की पूजा विधि:
इस दिन स्नान कर हरे रंग के वस्त्र धारण करें। फिर मां का स्मरण करें। इसके बाद स्कंदमाता को अक्षत्, धूप, गंध, पुष्प अर्पित करें। फिर पान, सुपारी, कमलगट्टा, बताशा, लौंग का जोड़ा, किसमिस, कपूर, इलायची आदि   चड़ाए।
स्कंदमाता की पूजा का श्रेष्ठ समय है
दिन का दूसरा प्रहर (सुबह 9से 12 बजे तक)। इनकी पूजा चंपा के फूलों से करनी चाहिए।  श्रृंगार में इन्हें हरे रंग की चूडियां चढ़ानी चाहिए।

मंत्र: या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्‍कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
भक्तो से निवेदन है मां स्कंदमाता को केले और केसर डालकर खीर का प्रसाद भोग लगाएं। 
माता रानी सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करे।
       *ज्योतिषाचार्य मंजू जोशी*
           *8395806256*