Life after marriage  क्या शादी के बाद होता है भाग्योदय ? लाइफ पार्टनर कैसे बदल सकता है जिंदगी को, जानिए कुंडली से 

 
 शादी के बाद जिंदगी में बदलाव क्या होते हैं ?


किसी भी व्यक्ति की कुंडली से इस बात का आकलन कर पाना बहुत ही आसान है कि क्या उसके भाग्य में वृद्धि तब होने जा रही है जब उसकी शादी हो जाती है कई बार हम लोगों ने देखा है कि पहले के जो ज्योतिषी रहे थे वह आकर यह बताते थे कि अगर पुत्र का या पुत्री का विवाह कर दिया जाता है तो उसके बाद में भाग्योदय होता है कई बार यह भी देखा गया है कि अगर कोई भी लड़का बेरोजगारी के दौर से गुजर रहा है और उसको काफी काम प्रयास करने के बाद भी सफलता नहीं मिल रही है तो कई बार जो सुधारा यह भी कहा जाता है कि इसकी शादी करा दी जाए और विवाह बाद भाग्योदय होने के इसके चांस है कुंडली का विश्लेषण करने पर यह बात बहुत ही आसानी के साथ समझा जा सकता है कि अगर किसी भी व्यक्ति के कुंडली के सप्तम भाव को देखकर इस बात का आकलन किया जा सकता है कि अगर उसकी पत्नी आती है तो उससे उसका भाग्य कैसे जुड़ा होता है।

शादी किस्मत से होती है क्या ?
किस्मत का कनेक्शन सीधी तौर पर भाग्य से होता है और किसी भी व्यक्ति की कुंडली का नवम भाव उसके भाग्य को बताता है और नवम भाव की स्थिति का आकलन करके उसके भाग्य को समझा जा सकता है इसलिए जब भी शादी का विवाह का विश्लेषण किया जाता है तो उसमें नवम भाव की भी भूमिका रहती है वैसे तो सप्तम भाव और शुक्र की स्थिति को देखकर इस बात का आकलन किया जा सकता है कि उसका जीवन साथी कैसा होगा लेकिन किस्मत और भाग्य का शादी से क्या मतलब है इसको देखने के लिए नवम भाव भी ज्योतिष द्वारा बताया जाता है कि किससे भाग्य की गणना की जा सकती है और अगर यह मजबूत होता है तो उसको बहुत ही भाग्यशाली पत्नी मिलती है या अगर लड़की है तो उसको बहुत ही भाग्यशाली पति मिलता है.


शादी का योग कैसे देखें ?
शनि और गुरु की युति जब भी सप्तम भाव मे होती है तो साल माना जा सकता है  शादी के प्रबल योग बन रहे हैं।
कुंडली के सप्तमेश में जो भी ग्रह है उसकी महादशा अंतर्दशा में विवाह के योग बनते हैं । इसके अलावा शुक्र का भी योग देखा जाता है ।

अगर हम बात करें कि पुरुषों का भाग्योदय स्त्री के आगमन से कैसे होता है इसको लेकर शुक्र की स्थिति कभी विचारण किया जाता है ज्योतिषियों का कहना है कि

यह कई बार देखा गया है कि पुरुषों की स्थितियां अचानक से बदलने लगती है जैसी उसकी विवाह हो जाती है और विवाह में स्त्री के आगमन से ही उसका भाग्योदय हो जाता है और जो काम पहले नहीं बन पा रहे थे वह बहुत ही तेजी के साथ में बनने लगते हैं और स्थितियों में जैसे ही शादी होती है उसके बाद में लगातार सुधार होने लगते हैं।

कुंडली का सप्तमेश शादी विवाह को नियंत्रित करता है अगर पुरुष की बात करें तो पुरुषों की।कुंडली मे शुक्र को पत्नी का ग्रह माना गया है और यही कारण है कि पुरुष की कुंडली मे शुक्र जितना ही मजबूत होगा उसको पत्नी भी अच्छी।मिलती है और वह ही भाग्योदय में सहायक होती है ।
कुंडली के बारहवें भाव मे अगर शुक्र है तो ऐसे व्यक्तियों का भाग्योदय शादी के बाद ही होता है ।ऐसा माना जाता है और शादी के बाद पत्नी बहुत ही सहायक होती है और साथ कदम से कदम मिला कर चलती है ।
 

एक ऐसी भी स्थिति बनती है जब दशम भाव पर शुक्र की दृष्टि पड़ती है तो ऐसे ही व्यक्तियों का विवाह के बाद ही भाग्योदय होता है और जो भी काम करते हैं उसमें काफी बढ़ोतरी होती है कुल मिलाकर कर्म और भाग्य दोनों साथ में मिलकर काम करते हैं जिससे की स्थिति में लगातार सुधार होता है।
तीसरी स्थिति यह है कि कुंडली में शुक्र भाग्य स्थान सुखी कुंडली का नवम भाव होता है उस पर अगर दृष्टि डालता है तो शादी के बाद पत्नी के आने के बाद ही ऐसे लोगों का भाग्योदय होता है।


कुल मिलाकर कुंडली में सप्तमेश की स्थिति को लेकर अगर शुक्र मजबूत रहता है या शुक्र की स्थिति दृष्टि नवम भाव पर लग्न भाव का अगर पड़ती है तो यह भी शादी के बाद काफी अच्छा भागी कारक माना जाता है और ऐसे लोगों के लिए कहा जाता है कि विवाह के बाद ही उनका भाग्योदय होता है और यह देखा भी गया है कि कई बार विवाह होते ही स्थितियां बदलने लगती है और जिसका में पहले बहुत ही मेहनत करने के बाद भी सफलता नहीं मिलती थी लेकिन जिन भी व्यक्तियों की कुंडली में शुक्र की स्थिति मजबूत है उनका भाग्योदय शादी के बाद होने लगता है और शुक्र की स्थिति और सप्तमेश और शुक्र की दृष्टि से पत्नी काफी अच्छे स्वभाव थी और काफी सहयोगी मिलती है।

डिस्क्लेमर ज्योतिष के बारे में दी गई जानकारी ज्योतिषियों  के राय पर आधारित है और कोई भी स्पष्टता के लिए योग्य ज्योतिषी की राय जरूर ले लें ।