बिना इस चौपाई का पाठ किए नहीं मिलेगा hanuman chalisa का पूरा लाभ

hanuman chalisa hindi: हनुमान चालीसा का पाठ लगभग सभी घरों में होता है लेकिन कई बार पाठ करते रहने के बावजूद मनोकामना नहीं पूरी होती है | 
 
hanuman chalisa hindi: हनुमान चालीसा में वर्णित इस चौपाई को सुंदर कांड से लिया गया है।

hanuman chalisa hindi: हनुमान चालीसा का पाठ लगभग सभी घरों में होता है। मान्यता ये है कि इसके पाठ से मन की कामना पूरी हो जाती है। परंतु कई बार ऐसा भी होता है कि मनोकामना पूर्ति में बहुत समय लगता है, या मनोकामना पूरी नहीं होती है। शास्त्रों के जानकार बताते हैं कि अगर हनुमान जी का आवाहन (हनुमानजी की उपस्थिति में) कर हनुमान चालीसा का पाठ किया जाए तो हनुमानजी खुद मनोकामना पूरी करते हैं। हनुमान जी का आवाहन किस चौपाई से करना अधिक लाभकारी है, आगे जानते हैं इस बारे में...

हनुमान चालीसा के फायदे (Benefits of hanuman chalisa)

हनुमान चालीसा का पूरा लाभ तभी मिलेगा जब आपकी जो भी मनोकामना है उसे हनुमान जी सुने वह तभी संभव है जब उनका आवाहन करके आप अपनी मनोकामना उनसे कहें और जब पाठ करें तो इस बात को महसूस करें की आप अपनी बातों को हनुमान जी को सुना रहे हैं | 

हनुमत आवाहन के लिए चौपाई

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं 
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपति प्रियभक्तं वातजातं नमामि।।

Hanuman chalisa kisne likhi (हनुमान चालीसा किसने लिखी) who wrote hanuman chalisa: हनुमान चालीसा में वर्णित इस चौपाई को सुंदर कांड से लिया गया है। सुंदरकांड की इस चौपाई में हनुमान जी के विराट स्वरूप का वर्णन किया गया है। हनुमान जी के विराट स्वरूप का वर्णन करते हुए कहा गया है कि जिनके पास अपार शक्ति है, जिनका शरीर सुमेरु पर्वत के समान कांति वाला है, जो दैत्य रूपी वन को खाक करने के लिए अग्नि रूप हैं, जिनकी गणना जो ज्ञानियों में सबसे आगे की गई है। जो सभी गुणों के निधान हैं। वानरों के स्वामी के रूप में जिन्हें पूजा जाता है। रघुनाथ यानि जो श्री राम के परम भक्त हैं, ऐस पवनपुत्र सबके लिए स्तुति करने योग्य हैं।

Hanuman chalisa ke labh (हनुमान चालीसा के लाभ)

सेहत की समस्या को दूर करने के लिए- "लाय संजीवन लखन जियाए, श्री रघुबीर हरषि उर लाए" इस दोहे का पाठ करना लाभकारी बताया गया है। वहीं अगर रिश्तों में दिक्कतें आ रही हैं तो इसके लिए- "रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई" इस दोहे का पाठ करना अच्छा बताया गया है। इसके अलावा रोग-शोक और सभी प्रकार की पीड़ा से मुक्ति पाने के लिए- "
नासै रोग हरै सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत वीरा" इस पंक्ति का पाठ श्रेष्ठ माना गया है।