Kal sarp dosh upay कुंडली में कालसर्प दोष हो तो क्या होता है ? सावन में  काल सर्प दोष के उपाय 

 

 कैसे बनता है काल सर्प दोष 

ज्योतिषी बताते हैं कि कालसर्प दोष किसी भी जातक की कुंडली में तब लगता है जब राहु और केतु के बीच में सारे ग्रह आ जाते हैं और इस प्रकार के योग का जब निर्माण होता है तो ऐसे दोस्त को कालसर्प दोष कहते हैं।

कुंडली में कालसर्प दोष हो तो क्या होता है?

जिस भी जातक की कुंडली में कालसर्प दोष होता है उसको हमेशा आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है किसी भी काम में मन नहीं लगता है घबराहट रहती है कोई ना कोई दुर्घटना बनी रहती है मानसिक चिंता है रहते हैं कुल मिलाकर लाइफ में बहुत ही ज्यादा अन स्टेबिलिटी रहती है परेशानियों का अंबार लगा रहता है बनते हुए काम हमेशा बिगड़ते रहते हैं किसी भी काम में सफलता नहीं मिलती है यह इंडिकेशन होता है कि कुंडली में कालसर्प दोष है।

कालसर्प योग से कैसे छुटकारा पाएं?

जिस भी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष रहता है ऐसे में अगर उसकी शादी कराई जाती है तो जीत शिव का मानना है कि कल सुबह योग से छुटकारा मिलता है इसके लिए सबसे अच्छा महीना माना जाता है सावन का महीना सावन के महीने में रुद्राभिषेक से और भोले शंकर की पूजा करने से कल सब के दोषों से मुक्ति मिलती है महामृत्युंजय का जाप 132000 बार करने से कालसर्प के दोस्तों से भी मुक्ति मिलती है और जो जीवन में कठिनाइयां आती रहती हैं उससे भी छुटकारा मिलता है मानसिक रूप से शांति मिलती है आर्थिक समस्याओं का हल मिलता है इसलिए सावन के महीने में कालसर्प दोष से छुटकारा पाने के लिए उपाय किए जाते हैं।


ज्योतिषियों में भी काफी सारे मत है कुछ ज्योतिषियों का कहना है कि कालसर्प दोष कुछ भी नहीं होता है और इसको लेकर आडंबर और पाखंड किया जा रहा है वहीं कुछ ज्योतिषियों का यह भी आकलन है कि कालसर्प दोष किसी भी व्यक्ति के जीवन में बाधा उत्पन्न करता है और इसका निवारण करने से उस को शांति मिलती है इस बारे में डॉ भोजराज द्विवेदी द्वारा एक पुस्तक लिखी गई थी जिसके अंश यहां दिए जा रहे हैं जिसमें डॉक्टर भोजराज द्विवेदी के द्वारा कालसर्प योग के बारे में लिखा गया है और यहां तक कि उनके द्वारा यह भी लिखा गया है कि इसका समर्थन या विरोध क्यों किया जा रहा है और कालसर्प दोष का आधार क्या है और इसका निवारण क्या है।


क्यों विरोध करते हैं ज्योतिषी कालसर्प योग का ?

कालसर्प योग ज्योतिष जगत का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण, रोचक, चर्चित एवं विवादास्पद योग बन चुका है। राजस्थान पत्रिका ने देश के शीर्षस्थ 12 विद्वानों के द्वारा साक्षात्कार लेकर इस योग पर सामइक टिप्पणियां प्रकाशित की, जिस पर 6 विद्वानों ने सकारात्मक तथा 6 विद्वानों ने नकारात्मक टिप्पणियां की। निष्कर्षत: : कुछ भी निर्णय न निकलने के कारण लोग यथावत भ्रमित रहे। उस संस्थान द्वारा संचालित निःशुल्क ज्योतिष प्रशिक्षण शिविर में भी लगभग 400 जिज्ञासुओं ने इस विषय पर सांगोपांग चिन्तन पर शास्त्रीयचर्चा तीन घंटे तक की । एक विशेष कालसर्प योग के खिलाफ क्यों है? कई विद्वानों के कालसर्प योग के समर्थन में बड़े-बड़े लेख लिखे हैं तथा इस योग की शान्ति हेतु कई पुस्तकें भी प्रकाशित हुई हैं। तो कई विद्वानों ने कालसर्प योग नहीं होता है? इस विषय पर भी पुस्तकें प्रकाशित कीं। कालसर्प योग नहीं होता है? इस विषय को सिद्ध करने के लिए नकारात्मक सोच वाले विद्वानों के सारगर्भित तर्क इस प्रकार हैं:- 1. प्राचीन किसी ग्रंथ में कालसर्प योग का उल्लेख नहीं मिलता ?

यह ब्राह्मणों की कमाई का साधन है?

3. कालसर्प योग अशुभ नहीं होता क्योंकि यह योग बड़े-बड़े लोगों की

कुण्डली में पाया जाता है? इसलिए यह योग शुभ है।

ऐसे भयानक नाम वाले योग की कल्पना ऋषि लोग कर ही नहीं सकते?

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यह बाद में फैलाया जाने वाला भ्रमजाल है। 5. राहु-केतु नामक कोई ग्रह आकाश में नहीं है। विदेशी लोग भी राहु-केतु को ग्रह नहीं मानते।

6. यह योग राहु-केतु की अंशात्मक दूरी से टूट जाता है।

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कालसर्प योग को ज्यादा मानेंगे तो हर दस में नौ कुण्डलियां कालसर्प योग की मिल जाएगी। आइए इन सभी तर्कों का हम शास्त्रीय एवं वैज्ञानिक विवेचन करें।

समाधान

होराशास्त्र अ.36 महर्षि बादरायण महर्षि गर्ग, मणित्थ, बृहत्जातक अ. 12/पृ. 148, सारावली अ. 11/ पृ. 154 जातकतत्वम्, ज्योतिषरत्नाकर, जैन ज्योतिष नामक पाश्चात्य ग्रंथ में भी कालसर्प योग का स्पष्ट वर्णन मिलता है। भृगु ऋषि से प्राचीन कोई नहीं भृगुसूत्र अ. 8 / श्लोक 11-12 इस प्रकार है- पुत्राभावः सर्पशापात् सुतक्षय ॥॥॥॥

आइए इन सभी तर्कों का हम शास्त्रीय एवं वैज्ञानिक विवेचन करें।

समाधान

होराशास्त्र अ.36 महर्षि बादरायण महर्षि गर्ग, मणित्थ, बृहत्जातक अ. 12/पृ. 148, सारावली अ. 11/ पृ. 154 जातकतत्वम्, ज्योतिषरत्नाकर, जैन ज्योतिष नामक पाश्चात्य ग्रंथ में भी कालसर्प योग का स्पष्ट वर्णन मिलता है। भृगु ऋषि से प्राचीन कोई नहीं भृगुसूत्र अ. 8 / श्लोक 11-12 इस प्रकार है-

पुत्राभावः सर्पशापात् सुतक्षय ।।] ॥ नागप्रतिष्ठया पुत्र प्राप्ति॥2॥

इससे अधिक और कितने प्रमाण चाहिए? पर प्राचीन ग्रंथ पढ़े कौन?

मैं अभी ताजी घटना कालसर्प योग के बारे में प्रबुद्ध पाठकों को बतलाना चाहूँगा । बद्रीनाथ धाम में एक विशाल ज्योतिष सम्मेलन में कुछ इसी प्रकार की चर्चा कालसर्प योग को लेकर चली।

एक ज्योतिषी ने कालसर्प योग के बारे में कहा कि प्राचीन किसी ग्रन्थ में कालसर्प योग का उल्लेख नहीं मिलता। इस पर मैं केवल इतना ही कहना चाहूँगा कि प्राचीन ग्रन्थों में तो कारयोग, मर्सडिज, स्कॉरपियो अवश्य मिलता है। जिसे हमने आधुनिक परिपेक्ष्य में मसर्डिज, स्कॉरपियो मारुति आदि में परिभाषित कर दिया है. तो क्या ज्योतिष में शोध की कोई गुंजाइश नहीं है। ज्योतिष में नए शोध को क्या हमेशा के लिए ताला लग गया है। नहीं ज्योतिष विज्ञान इतना संकुचित या संकीर्ण नहीं हो सकता कि उसमें शोध / अनुसंधान को कोई मार्ग ही न रहे। जब पूर्ण सक्षम विज्ञान में आज नए-नए शोध हो रहे हैं, नई-नई मशीनें, यंत्र

आ रहे हैं, तो ज्योतिष में नए शोध को कैसे नकारा जा सकता है, यह मेरी समझ

से परे है। प्राचीन भारतीय ऋषियों ने हजारों लाखों वर्ष पूर्व ज्योतिष के सिद्धांतों की रचना अपने सतत अनुभव, तपस्या व साधना से की तो हजारों वर्ष पूर्व रचित सिद्धांतों में और आज की परिस्थितियों में कोई अंतर नहीं हैं।

प्राचीन भारतीय ऋषियों ने आई.ए.एस. मंत्री, आई.पी.एस. योग, आई. आर. एस. के आदि उच्च प्रशासनिक योगों के बारे में अलग से किसी सिद्धांत की रचना नहीं की। इसका मतलब यह नहीं कि ऐसा कोई योग जातक की कुण्डली में नहीं होता।

समाधान 2

जो लोग कर्मकाण्ड व पौरोहित्य को नहीं जानते और नहीं मानते? वे - कालसर्प योग शान्ति एवं घट-विवाह पर शोधकार्य

ब्राह्मणेत्तर लोग ही कालसर्प योग का विरोध करते हैं? गणेश पूजा, दुर्गा पूजा, श्राद्ध, यज्ञ एवं धार्मिक अनुष्ठज्ञन करना, धर्म व आस्था का विषय है। मूर्तिपूजा के विरोधी व नास्तिक लोग ऐसे कृत्यों का घोर विरोध अनादि काल से करते चले आ रहे हैं पर मन्दिरों में पूजा स्थलों में कुम्भ मेलों में फिर भी भीड़ कम . नहीं हुई है। मंत्र शक्ति एवं प्रार्थनाओं की शक्ति को सभी धर्म व जातियों ने एक मत से स्वीकार किया है। इसमें विवाद व्यर्थ है। कालसर्प शान्ति करने से लोगों को आशातीत लाभ हुआ। इसका लिखित दस्तावेज हमारे पास है। दृष्टान्त कुण्डलियों का भण्डार है। 
डॉ भोजराज द्विवेदी द्वारा लिखित पुस्तक के अंश साभार