Masik Durgashtami Vrat May 2024 : कब है दुर्गाष्टमी व्रत? जानें तारीख, मुहूर्त और महत्व
 

Masik Durgashtami Vrat May 2024: When is Durgashtami Vrat? Know date, time and importance
 

Masik Durgashtami Vrat May 2024: सनातन धर्म में दुर्गाष्टमी का व्रत एक शुभ दिन है. प्रत्येक माह की शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि मां दुर्गा को समर्पित है. मां दुर्गा को शक्ति के रूप में जाना जाता है.

Masik Durgashtami Vrat May 2024: मासिक दुर्गाष्टमी प्रत्येक माह की शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो भी भक्त मां दुर्गा की पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ व्रत रखते हैं मां दुर्गा उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. मां की भक्ति करने का कोई बंधन नहीं है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि पूजा-पाठ व्रत आदि सही मुहूर्त में करने से माता का भरपूर आशीर्वाद मिलता है. इस माह दुर्गाष्टमी 15 मई 2024 को मनाई जाएगी। आइए जानते हैं इस तिथि का महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त...

दुर्गाष्टमी व्रत मई 2024 मुहूर्त

Masik Durgashtami Vrat May 2024 Muhurat: मई महीने में मासिक दुर्गाष्टमी व्रत 15 मई 2024 को मनाई जाएगी। इस दिन अष्टमी तिथि का प्रारंभ सुबह 4 बजकर 19 होगा जिसका समापन अगले दिन यानी कि 16 मई की 6 बजकर 22 मिनट पर होगा। लेकिन पंचांग के अनुसार व्रत 15 मई को ही रखा जाएगा।

दुर्गाष्टमी व्रत पूजा विधि

Masik Durgashtami Vrat Pooja Vidhi: मासिक दुर्गाष्टमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। घर या मंदिर में चौकी को गंगाजल से शुद्ध कर उस पर लाल वस्त्र बिछाएं और देवी दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद माता की पूजा करने से पहले शंख ध्वनि का उच्चारण कर देवी का आव्हान करें। मां दुर्गा का गंगाजल से अभिषेक करें। दीप प्रज्वलित करें। यदि हो सके तो व्रत समाप्ति तक अखंड ज्योत जलाएं। माता को अक्षत, रोली, लाल फूल, सुपारी, लौंग और इत्र जैसी सामग्रियां अर्पित करें। प्रसाद के रूप में मौसमी फल, मेवे और मिठाई चढ़ाएं। अंत में सप्तशती, दुर्गा चालीसा का पाठ करें और मां की आरती करें। इसी विधि-विधान से शाम को व्रत पारण के समय मां को भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण करें।

मासिक दुर्गाष्टमी व्रत का महत्व

Masik Durgashtami Vrat Ka Mahtwa: मासिक दुर्गाष्टमी के दिन किए जाने वाले व्रत और पूजन का विशेष महत्व है. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन श्रद्धा के साथ जो भी मां दुर्गा से कामना करता है, तो उसकी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती हैं. देवी मां अपने भक्ति की बात जरूर सुनती हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार पृथ्वी पर असुरों का राज होता जा रहा था. वे अपने बल से तीनों लोकों को जीतना चाहते थे. असुरों ने स्वर्ग पर चढ़ाई कर दी. उनके द्वारा स्वर्ग में भारी उत्पात मचाया गया. इनका एक राजा था जिसका नाम महिषासुर था. उसने पूरी असुर सेना के साथ देवी-देवताओं और अप्सराओं को परेशान करना शुरू कर दिया। उसकी इस क्रूरता को देखते हुए तीनों देवों ( ब्रह्मा, विष्णु और महेश ) ने शक्ति स्वरुप दुर्गा को अवतरित किया। इसके बाद देवी ने असुरों को एक-एक कर मारा और उनका विनाश कर दिया। मां दुर्गा की शक्ति को देख सभी देवता उनकी पूजा करने लगे. आज भी प्रत्येक माह की शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि मां दुर्गा को समर्पित है.