Hindu Dharm Me Pair Kyu Nahi Hilana Chahiye : क्या पैर हिलाना बुरी आदत है?

Pair Hilane Se Kya Hota Hai Scientific Reason?
 

Pair Hilane Ke Nuksan

Pair Hilane Ki Aadat

Pair Hilane Ki Bimari

धर्म- ज्योतिष डेस्क: वैदिक काल से ही हमारे पूर्वजों ने कुछ ऐसे नियम बनाए हैं, जिनका पालन करने से, हमारी सेहत और आर्थिक स्थिति दोनों के लिए बहुत लाभकारी है। और इन नियमों के आधार पर ही हमारी परंपराएं बनाई गई हैं। क्यूंकि सभी परंपराओं के पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण और महत्व बताए गए हैं। हर दिन हम कई छोटे-बड़े सामान्य कार्य करते रहते हैं, जिनमें से कुछ कर्म वर्जित किए गए हैं, जिनका संबंध हमारी सुख-समृद्धि से होता है।

बैठे बैठे पैर क्यों नहीं हिलाना चाहिए?

आपने अक्सर ही घर के वृद्धजनों द्वारा हमे कुछ काम न करने के लिए कहते सुना होगा, जैसे कि बैठे-बैठे पैर नहीं हिलाना चाहिए। वैसे अगर देखें तो यह सामान्य बात है, लेकिन इसके पीछे एक धार्मिक कारण भी है। क्यूंकि स्वभाव और आदतों का प्रभाव हमारे भाग्य पर भी पड़ता है। शास्त्रों के मुताबिक, पैर हिलाने से धन का नाश हो जाता है । और धन की देवी महालक्ष्मी की कृपा हमें प्राप्त नहीं होती है। शास्त्रों में इसे अशुभ कर्म भी माना गया है। पैर हिलाने की आदत के कारण धन संबंधी कार्यों में विलंब होता है एवं पैसों की तंगी बढ़ती है ।

स्वास्थ्य की दृष्टि से भी यह आदत हानिकारक है। बैठे-बैठे पैर हिलाने से जोड़ों के दर्द की समस्या हो सकती है। पैरों की नसों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। पैरों में दर्द हो सकता है। इसका बुरा प्रभाव हृदय पर भी पड़ सकता है । इन कारणों के चलते इस आदत का त्याग करना चाहिए। पैर हिलाने की आदत आपके व्यक्तित्व में तो गिरावट लाती ही है साथ ही सेहत के लिहाज से भी यह ठीक नहीं है। ज्योतिष के अनुसार ऐसा करने से आपको नुकसान हो सकता है । ऐसा करने से निगेटिविटी आती है और सभी जगहों पर नुकसान हो सकता है, चाहे वो आपका मान-सम्मान हो या फिर पैसों का ही नुकसान हो।

बार बार पैर हिलाने से क्या होता है?

इस एक आदत से हमें बहुत सारे नुकसान हो सकते हैं, साथ ही ये आपकी हेल्थ के लिए भी बहुत बुरा है, डॉक्टर के मुताबिक, ऐसा करने से हेल्थ प्रॉब्लम बढ़ सकती है, वहीँ हमने देखा हैं, की बहुत से लोगों को बैठे-बैठ पैर हिलाने की आदत होती है। वो चाहे कहीं भी बैठे हों अपना पैर आगे पीछे हिलाते ही रहते हैं। और कई लोग तो लेटे-लेटे भी पैरों में एक अजीब सा कंपन पैदा करते रहते हैं। घर में कोई बड़े-बूढ़े हों तो वो व्यक्ति को इस आदत के लिए तुरंत टोक देते हैं। वैसे तो यह सामान्य सी बात है, लेकिन इसके पीछे धार्मिक एवं वैज्ञानिक कारण हैं।

क्या पैर हिलाना बुरी आदत है?

जैसे की हर दिन हम कई छोटे-बड़े सामान्य कार्य करते रहते हैं, जिनमें से कुछ कर्म हमारी संस्कृति में वर्जित  हैं, जिनका संबंध हमारी सुख और समृद्धि से होता है। इसीलिए अक्सर घर के वृद्धजनों द्वारा मना किया जाता है कि कभी भी बैठे-बैठे पैर नहीं हिलाना चाहिए। इसके साथ ही आपको बता दें की हमारे स्वभाव और आदतों का प्रभाव हमारे भाग्य और स्वास्थ्य दोनों पर ही पड़ता है। शास्त्रों के मुताबिक, यदि कोई व्यक्ति पूजन कर्म या किसी भी धार्मिक काम में बैठा है तो उसे पैर गलती से भी नहीं हिलाना चाहिए । क्यूंकि ऐसा करने पर आपके पूजन कर्म का पूरा पुण्य नहीं मिल पायेगा। 

बहुत सारे ऐसे लोग हैं, जिन्हें एक स्थान पर बैठे हुए पैर हिलाने की आदत हो जाती है। और ये आदत इतनी ज्यादा बढ़ जाती है कि कई बार तो हमे पता ही नहीं चलता कि पैर हिलाने का यह सिलसिला हमने कब शुरू कर दिया। और जब दूसरे लोग आपको टोकते हैं, तब आपको पता चल पाता है कि आप बैठे-बैठे अपने पैर हिला रहे थे । अभी हाल ही में एक शोध के मुताबिक पता चला, कि यह आदत से ज्यादा एक बीमारी का संकेत है, जो आगे चलकर गंभीर परिणाम पैदा करती है । वहीँ मेडिकल साइंस में रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम नाम से मशहूर इस बीमारी का कारण नींद न आना है।

लक्ष्मी नाराज क्यों होती है?

जब व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान हो जाता है या फिर बचपन से ही उसे नींद ना आने की बीमारी होती है तो कुछ समय बाद वह रेस्टलेस लेग सिंड्रोम की चपेट में आ जाता है । इस बीमारी से ग्रस्त लोगों को कार्डियोवैस्कुलर संबंधित बीमारियां अपना शिकार बना लेती हैं और लगातार पैर हिलाते रहने से ब्लड प्रेशर के साथ-साथ दिल की धड़कनों की गति भी बढ़ जाती है, जिसकी वजह से आगे चलकर जान जाने का खतरा भी बढ़ जाता है। पुराणों के अनुसार शाम के समय धन की देवी महालक्ष्मी पृथ्वी भ्रमण पर रहती हैं, ऐसे में यदि कोई व्यक्ति बैठे-बैठे पैर हिलाता है तो देवी उससे नाराज हो जाती हैं ।

लक्ष्मी की नाराजगी के बाद धन से जुड़ीं परेशानियां झेलनी पड़ती हैं । अब आप ही सोचिए कि हमारे बड़े बुजुर्ग जो कहते हैं, क्या वह गलत है? विदेशी संस्कृति को अपनाने की होड़ में हम अपनी संस्कृति और संस्कारों से दूर भागते जा रहे हैं. और जो बातें हमारे धर्मग्रंथों में कही गयी है, वही बातें आज ये वैज्ञानिक विज्ञान की किताबों में कह रहे हैं। इसलिए  कहते हैं, मानो या नहीं मानो, लेकिन हिंदू धर्म और संस्कृति  पूरी तरह से विज्ञान पर आधारित है।