Sant Sen Jayanti 2024: कब है संत सेन जयंती, जानें उनसे जुड़ी रोचक कथा
कौन हैं संत सेन महाराज?
Sant Sen Maharaj Kaun Hain: संत सेन जी महाराज का जन्म विक्रम संवत 1557 में मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ क्षेत्र में हुआ था. बचपन में इनका नाम नंदा था. वे जाति से नाई थे. आगे चलकर सेन महाराज के नाम से जाने गए. इनके पिता का नाम श्रीचंद और माता का नाम सुशीला था. संत सेन महाराज का विवाह विजयनगर के राज वैद्य की पुत्री गजरा देवी से हुआ था. सेन महाराज ने गृहस्थ जीवन के साथ-साथ भक्ति मार्ग पर भी चलकर दिखा दिया कि संसार के सारे कामों को करते हुए भी प्रभु की सेवा की जा सकती है.
Sant Sen Jayanti Date 2024: संत सेन जी महाराज का जन्म विक्रम संवत 1557 में वैशाख मास में कृष्ण पक्ष की द्वादशी के दिन हुआ था. इस वर्ष सेन जयंती 10 मई 2024 को मनाई जाएगी।
मध्यकाल में सेन महाराज का नाम महान संतो में गिना जाता था. उन्होंने पवित्रता और सात्विकता पर जोर दिया। लोगों को सत्य, अहिंसा और प्रेम का संदेश दिया। वे सभी मनुष्यों में ईश्वर के दर्शन करते थे. लोग उनके उपदेशों से इतने प्रभावित होते थे कि दूर-दूर से लोग उनके पास आते थे. वृद्धवस्था में वे काशी चले गए और वहीं अपनी कुटिया बनाकर रहने लगे. साथ ही लोगों को उपदेश देते थे. काशी में जिस जगह वे रहते थे उसे आज सेनपुरा के नाम से जाना जाता है.
संत सेन महाराज से जुड़ी रोचक कथा
Sant Sen Katha: संत सेन महाराज राजा वीर सिंह की सेवा करते थे. उनका काम राजा की मालिश करना, बाल और नाख़ून काटना था. उस दौरान भक्तों की एक मंडली थी. सेन महाराज उस मंडली में शामिल हो गए और भक्ति में इतने मग्न हो गए कि एक बार तो वे राजा के पास जाना ही भूल गए। कहा जाता है कि उनकी जगह स्वयं भगवान ने राजा की सेवा संत सेन के रूप में की. भगवान ने राजा की इस तरह से सेवा की कि राजा बहुत प्रसन्न हुए और इसकी चर्चा पूरे बांधवगढ़ में हुई.
बाद में जब सेन महाराज का ध्यान भक्ति से हटा तो उन्हें पता चला कि वे उस दिन राजा के पास गए ही नहीं। बड़ी देर हो गई थी. वे डरे हुए राजा के पास पहुंचे। सोचने लगे कि देर से आने पर राजा उन्हें डांटेंगे। वे डरते हुए राजपथ की ओर बढ़े तभी एक सैनिक ने उन्हें रोकते हुए पूछा कि क्या राजमहल में कुछ भूल गए क्या। सेन महाराज ने कहा कि नहीं तो मैं तो आज राजमहल आया ही नहीं था. सैनिक ने कहा कि आपको कुछ हो तो नहीं गया है? सेन महाराज ने कहा अरे भइया अब और मुझे बनाने का यत्न न करें। मैं तो अभी-अभी राजमहल आया हूं.
सेन महाराज की बात सुनकर सैनिक बोला कि आप सचमुच भगवान के भक्त हैं. भक्त भी आपकी तरह ही सीधे होते हैं. इसका पता आज चला. क्या आपको नहीं पता कि आज राजा आपकी सेवा से इतने प्रसन्न हुए कि इसकी चर्चा पूरे नगर में फ़ैल गई है. सैनिक की बात से सेन महाराज आश्चर्यचकित हो गए. उन्हें कुछ समझ ही नहीं आ रहा था. लेकिन उनके मन में यह आ गया कि भगवान स्वयं मेरी जगह राजा की सेवा में आए थे. उन्होंने भगवान के चरण-कमलों की तरफ ध्यान किया और मन-ही-मन प्रभु से क्षमा मांगी।
इसके बाद वे राजमहल गए. उनके पहुंचते ही राजा वीर सिंह बड़े आदर-सत्कार के साथ मिले। सेन महाराज ने बड़े संकोच से देरी के लिए क्षमा मांगी और संतों के अचानक मिल जाने की बात कही. साथ ही यह भी बताया कि आज आपकी सेवा में मैं नहीं आया था. यह सुनकर राजा ने संत सेन महाराज के चरण पकड़ लिए. राजा वीर सिंह ने कहा कि राज परिवार जन्म-जन्म तक आपका और आपके वंशजों का आभार मानता रहेगा। भगवान ने आपकी ही प्रसन्नता के लिए मंगलमय दर्शन देकर हमारे असंख्य पापों का अंत किया है. यह सुनकर दोनों ने एक-दूसरे को गले लगाया।
Sant Sen Jayanti Pooja Vidhi: इस दिन सेन समाज द्वारा संत सेन महाराज की पूजा की जाती है. बांधवगढ़ स्थित उनकी मंदिर में भारत के कोने-कोने से सेन समाज के लोग एकत्रित होते हैं. उनके विचारों को अपनाने का प्रण लेते हैं. साथ ही कहा जाता है सेन महाराज भगवान विष्णु के भक्त थे. इसलिए इस दिन सेन समाज नारायण की पूजा भी करता है. लोग घरों में दीप प्रज्वलित करते हैं. इसके अलावा सेन महाराज की झांकी भी निकाली जाती है.