Satuvai Amavasya 2024: जानें कब है सतुवाई अमावस्या, इस दिन भूलकर ना करें ये काम

Kalsarp Dosh Kaise Hataen?
 

 

Satuvai Amavasya 2024

Importance of Satuvai Amavasya

Kalsarp Dosh Kaise Hataen
 

भगवान श्री हरि विष्णु संग पितरों का आशीर्वाद और कालसर्प दोष से मुक्ति दिलाने वाली सतुवाई अमावस्या कब पड़ेगी और इसकी पूजा विधि क्या है. इसका धार्मिक महत्व क्या है, क्या नहीं करना चाहिए इस दिन. Satuvai Amavasya Ka Mahatva Aur Muhurt: सनातन धर्म में हर वर्ष बैसाख मास में कृष्णपक्ष की पंद्रहवीं तिथि को सतुवाई अमावस्या के नाम से जाना जाता है. यह तिथि भगवान श्री हरि विष्णु और पितरों की पूजा के लिए बहुत ही शुभ मानी जाती है. इस दिन प्रयागराज, अयोध्या, हरिद्वार, वाराणसी और त्र्यंबकेश्वर ( नासिक ) आदि तीर्थों में स्नान-दान, पूजन और पितरों की पूजा के बाद सत्तू दाने करने की विशेष परंपरा है। इतना ही सतुवाई अमावस्या के दिन न सिर्फ सत्तू दान करने बल्कि इसका सेवन करना भी लाभकारी माना जाता है. ज्योतिषि की दृष्टि से पितृदोष और कालसर्प दोष दूर करने वाली शांति पूजा के लिए यह अमावस्या बेहद शुभ मानी जाती है। इस वर्ष यह तिथि 8 मई को है. जिसका मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। 

सतुवाई अमावस्या पर भूलकर न करें ये काम 

बैशाख मास की इस अमावस्या के दिन कोई जरूरतमंद या फिर साधु-संत आपके दरवाजे पर आए तो उन्हें खाली हाथ नहीं लौटना चाहिए। अपनी श्रध्दा अनुसार उन्हें दान करना चाहिए।
इस दिन सात्विक भोजन करना चाहिए, साथ ही मास-मदिरा के अलावा लहसुन, प्याज का भी सेवन नहीं करना चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि अमावस्या के दिन भूत-पिशाच जैसी नकारात्मक ऊर्जा अधिक सक्रिय रहती हैं. इसलिए श्मशान आदि जाने से बचना चाहिए।
तुलसी और पीपल के पत्ते नहीं तोडना चाहिए। ऐसा करना अशुभ माना जाता है.
शास्त्रों के अनुसार इस तिथि में सदाचार और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।   

सतुवाई अमावस्या में पूजा कि विधि 

Satuvai Amavasya Ki Pooja Vidi: हिंदू धर्म में सतुवाई अमावस्या तिथि के दिन पूजा के कुछ ख़ास उपाय बताए गए हैं. जिसे करने न सिर्फ श्री हरि विष्णु बल्कि ग्रह विशेष का आशीर्वाद भी मिलता है. इस तिथि में भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः' मंत्र का जाप 108 बार करना चाहिए। साथ ही पीपल के पेड़ पर पानी में दूध और तिल मिलाकर चढ़ाना चाहिए। शाम को दीया जलाना चाहिए।
कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए स्नान ध्यान करने के बाद चांदी से बने नाग-नागिन को बहते हुए पानी में प्रवाहित करना चाहिए। मान्यता है इन दिन प्रयागराज, त्रयंबकेश्वर, और हरिद्वार में पूजा करवाने से कालसर्प दोष का पूर्ण रूप से निवारण हो जाता है. 

पितृ पूजा कैसे करें?

Pitra Pooja Kaise Karen: सतुवाई अमावस्या में पितरों की पूजा का विशेष महत्व है. इस दिन पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. लेकिन इस दिन पिंडदान की पूजाविधि को भी जानना जरुरी है. इसके लिए सबसे पहले चावल के आटे में दूध और तिल मिलाकर उसे गूंथ लें. फिर उसका गोला बनाएं। जब आप तर्पण करने जाएं तो पीतल की थाली में पिंड रखें। साथ ही स्वच्छ जल लेकर उसमें काली तिल डालकर सामने रखें। थाली पर रखे पिंड को स्नान करवाएं और पितरों की मुक्ति के लिए भगवान विष्णु से कामना करते हुए नदी या तालाब में पिंड को विसर्जित कर देना चाहिए।

सतुवाई अमावस्या और सत्तू में क्या संबंध है? 

Sattu kaise Banaen: इस दिन चावल के आटे से बने सत्तू का विशेष महत्व है. सतुवाई अमावस्या का नाम भी सत्तू से जुड़ा हुआ है. इस समय सत्तू खाना सेहत के लिए फायदेमंद है. सत्तू का स्वाद ही नहीं बल्कि सेहत से जुड़े बेशकीमती फायदे भी हैं. खासकर गर्मी के दिनों में. इन दिनों सत्तू का सेवन गर्मी से राहत दिलाता है, साथ ही ब्लडप्रेशर को भी नियंत्रित रखता है. मोटापे से परेशान लोगों के लिए सत्तू रामबाण उपाय है. यह पाचन शक्ति को मजबूत करता है.