Treatment of depression पलाश के पत्तों ,जड़ और लकड़ी में है खूबी जो depression का कर सके इलाज
पलाश के हवन से मिलता है सुखी दांपत्य जीवन
डिप्रेशन व ह्रदय विकार से मिलता है छुटकारा
गुणों की खान है जिले के मोतीगंज में स्थित पलाश
गोण्डा। जिले के मोतीगज इलाके के जंगल में पाए जानेवाला पलाश गुणों का धनी है इसके जड़ पत्ते वादा सभी गुणों की खान है यही नहीं इसके हमसे सुखी दांपत्य जीवन तो मिलता ही है साथ ही ननिहाल का सुख भी मिलता है चंद्रमा सभी मांगलिक कार्यों में महत्वपूर्ण माना जाता है जिससे यह कहां और किस स्थान पर बैठा है इसे देखकर ही कार्य की शुरुआत की जाती है चंद्रमा यदि क्षीण है तो व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार हो जाता है ऐसे में पलाश के हमसे सुधार होता है।
(राजेन्द्र तिवारी )
पलाश के लकड़ी से होता है heart का इलाज
(Heart decease treatment by palash)
ज्योतिषाचार्य प्रदीप तिवारी के अनुसार कि पलाश के पत्ते ढाक व जड़ सभी आवश्यक यह गुणों से भरपूर हैं इससे हृदय रोग पेट रोग व मानसिक बीमारियों के लिए दवाएं बनाई जाती हैं इसकी लकड़ी के बनाए गए बर्तन में वा गिलास में पानी पीने से व्यक्ति का ह्रदय विकार सदा के लिए समाप्त हो जाता है यही नहीं तीज त्योहारों में भी पलाश के पत्तों पर पूजा करने की प्रथा पुरानी चली आ रही है अभी भी देश में विभिन्न त्यौहारों को पलाश के पत्तों पर पूजा की जाती है यही नहीं पलाश के पत्ते पर दही खाने से चंद्रमा मजबूत होता है और व्यक्ति के लिए मंगलकारी होता है साथ ही दांपत्य जीवन सुखमय बनाता है इसीलिए तीज त्योहारों को पलाश के पत्ते मे पूजन किया जाता है आचार्य ने बताया कि जिसका चंद्रमा क्षीण होता है ।उस व्यक्ति को पलाश की जड़ पहनाई जाती है। जिससे चंद्रमा मजबूत हो जाता है ।
आचार्य ने बताया कि आयुर्वेद में पलाश अहम भूमिका रखता है इससे अनेक आयुर्वेदिक दवाएं तैयार की जाती हैं जिससे हृदय विकार व डिप्रेशन के मरीजों को खिलाई जाती हैं इससे काफी लाभ मिलता है।
चंद्रमा मन का कारक माना जाता है चंद्रमा के क्षीण होने से व्यक्ति डिप्रेशन का मरीज होता है इसकी वजह से ही हृदय विकार होता है और अधिकतर सड़क दुर्घटनाएं भी चंद्रमा के वजह से होती हैं उन्होंने बतायाकि रिसर्च में पाया गया है कि अधिकतर सड़क दुर्घटनाएं अमावस्या प्रतिपदा व चतुर्दशी को होती हैं इसमें भी चंद्रमा के क्षीण से ऐसे मामले होने की बात बताई जा रही है जंगल में अधिसंख्य पेड़ हैं जिनकी बराबर सुरक्षा की जाती है सिसवा मदनापुर में भी पलाश का बड़ा जंगल है यहां भी पूजा पाठ करने वाले आचार्यों की भीड़ रहती है जो इसके लकड़ियों का उपयोग हवन में किया करते हैं।
यहां है जगल
गोण्डा। मोती गज स्टेशन से उत्तर स्थित जंगल में पलाश के पेड़ पाए जाते हैं जिसकी लकड़ियां प्रदेश ही नहीं देश के अन्य प्रदेशों में भी यज्ञ हवन करने वाले कर्मकांडी पंडित ले जाते हैं जिससे यहां के पलाश का काफी महत्व है
इनसेट
मंगलकारी होते हैं इसके बने सामान
गोण्डा। पलाश के बने सामान मंगलकारी माने जाते हैं इनकी लकड़ियों से बने सामानों को मांगलिक आयोजनों में सामने रखकर विधिवत पूजा किया जाता है जिससे मनचाहे कामना की पूर्ति होती है