आयुर्वेद में कपिंग थेरैपी क्या होती है और इससे क्या फायदे होते हैं? जानिए

What is cupping therapy and what are its benefits?
 
lifestyle : आयुर्वेद में कपिंग थेरेपी को शृंग या हिजामा के नाम से जाना जाता है। यह एक प्राचीन उपचार पद्धति है जिसमें शरीर पर कप लगाकर वैक्यूम बनाया जाता है। इस प्रक्रिया से रक्त प्रवाह में सुधार होता है, मांसपेशियों में दर्द कम होता है, और शरीर के  पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है। कपिंग थेरेपी एक प्राचीन उपचार पद्धति है जिसमें शरीर पर कप लगाकर वैक्यूम बनाया जाता है। इस प्रक्रिया से रक्त प्रवाह में सुधार होता है मांसपेशियों में दर्द कम होता है और शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है।
 

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कपिंग थेरेपी के कई स्वास्थ्य लाभ हैं, जिनमें शामिल हैं ?

दर्द से राहत: कपिंग थेरेपी दर्द को कम करने में प्रभावी है खासकर मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द में। यह दर्दनाक स्नायुबंधन और टेंडन को भी आराम दे सकता है।

सूजन कम करना: कपिंग थेरेपी सूजन को कम करने में मदद कर सकती है, खासकर सूजन संबंधी बीमारियों में, जैसे कि गठिया और रूमेटाइड आर्थराइटिस।

रक्त प्रवाह में सुधार: कपिंग थेरेपी रक्त प्रवाह में सुधार कर सकती है, जिससे ऑक्सीजन और पोषक तत्वों को ऊतकों तक पहुंचने में मदद मिलती है। यह घावों को ठीक करने में भी मदद कर सकता है।

विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना: कपिंग थेरेपी शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद कर सकती है, जिससे शरीर को स्वस्थ रहने में मदद मिलती है।

चिंता और तनाव कम करना: कपिंग थेरेपी चिंता और तनाव को कम करने में मदद कर सकती है। यह तनाव के हार्मोन के स्तर को कम करके काम करता है।

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शृंग या हिजामा ?

शृंग या हिजामा एक प्राचीन चिकित्सा पद्धति है जो रक्त के प्रवाह को बढ़ाने और विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने के लिए चमड़े पर छोटे चीरे लगाकर की जाती है। यह एक पारंपरिक चीनी चिकित्सा पद्धति है और इसे प्राचीन मिस्र, यूनान और रोम में भी किया जाता था। हिजामा को कई बीमारियों के इलाज के लिए फायदेमंद माना जाता है, जिनमें सिरदर्द, माइग्रेन, एलर्जी, जोड़ों का दर्द, तनाव और थकान शामिल हैं। हिजामा एक सुरक्षित प्रक्रिया है जो आमतौर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं करती है। हालांकि कुछ मामलों में, चीरे से संक्रमण हो सकता है। यदि आप हिजामा उपचार करवाने की योजना बना रहे हैं, तो एक योग्य चिकित्सक से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।

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हिजामा कितने प्रकार के होते हैं?

वेट हिजामा : इस प्रकार के हिजामा में, चीरे को एक कप से ढक दिया जाता है और कप को हवा से खींच लिया जाता है। इससे रक्त को चीरे से बाहर आने में मदद मिलती है।

ड्राई हिजामा: इस प्रकार के हिजामा में, चीरे को किसी भी तरल पदार्थ से नहीं ढका जाता है। रक्त को चीरे से बाहर निकलने में मदद करने के लिए कप को धीरे-धीरे खींचा जाता है।