बाबा विनोबा का कथन सत्य है कि महापुरुष हवा में विचरण करते रहते हैं_ रमेश भइया

 
 

ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय

लखनऊ।विनोबा विचार प्रवाह के सूत्रधार रमेश भैया ने कहा कि बाबा विनोबा का कथन है कि गुरु भावना अपने देश में बहुत काम करती है।उसके कारण बहुतों को लाभ हुआ है और बहुतों को हानि भी।परमात्मा हम सबको पैदा करते हैं, तो यों ही छोड़ नहीं देते।

वे हमारी चिंता करते हैं,रक्षा करने के उनके पास कोई योजना जरूर होगी इसलिए गुरु की महत्ता है।  बाबा अपने अनुभव सुनाते हुए बोलने लगे कि *मुझे अभी तक ऐसा मनुष्य नहीं मिला ,जिसे खालिस दुर्जन कह सकूं।गुण दोष का मिश्रण तो देखा,लेकिन दुर्जन मात्र नहीं देखा।सद्भावना हर मनुष्य में देखने को मिली*।     

     इसी तरह यह भी अनुभव  नहीं आया कि कोई पूर्ण पुरुष मिला हो। हो सकता है,मेरी आंखों को पहचानने का मौका न मिला हो । जो भी हो,गुरु को तो पूर्ण पुरुष ही होना चाहिए।             *बाबा विनोबा को अनेक महापुरुषों के सहवास में रहने का अवसर मिला है।घर में माता पिता ऐसे थे ,जिनके स्मरणमात्र से पापवासना छूती ही नहीं थी। जीवन में ऐसे ही अनेक  मार्गदर्शक मित्र भी मिले।लेकिन जिसे बाबा पूर्ण पुरुष कह सके ऐसा कोई नहीं मिला।* उसके अभाव में किसी को गुरु मान लें और दीक्षा लें,इस पर बाबा की श्रद्धा नहीं बनी। इस प्रकार की दीक्षा न विनोबा ने ली और न किसी को दी।       

   यह अलग बात है कि किसी में कोई , तो किसी में कोई गुण होता है।प्रेम, करुणा, सत्यनिष्ठा, ये गुण किसी में देखे गए। उनसे वे गुण मिलते हैं तो वे हमारे गुण गुरु हो सकते हैं।लेकिन जिसे मैं अपने  आपको पूर्ण रूप से सौंपकर अपने को मुक्त कर लूं , ऐसा पूर्ण गुरु अभी तक बाबा विनोबा को दिखाई नहीं दिया।कोई अगर बाबा से कहे कि मैं तुझे मुक्त कर देता हूं,तो बाबा यही कहेगा कि ऐसी मुक्ति हमें नहीं चाहिए।  मेरे पेट में रोग है।

कोई कहे कि अमुक मंत्र से वह मिट जायेगा,तो मैं उस तरह से मुक्ति क्यों पाना चाहूंगा। यद्यपि बाबा मानता है कि मंत्र से रोग मिट सकता है।क्योंकि यह श्रद्धा का सवाल है। रोग क्यों आया और कैसे गया इसके ज्ञान से हम वंचित रह जायेंगें। वह ज्ञान चाहिए।                   

    बाबा विनोबा कहते थे कि ऐसे अनेक अव्यक्त गुरु मुझे अवश्य मिले हैं।उनका प्रभाव भी  हम पर पड़ा है।प्राचीन काल से जो अनेक महापुरुष हो गए हैं,उनसे मुलाकातें भी होती रहती हैं।जैसे आप लोगों से बातें हो रही हैं ऐसी ही उनके साथ भी होती है। उन बातों को हमारी बुद्धि भी ग्रहण करती है जितना कर पाती है। देखा जाए तो अनेक महापुरुष हवा में घूमते रहते हैं इसमें कोई संदेह नहीं है।