डॉ. बी.डी. सिंह ने आरज़ू नायाब की सराहना की एवं शुभकामनाएँ दीं

Dr. B.D. Singh praised Arzoo Nayab and wished him all the best.
 
लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय के लोक प्रशासन विभाग के अटल सुशासन पीठ द्वारा आयोजित “सुशासन और विकसित भारत की अवधारणा” पर बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ।विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्तियों ने इस अवसर की शोभा बढ़ाई। कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 9:30 बजे उपस्थित लोगों के पंजीकरण के साथ हुई, जिसके बाद 10:25 बजे विशिष्ट अतिथियों का आगमन हुआ।
 

सुबह 10:30 बजे दीप प्रज्ज्वलन और वंदना के साथ माहौल उत्साह से भर गया, जो आगे की ज्ञानवर्धक यात्रा का प्रतीक है। इसके बाद, विभाग अध्यक्ष नन्द लाल भारती ने अतिथियों का गर्मजोशी से स्वागत किया और इसके बाद विभाग के अन्य शिक्षक यथा डॉ वैशाली सक्सेना, डॉ नंदिता कोसल, डॉ श्रद्धा चंद्र ने उन्हें गुलदस्ते भेंट किए, जिससे सौहार्द और सम्मान का माहौल बना।

सत्र के प्रारम्भ मे सोवीनियर का विमोचन किया गया जिसमे विभिन्न क्षेत्रों के शिक्षको एवं शोधर्थियों द्वारा अपने अपने शोधपत्रों के सारांशों का प्रकाशन किया गयाइस सेमिनार के सम्मानित अतिथि एबीवीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. राज शरण शाही थे. उन्होंने प्राचीन काल से आज तक की भारतीय अर्थव्यवस्था का विश्व की अर्थव्यवस्था में योगदान को रेखांकित करते हुए अटल जी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला एवं सुशासन पर अटल जी के दृष्टिकोण को समझाया.

सेमिनार के विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर संजय सिंह डॉक्टर राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधी विश्वविद्यालय लखनऊ के पूर्व कुलपति थे. उन्होंने सुशासन के एक आयाम के रूप में व्यक्तिगत नैतिकता पर प्रकाश डाला और इमरजेंसी के दौर का उदाहरण दिया तथा सुशासन में सरकारी मशीनरी को स्पष्ट और पारदर्शी बनाने पर बल दिया.चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय, सिरसा, हरियाणा के कुलपति प्रो. अजमेर सिंह मलिक उद्धघाटन सत्र के मुख्य अतिथि थे , उन्होंने सुशासन के सार और विकसित भारत के निर्माण में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला. उन्होंने सुशासन की पश्चिमी अवधारणा को भारतीय परिपेक्ष में अपने पर बल देते हुए सुशासन के 6 नए आयाम को बताया और विभिन्न देशों का उदाहरण देते हुए सुशासन की अवधारणा को समझाया.

 
उद्धघाटन सत्र का समापन लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय के विचारोत्तेजक अध्यक्षीय भाषण से हुआ, जिसमें उन्होंने सुशासन प्रथाओं को बढ़ावा देने में शिक्षाविदों के महत्व को रेखांकित किया। तथा उन्होंने प्रशासन प्रबंधन एवं राजनीति के क्षेत्र उभयनिष्ठ बिंदुओं को रेखांकित करते हुए कि यह तीनों विषय सुशासन के बिंदु पर आकर एक हो जाते है. उन्होंने नेपाल को सुशासन से जोड़ते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय की भूमिका को अग्रणी चिन्हित करते हुए विभागों के बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने हेतु की गयी पहलो को साझा किया.

 
उद्धघाटन सत्र का समापन संयोजक, प्रो. और लोक प्रशासन विभाग के प्रमुख डॉ. एन.एल.  भारती के द्वारा अतिथियों को धन्यवाद प्रस्तुत करके किया जिसके बाद राष्ट्रगान गया गया.सेमिनार के पहले दिन दो तकनिकी सत्रों का आयोजन किया गया जिसमे पुरे भारत से आये शोधर्थियों ने अपने अपने अपने शोध पत्रों को प्रस्तुत किया..“सुशासन और विकसित भारत की अवधारणा” पर राष्ट्रीय संगोष्ठी अगले दो दिनों में जोरदार चर्चा और बौद्धिक आदान-प्रदान के लिए एक मंच बनने का वादा करती है, क्योंकि पूरे भारत से विशेषज्ञ और विद्वान विशेष रूप से हरियाणा, राजस्थान और बिहार से एक समृद्ध और समावेशी भारत की दिशा तय करने के लिए एकत्रित हुयें...21 मार्च को सेमिनार मे दो तकनिकी सत्रों का भी आयोजन किया गया. पहले सत्र के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष क्रमशः नरेंद्र कुमार (जे एन यू) डॉ प्रीति चौधरी (BBAU ).इस सत्र में 20 से अधिक शोधार्थियों ने अपने-अपने शोध पत्रों को प्रस्तुत किया. सेमिनार के दूसरे तकनीकी सत्र की शुरुआत 3:00 बजे हुई. इस सत्र के अध्यक्ष प्रोफेसर आई डी मिश्रा तथा सह अध्यक्ष डॉ अदिति त्यागी थीं जो की पटना यूनिवर्सिटी से आयीं थीं. इस सत्र में भी 50 से अधिक शोध पत्रों को प्रस्तुत किया गया