मित्रता कृष्ण और सुदामा जैसी होनी चाहिए: रामानुज दास पंडित पुनीत शुक्ल जी महाराज

 
 ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय

लखनऊ। गोमती नगर विनीतखंड- दो के छठ पूजा पार्क में चल रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिवस नैमिष सीतापुर से पधारे रामानुज दास पंडित पुनीत  जी महाराज ने कहा कि मित्रता कृष्ण और सुदामा जैसी करनी चाहिए। जिस रिश्ते में  समर्पण नहीं उसे निभाना कठिन हो जाता है।

मित्रता करना आसान है निभाना बहुत कठिन है। लोग मित्रता कर तो लेते हैं लेकिन जीवन भर उसे निभा नहीं पाते। मित्रता त्याग और बलिदान चाहती है। त्याग और बलिदान की कसौटी पर खरे उतरने वाले रिश्ते परिपक्व बनते हैं और लंबे समय तक निभाए जाते हैं। श्रीकृष्ण के 16108 विवाह की कथा सुनाई। इसके बाद सुदामा चरित्र की पावन चर्चा की।

अंत में परीक्षित मोक्ष की कथा सुनाते हुए कथा को विश्राम दिया। आठ अगस्त को हवन एवं विशाल भंडारे का आयोजन किया जाएगा। सात दिवसीय कथा के यजमान एस के पाण्डेय, राणा सिंह, श्याम सिंह, गिरीश सिसोदिया, जगत पांडे, राम जीवन वर्मा, आयुष तिवारी,राय जी आदि रहे। रामानुज दास पंडित पुनीत  शुक्ल जी महाराज के सहयोगी पंडित शिवम त्रिपाठी, आनंद तिवारी, सतेंद्र मिश्रा, श्याम जी, आनंद सिंह, मुन्नालाल श्रीवास्तव,योगेंद्र सिंह रहे। आयोजक वरिष्ठ समाजसेवी मनोज कुमार मिश्रा ने बताया कि छठ पूजा पाठ में पांचवी श्रीमद् भागवत कथा हो रही है। पंडित पुनीत शुक्ल जी महाराज ने कहा कि 108 श्रीमद्भागवत कथा करने का संकल्प लिया है,

उसमें 32 वीं कथा हो रही है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए एवं परिवार में संस्कार स्थापित करने के लिए श्रीमद् भागवत कथा निरंतर करते रहेंगे।