हरदोई के अनुराग श्रीवास्तव ने प्रज्ञा मंडल के द्वारा  गिलोय से कैसे बदल दी, दो दर्जन लोगों की जिंदगी 

 

स्वावलंबी अनुराग श्रीवास्तव, तैयार कर रहे गिलोय का काढ़ा पाउडर

ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय

हरदोई। संक्रामक रोगों  से खतरा बढ़ा तो लोग इम्युनिटी सिस्टम मजबूत करने पर जोर देने लगे। हरदोई के सवाजयपुर तहसील क्षेत्र के रहतौरा निवासी अनुराग श्रीवास्तव ने  आपदा को अवसर में बदलने की ठानी। अनुराग श्रीवास्तव ने  हवन सामग्री तैयार करनी शुरू कर दी। जिसे बेचकर स्वयं के साथ प्रज्ञा मंडल के सभी सदस्य कमाई कर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं।

हरदोई के रहतौरा निवासी अनुराग श्रीवास्तव बताते हैं कि प्रज्ञा मंडल में 24 सदस्य है, जो गिलोय एकत्र करने के साथ साथ चारे वाली मशीन से उसके टुकड़े करने, सुखाकर कूटने और अदरक, तुलसी, काली मिर्च, हल्दी व   सेंधा नमक डालकर काढ़ा पाउडर तैयार करते हैं। यह काढ़ा इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत करता है। गिलोय से बने काढ़े के 50 ग्राम व 100 ग्राम के पैकेट तैयार किए जाते हैं। समाजसेवी अनुराग श्रीवास्तव बताते हैं कि इसके अलावा गिलोय से हवन सामग्री तैयार की जाती है, जिसमें आंवला, हर्र, बहेड़ा, जौ, लाल चंदन आदि मिलाया जाता है। इसके 100-100 ग्राम के पैकेट तैयार किए करते हैं। काढ़ा और हवन सामग्री के पैकेट बिक्री कर मंडल के प्रत्येक सदस्य को पांच से छह हजार रुपये की कमाई हो रही है।

पांच रुपये में खरीदते गिलोय :

गिलोय जिसे अमृता, गुर्च के नाम से भी जाना हाता है। ग्रामीण क्षेत्र में इसे पूछने वाला कोई नहीं था, लेकिन वह अब किसी अमृत से कम नहीं है। गिलोय का प्रयोग कई दवाओं में हो रहा है। प्रज्ञा मंडल के सदस्य बेलनुमा गिलोय के पेड़ की स्वयं कटिंग कर पांच रुपये किलो में खरीदते हैं। 
10 रुपये में 10 ग्राम काढ़ा: अनुराग श्रीवास्तव बताते हैं कि 10 रुपये में 10 ग्राम का काढ़ा पाउडर का पैकेट मिलता है। 250 ग्राम पानी को उबालकर एक चम्मच काढा पाउडर डालने के बाद इच्छानुसार गुड़ मिलाकर छान लें। नीबू का रस मिला सकते हैं। यह सभी प्रकार के बुखार को भी ठीक करता है।