मेरा जन्मदिन विशेषकर जनकल्याणकारी दिवस (Peoples Welfare day) के रूप में ही मनाते हैं -मायावती
यदि इस चुनाव में पार्टी के लोग मेरे दिशा-निर्देशों के मुताबिक चलकर व रात-दिन कड़ी मेहनत करके, अपनी पार्टी का बेहतर रिजल्ट ले आते हैं तो फिर यही इनका इस वर्ष मेरे जन्मदिन का खास तोहफा भी होगा:मायावती
ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय
लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (बी.एस.पी.) की राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद मायावती ने आयोजित प्रेस कांफ्रेन्स में मीडिया को सम्बोधित करते हुये कहा कि, "सबसे पहले आज मैं अपने जन्मदिन के मौके पर आप सभी मीडिया बन्धुओं को व आपके माध्यम से पूरे देशवासियों को तथा बी.एस.पी. के सभी छोटे-बड़े पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं एवं अपने शुभचिन्तकों को भी नववर्ष सन् 2024 की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें देती हूँ। साथ ही, कुदरत से यह भी कामना करती हूँ कि यह नववर्ष सभी की ज़िन्दगी में अपार तरक्की व खुशहाली लाये तथा आये दिन नई-नई आ रही बीमारियों के प्रकोप से भी ज़रूर बचायें। वैसे मेरे जन्मदिन को लेकर आप लोग यह अवगत है कि नववर्ष के पहले महीने में ही अर्थात् आज के ही दिन दिनांक 15 जनवरी को पूरे देशभर में बी.एस. पी. पार्टी व मूवमेन्ट से किसी ना किसी रूप में जुड़े लोग मेरा जन्मदिन विशेषकर जनकल्याणकारी दिवस (Peoples Welfare day) के रूप में ही मनाते हैं और वे इस वर्ष आज भी उसी मिशनरी भावना व सोच के तहत् ही मेरा जन्मदिन मना रहे हैं, उसके लिए मैं उन सभी लोगों का व
अपने शुभचिन्तकों का भी हार्दिक दिल से आभार प्रकट करती हूँ। हालाँकि इस मामले में मैं यह भी कहना चाहूँगी कि हमने यू.पी. में अपनी पार्टी के नेतृत्व में चार बार रही सरकार के दौरान् यहाँ सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय के लिए और
उसमें भी ख़ासकर दलितों, आदिवासियों, अति-पिछड़े वर्गों, मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ-साथ गरीबों, मज़दूरों, बेरोज़गारों, छात्रों, युवाओं, महिलाओं, व्यापारियों, कर्मचारियों, किसानों व अन्य मेहनतकश लोगों के हित एवं कल्याण के लिए भी अनेकों अति-महत्वपूर्ण जनकल्याणकारी योजनायें शुरू की है जिनकी अब देश में दूसरी पार्टियों की सरकारें नकल करके व नाम एवं थोड़ा स्वरूप बदलकर भुनाने में लगी है, किन्तु उनकी जातिवादी, पूँजीवादी, संकीर्ण व साम्प्रदायिक सोच होने की वजह से उनका इन्हें सही से पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है और अब तो इनको केन्द्र व राज्यों की सरकारों द्वारा गरीबी, बेरोजगारी व मंहगाई आदि से मुक्ति दिलाने की बजाय तथा रोटी-रोजी व रोजगार के भी साधन उपलब्ध कराने की गारन्टी देने की बजाय इन्हें फ्री में थोड़ा सा राशन आदि देकर अपना गुलाम व लाचार एवं मोहताज और बनाया हुआ है, जबकि हमने यहाँ यू.पी. में अपनी पार्टी के नेतृत्व में चार बार रही सरकार के दौरान इन लोगों को वर्तमान सरकारों की तरह अपना गुलाम व लाचार एवं मोहताज ना बनाकर, बल्कि इन्हें बड़ी तादाद् में सरकारी एवं गैर-सरकारी क्षेत्रों में रोटी रोजी एवं रोजगार आदि के साधन उपलब्ध कराके व इनकी गारन्टी देकर काफी हद तक इनको अपने पैरों पर खड़ा किया है। साथ ही, इन्हें मान-सम्मान व स्वाभिमान की जिन्दगी बसर करने का भी काफी मौका दिया है जो वर्तमान में हमें
कहीं पर भी होता हुआ नजर नहीं आ रहा है। और अब पिछले कुछ वर्षों से केन्द्र व राज्यों की भी सरकारों द्वारा अपनी इन सब कमियों
पर पर्दा डालने के लिए जिस प्रकार से धर्म व संस्कृति की आड़ में राजनीति की जा रही है तो उससे अपने देश का संविधान एवं लोकतन्त्र मजबूत नहीं बल्कि कमजोर ही होगा। ऐसी स्थिति में आज मैं अपने जन्मदिन के खास मौके पर व मीडिया के जरिये इन सभी दुःखी एवं पीड़ित लोगों से व विशेषकर बहुजन समाज के सभी वर्गों से अर्थात् दलितों, आदिवासियों, अति-पिछड़े वर्गों, मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक समाज के लोगों से यह कहना चाहूँगी कि वे अपनी रोटी-रोजी व रोजगार आदि के लिए तथा मान-सम्मान एवं स्वाभिमान की जिन्दगी बसर करने व अपनी वर्तमान एवं आगे आने वाली पीढ़ी की बेहतरी के लिए भी अपने सन्तों, गुरुओं व महापुरुषों में भी खासकर महात्मा ज्योतिबा फूले, श्री छत्रपति शाहू जी महाराज, श्री नारायणा गुरु, परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर एवं मान्यवर श्री कांशीराम जी आदि के बताये हुये रास्तों पर चलकर अपनी एकमात्र हितेषी पार्टी बी.एस.पी. को ही हर मामले में जरूर मजबूत बनायें तथा जिनके हित व कल्याण के लिए मैंने अपनी पूरी ज़िन्दगी भी समर्पित की है।
साथ ही केन्द्र व राज्यों की भी सत्ता खुद अपने हाथों में लेकर, बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर द्वारा निर्मित संविधान में दिये गये संवैधानिक कानूनी अधिकारों का भी सही से पूरा लाभ लें, तभी फिर वास्तव में इन वर्गों के लोग अपनी खुशहाल जिन्दगी व्यतीत कर सकते है। और यह सब हमने उ.प्र. में अपनी सरकार के समय में काफी कुछ करके भी दिखाया है।
(1) बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद सुश्री मायावती जी द्वारा उनका जन्मदिन "जनकल्याणकारी दिवस" (Peoples Welfare day) के रूप में पूरे देश में व खासकर उत्तर प्रदेश में हमेशा की तरह पूरी मिशनरी भावना व सोच के तहत् मनाने के लिए सभी लोगों का व अपने शुभचिन्तकों का भी हार्दिक दिल से आभार प्रकट। जन्मदिन की बधाई देने वाली विभिन्न राष्ट्रीय नेताओं व राजनीतिक हस्तियों का भी आभार प्रकट।
(2) बी.एस.पी. ने यहाँ सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय के लिए और उसमें भी ख़ासकर दलितों, आदिवासियों, अति-पिछड़े वर्गों, मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ-साथ ग्ररीबों, मज़दूरों, बेरोज़गारों, छात्रों, युवाओं, महिलाओं, व्यापारियों, कर्मचारियों, किसानों व अन्य मेहनतकश लोगों के हित एवं कल्याण के लिए भी अनेकों अति-महत्वपूर्ण जनकल्याणकारी योजनायें शुरू की है जिनकी अब देश में दूसरी पार्टियों की सरकारें नकल करके व नाम एवं थोड़ा स्वरूप बदलकर भुनाने में लगी है, लेकिन उनकी जातिवादी, पूँजीवादी, संकीर्ण व साम्प्रदायिक सोच होने की वजह से उनका इन्हें सही से पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है।
(3) अब तो इनको केन्द्र व राज्यों की सरकारों द्वारा गरीबी, बेरोजगारी व मंहगाई आदि से मुक्ति दिलाने की बजाय तथा रोटी-रोजी व रोजगार के भी साधन उपलब्ध कराने की गारन्टी देने की बजाय इन्हें फ्री में थोड़ा सा राशन आदि देकर अपना गुलाम व लाचार एवं मोहताज और बनाया हुआ है, जबकि हमने यहाँ यू.पी. में अपनी पार्टी के नेतृत्व में चार बार रही सरकार के दौरान् इन लोगों को वर्तमान सरकारों की तरह अपना गुलाम व लाचार एवं मोहताज ना बनाकर, बल्कि इन्हें बड़ी तादाद में सरकारी एवं गैर-सरकारी क्षेत्रों में रोटी रोजी एवं रोजगार आदि के साधन उपलब्ध कराके व इनकी गारन्टी देकर काफी हद तक इनको अपने पैरों पर खड़ा किया है। साथ ही, इन्हें मान-सम्मान व स्वाभिमान की जिन्दगी बसर करने का
भी काफी मौका दिया है जो वर्तमान में हमें कहीं पर भी होता हुआ नजर नहीं आ रहा है। (4) और इसीलिए अब पिछले कुछ वर्षों से केन्द्र व राज्यों की भी सरकारों सरक द्वारा अपनी इन सब कमियों पर पर्दा डालने के लिए जिस प्रकार से धर्म व संस्कृति की आड़ में राजनीति की जा रही है तो उससे अपने देश का संविधान एवं लोकतन्त्र मजबूत नहीं बल्कि कमजोर ही होगा।
(5) इतना ही नहीं बल्कि देश में एस.सी., एस.टी., व ओबीसी वर्गों के लोगों को सरकारी नौकरियों एवं अन्य ओर क्षेत्रों में भी आरक्षण दिये जाने की संविधान में जो व्यवस्था की गई है तो उनका भी अब इन विरोधी पार्टियों की रही सरकारों में इन्हें पूरा लाभ नहीं मिल पा
रहा है तथा अन्य ओर मामलों में भी इनकी लगभग यही खराब व दयनीय स्थिति बनी हुई है (6) इसीलिए बी.एस.पी. देश में जल्दी ही घोषित होने वाला लोकसभा का आमचुनाव, यहाँ के करोड़ों गरीबों एवं उपेक्षित वर्गों में से विशेषकर दलितों, आदिवासियों, अति-पिछड़े वर्गों, मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक समाज के लोगों के बलबूते पर पूरी तैयारी व दमदारी के साथ "अकेले" ही लड़ेगी, क्योंकि गठबन्धन करके चुनाव लड़ने से हमारी पार्टी को फायदा कम व नुकसान ज़्यादा होता है। लेकिन अब किसी भी चुनाव के बाद हमारी पार्टी खासकर कमजोर एवं उपेक्षित वर्गों के हितों में केन्द्र व राज्यों की सही बनी सरकारों में व उनकी जरूरत को ध्यान में रखकर अपनी उचित भागेदारी के आधार पर शामिल भी हो सकती है। ऐसे में अब पूर्व की तरह पार्टी बाहर से फ्री में समर्थन नहीं देने वाली है ताकि अपने लोगों
के हितों में कुछ जरूरी कार्य होते रहें।
(7) साथ ही, इस प्रेस वार्ता में बी.एस.पी. की ब्लू बुक "मेरे संघर्षमय जीवन एवं बी.एस.पी. मूवमेन्ट का सफरनामा, के 19वें भाग (A Travelogue of My Struggle Ridden Life and BSP Movement - ए ट्रेवेलोग ऑफ माई स्ट्रगल रिडेन लाइफ एण्ड बी.एस.पी. मूवमेन्ट) हिन्दी एवं अंग्रेजी संस्करण का विमोचन ।
(8) इसके अलावा, राम मन्दिर प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण मिलने के सम्बंध में पूछे गये एक सवाल के जवाब में कहा कि, हाँ मुझको निमंत्रण मिला है और जहाँ तक उसमें शामिल होने का सवाल है तो उस बारे में अभी इसका मैंने कोई फैसला नहीं लिया है: लेकिन इस कार्यक्रम का पार्टी को कोई भी ऐतराज नहीं है बल्किी इसका पार्टी स्वागत करती है। सुश्री मायावती जी द्वारा आज यहाँ आयोजित प्रेस कांफ्रेन्स में मीडिया को सम्बोधन तथा उसका मुख्य अंश :बीजेपी व इनकी सभी सहयोगी पार्टियाँ भी, जिनकी सोच, सिद्धान्त एवं कार्यशैली पूर्ण रूप से जातिवादी, पूँजीवादी, संकीर्ण, साम्प्रदायिक व सामन्तवादी भी है ऐसी ये पार्टियाँ सत्ता में बने रहकर इनको कभी भी अपने पैरों पर खड़े होते हुये देखना नहीं चाहती हैं। ऐसे में फिर इन सभी विरोधी पार्टियों की सरकारों के चलते इनका सही से पूरा विकास व उत्थान आदि नहीं हो सकता है
इतना ही नहीं बल्कि देश में एस.सी., एस.टी., व ओबीसी वर्गों के लोगों को सरकारी नौकरियों एवं अन्य ओर क्षेत्रों में भी आरक्षण दिये जाने की संविधान में जो व्यवस्था की गई है तो उनका भी अब इन विरोधी पार्टियों की रही सरकारों में इन्हें पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है तथा अन्य ओर मामलों में भी इनकी लगभग यही खराब व दयनीय स्थिति बनी हुई है। इसलिए इन सब बातों को ध्यान में रखकर देश में गरीबों, मजदूरों, बेरोजगारों तथा बहुजन समाज के सभी वर्गों के लोगों को बी.एस.पी. से जुड़ना तथा इन्हें फिर सत्ता तक पहुँचना बहुत जरूरी है। किन्तु इन्हें यहाँ यह बात भी जरूर ध्यान में रखकर चलना होगा कि ये लोग अपने इस मकसद में कामयाब ना हो सकें तो उसके लिए यहाँ सभी विरोधी पार्टियाँ अन्दर अन्दर एक होकर व किस्म-किस्म के साम, दाम, दण्ड, भेद आदि अनेकों हथकण्डें इस्तेमाल करके, इन्हें हमेशा सत्ता से दूर बनाये रखना चाहती है जिनसे इन्हें हर स्तर पर सावधान रहना है तथा गुमराह भी नहीं होना है।
इस मामले में ताजा-ताजा उदाहरण यह है कि अभी हाल ही में विपक्ष के इण्डिया गठबन्धन को लेकर जिस प्रकार से सपा मुखिया ने, एक सोची-समझी रणनीति के तहत्, बी.एस.पी. के लोगों को गुमराह करने के उद्देश्य से कुछ ही घन्टों के अन्दर बी.एस.पी. प्रमुख के प्रति गिरगिट की तरह अपना रंग बदला है, तो उससे भी पार्टी के लोगों को जरूर सावधान रहना है। इसके साथ ही, पिछले महीने पार्टी की आल इण्डिया की बैठक में आम सहमति से श्री आकाश आनन्द को मैंने अपना एकमात्र उत्तराधिकारी घोषित किया था तो उसके बाद से बीच-बीच में अब मीडिया में यह भी फर्जी व गलत खबर प्रचारित की जा रही है कि ऐसा लगता है कि अब बी.एस.पी. प्रमुख जल्दी ही राजनीति से सन्यास लेने वाली है जिसमें रत्तीभर भी सच्चाई नहीं है, जबकि मेरी जिन्दगी का आखिरी सांस भी पार्टी को मजबूत बनाने में ही लगा रहेगा। इस किस्म की फर्जी व गलत खबरो से भी पार्टी के लोगों को गुमराह नहीं होना है।
और अब तो चुनावों में ईवीएम में अधिकांशः धांधली व गड़बड़ी किये जाने की मिल रही खबरों से भी बी.एस.पी. के लोग भी काफी ज्यादा दुःखी व चिन्तित है। हालाँकि ऐसी स्थिति में यह व्यवस्था बाहरी देशों की तरह कभी भी यहाँ खत्म हो सकती है। ऐसे में अपनी पूरी ऊर्जा से पार्टी को मजबूत बनाने में लगे रहना है और यदि पार्टी के लोग इन सभी हालात का मुकाबला करके अपनी पूरी ईमानदारी व निष्ठा से आगे बढ़ने की पहल करते हैं। तो फिर हमारी पार्टी जरूर आगे बढेगी।
इसी भरोसे के साथ ही अब मैं अपने जन्मदिन के शुभ अवसर पर अपनी पार्टी व मूवमेन्ट के हित में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी मेरी लिखित पुस्तक "मेरे संघर्षमय जीवन एवं बी.एस.पी. मूवमेन्ट का सफरनामा, के 19 वें (A Travelogue of My Struggle Ridden Life and BSP Movement - ए ट्रेवेलोग ऑफ माई स्ट्रगल रिडेन लाइफ एण्ड बी.एस.पी. मूवमेन्ट) हिन्दी एवं अंग्रेजी संस्करण का विमोचन भी करती हूँ और यह पुस्तक खासकर वर्तमान युवा पीढ़ी व पार्टी में नये जुड़ रहे लोगों के साथ-साथ आगे आने वाली पीढ़ी लिए भी उनका एक उज्जवल व बेहतरीन मार्गदर्शक बनने का काम करेगी, जिसे मैं हर वर्ष इस पुस्तक के जरिये आज के ही दिन अपने लोगों को यह खास तोहफा भी देती हूँ। और अब मैं इस अति-महत्वपूर्ण पुस्तक का विमोचन करने से पहले पार्टी के लोगों से यह भी अनुरोध करती हूँ कि अब देश में लोकसभा के आमचुनाव होने का भी समय बहुत कम ही रह गया है और यदि इस चुनाव में पार्टी के लोग मेरे दिशा-निर्देशों के मुताबिक चलकर व रात-दिन कड़ी मेहनत करके, अपनी पार्टी का बेहतर रिजल्ट ले आते हैं तो फिर यही इनका इस वर्ष मेरे जन्मदिन का खास तोहफा भी होगा। वैसे मुझे पूरी उम्मीद है कि पार्टी के सभी लोग अपने तन, मन, धन की पूरी ऊर्जा, शक्ति, एकजुटता तथा आपसी भाईचारे के साथ मिलकर लोकसभा का यह आमचुनाव पूरी दमदारी के साथ ही लड़ेंगे और केन्द्र की सत्ता में अपनी प्रभावी भागीदारी भी सुनिश्चित करेंगे।