"रामकथा पार्क" अयोध्या में हो रहे "रामोत्सव" में 27 जनवरी को सिंगापुर के कलाकारो ने रामलीला का मंचन किया। 

 

 सर्वप्रथम भगवान राम के निर्मल स्वरूप की वंदना करके उनका स्मरण किया।उसके पश्चात चक्रवर्ती जी के महल से धनुर्विद्या के लिए राम लक्ष्मण का विश्वामित्र के साथ वन प्रस्थान,सुबाहु का वध,ऋषियों की रक्षा, करना।केवट का नाव पर करना और उद्धार,दंडकारण्य में अहिल्या उद्धार,शबरी प्रसंग ने सभी को सम्मोहित कर दिया।अपने आकर्षक मुद्रा और शास्त्रीय नृत्य से सभी को मुग्द करते हुए इस कलाकारों ने अगले दृश्य में जनक जी की सभा में धनुष भंग करके सीता स्वयंवर का भाव पूर्ण मंचन करके सभी को विभोर कर दिया।

विभीषण की शरणागति और हनुमान जी की भक्ति के प्रसंगों पर देर तक पांडाल में तालियां गूंजती रही। दशानन के वध के बाद अशोक वाटिका से सीता जी का अयोध्या आगमन और उनके राज्याभिषेक के दृश्य ने सभी को रोमांचित कर दिया और दर्शक जय सियाराम का जयघोष करने लगे।राममाय हो चुके वातावरण में सिंगापुर के कलाकारो की विदाई मंच से हुई। अगली प्रस्तुति त्रिपुरा से आए कलाकारों ने "चकमा" लोक नृत्य प्रस्तुत किया,इस लोक नृत्य की विशेषता जहां कलाकारो का सुंदर तालमेल था वही त्रिपुरा के संगीत में घुली हुई मिठास  के साथ पारंपरिक लोक वाद्य यंत्रों का प्रयोग था। दर्शक कलाकारो के उत्साह के साथ बीच बीच में जय सियाराम के जयघोष लगा रहे थे। महाराष्ट्र के "सोंगी" लोकनृत्य में ने बड़े बड़े मुखौतो के साथ नृत्य करते हुए कलाकारो ने विभिन्न करतब दिखाकर रोमांचित कर दिया।महाराष्ट्र का ये लोकनृत्य सभी मंगल अवसरों पर किया जाता है।इस पूरे कार्यक्रम का संचालन आकाशवाणी के उद्घोषक देश दीपक मिश्र ने बेहद सधे अंदाज में किया।