अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस पर संगोष्ठी सम्पन्न   

 
 ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय

लखनऊ। अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर विद्यार्थी कल्याण न्यास एवं बालाजी एजुकेशनल ट्रस्ट द्वारा लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार में संगोष्ठी आयोजित की गई। मुख्य अतिथि उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक, विशिष्ट अतिथि सदस्य विधान परिषद पवन सिंह चौहान, मुख्य वक्ता अभाविप पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय संगठन मंत्री घनश्याम शाही, कार्यक्रम अध्यक्ष उ•प्र. सरकार के विधान परिषद सदस्य अवनीश सिंह पटेल, बालाजी एजुकेशनल ट्रस्ट के अध्यक्ष  सत्यभान सिंह, स्वागत महामंत्री समाजसेवी ओ.पी. श्रीवास्तव, स्वागत मंत्री मनीषा पांडेय एवं ABVP लखनऊ महानगर अध्यक्ष डॉ• भुवनेश्वरी भारद्वाज उपस्थित रहीं।


कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि आज के ठीक चौबीस वर्ष पहले 1999 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में यह तय हुआ था कि प्रति वर्ष हम 12 अगस्त को अलग अलग थीम के साथ अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाएंगे, नव भारत के निर्माण में युवाओं की भागीदारी को लेकर उन्होंने युवाओं के प्रेरणा स्रोत स्वामी विवेकानंद जी के विचार का व्याख्यान करते हुए कहा कि उठो जागो और तब तक न रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए। 


मुख्य वक्ता के रूप में अभाविप के क्षेत्रीय संगठन मंत्री घनश्याम शाही ने कार्यक्रम थीम (Green skills for youth:Towards a sustainable world ) को साझा करते हुए कहा कि भारत देश में कहा जाता है कि मुझे फिर उस छोटे से गांव की याद आ गई जहां मैं पैदा हुआ था। यह समझ में नहीं आता कि अस्तित्व ने मेरे जन्म के लिए उस छोटे से गांव को क्यों चुना? वह वैसा ही है जैसा होना चाहिए। वह गांव बहुत सुंदर था। मैंने दूर-दूर बहुत यात्रा की है, कई स्थान देखे हैं किंतु ऐसा सौंदर्य कहीं नहीं देखा। कोई भी चीज दोबारा नहीं मिलती। चीजें आती जाती हैं लेकिन दोबारा वैसा नहीं होता।


उन्होंने कहा कि कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, सदियों रहा है दुश्मन,दौर-ए-ज़माँ हमारा। हमने हमेशा अपने पौरुष से अपने आप का निर्माण करना सीखा है। 
12 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस वर्ष पहली बार सन 1999 में मनाया गया इस वर्ष की थीम Green Skills for Youth: Towards a Sustainable World. है। जिस पर दुनिया काम करने का दावा करती है । 


भारत के युवाओं की जीवन पद्धति ही ग्रीन स्किल्स से प्रेरित है। श्री कृष्ण की गोवर्धन पूजा उनकी युवा अवस्था में प्रकृति संरक्षण की सबसे बड़ी उदाहरण है।


आज Global warming का स्थान Global Boiling जैसे शब्द ने लिया है, IPCC ने अपनी रिपोर्ट में मान लिया है की 1.5°c तापमान के लक्ष्य से आगे हम निकल जाने वाले हैं,हिमाचल, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड,दिल्ली और अलग अलग हिस्सों में बाढ़ और त्रासदी का आना हमारे विकास के मॉडल पर प्रश्न चिन्ह लगाता है ।

उपभोक्तावादी पश्चिम की मानसिकता आज हमारे युवाओं को प्रभावित कर रही है, पर्यावरण के प्रति संवेदनहीनता बढ़ती जा रही है, ऐसे समय में माता भूमि पुत्रों अहम प्रथिव्या का प्रथविसुक्त में कहा गया मंत्र ही विश्व को समाधान का भारतीय मार्ग दिखा सकता है। जी 20 के आउटरीच समूह में भारत के युवाओं ने जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रबंधन पर भारतीय दृष्टिकोण के माध्यम से मिशन LiFE यानी पर्यावरण के अनुकूल जीवन पद्धति देकर एक और समाधान का मार्ग दिया है।

sustainable development शब्द 1987 में और डेवलपमेंट शब्द 1949 में आया लेकिन भारत का समृद्धि,वैभव संधारणीय दृष्टिकोण हमारे उपनिषदों से आता है। इशोपनिषद का पहला ही मंत्र हमारी पर्यावरण और प्रकृति के अनुशासित उपयोग की व्याख्या करता है । 2015 में UN द्वारा जो Sustanable development goals SDG दिए गए हैं उनको प्राप्त करने का स्किल्स यानी Green skills for sustainable world ये भारत के दर्शन में ही है और वसुधैव कुटुम्बकम के माध्यम से भारत के युवा ही दुनिया की इन सब पर्यावरणीय समस्याओं  का समाधान बनेंगे।

आज भारत आगे के 25 वर्षों में अपने अमृतकाल में पंचप्रण का शपथ लेकर आगे बढ़ रहा है।
युवाओं द्वारा संकल्प लेकर माने गए 5 प्रण ही दुनिया को समाधान का मार्ग देंगे। ये ही Sustainable world की कल्पना को साकार करेंगे।