विवेकानन्द की जयंती जिसे पूरा देश राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाता है। 

 

 कल  12 जनवरी थी, भारत के आध्यात्मिक गुरु स्वामी 
12 जनवरी आते ही मैं बचपन की यादों में खो जाता हूं। स्मृतिशेष पिताजी प्रो शैल नाथ चतुर्वेदी 1975 से 1980 तक गोरखपुर विश्वविद्यालय में NSS के डायरेक्टर रहे, डॉ ओम शंकर श्रीवास्तव, डॉ AS नारायण, डॉ अमरेश शुक्ल, डॉ विनोद सोलंकी , सर्वश्री हरिनारायण लाल, CB सिंह, प्रताप जी, राय साहब, मदन मोहन जी जैसे सैकड़ों युवा अध्यापकों के सर्जनात्मक विचारों और सकारात्मक ऊर्जा से युवाओं के बीच नवाचार भरे सैकड़ों कार्य किए। NSS का term पूरा हो जाने के बाद अपने सहयोगी अध्यापकों के साथ मिल कर 1982 में *विवेकानंद युवा कल्याण केन्द्र* की स्थापना कर *बंधु छपरा* गांव चुना। 5 वर्षों के अथक प्रयास से उसको विवाद विहीन गांव बना दिया। श्री अनिल स्वरूप, श्री मनोज कुमार, श्री अनंत कुमार सिंह जैसे IAS अधिकारियों ने ज्वाइंट मजिस्ट्रेट, पडरौना के रूप में इस प्रयास का भरपूर समर्थन किया। सामाजिक परिवर्तन का अगला पड़ाव पडरौना से 5 किलोमीटर दूर *मुसहर टोली* गांव बना। एक झोपड़ी में 10 विद्यार्थियों से शुरू स्कूल में आज की तारीख में  10 पक्के क्लासरूमों में लगभग 300 बच्चे पढ़ते है, 10 अध्यापक हैं।

प्रो चतुर्वेदी के सपनों को धरा पर उतारने का काम डॉ CB सिंह और उनकी पत्नी श्रीमती अनुराधा सिंह ने किया है। आज के गरिमामय कार्यक्रम के अध्यक्ष JNU के प्रो संजय पाण्डेय, मुख्य अतिथि प्रो विनोद सोलंकी, विशिष्ट अतिथि जिलाधिकारी श्री उमेश मिश्रा, विशिष्ट अतिथि सुश्री विभा रहीं। विवेकानन्द के रोचक संस्मरणों और प्रेरणास्पद संदेशों भरे उद्बोधनों के पूरा वातावरण एक ऐसी ऊर्जा से भर गया जिससे भयानक ठंडक में आए सैकड़ों लोगों ने विवेकानन्द के *एक मनुष्य में बदलाव लाने* का संकल्प दोहराया।

जिलाधिकारी श्री उमेश मिश्रा ने अपने उद्बोधन में बच्चों को अपने जीवन में कुछ कर गुजरने की सीख दी और गांव की बेहतरी के लिए कुछ करने का आश्वासन भी दिया। कार्यक्रम का संचालन कर रहे श्री अजय पाण्डेय ने अपनी वाणी के ओज, शब्दों के कौशल और विचारों को समृद्धता से सबका मन मोह लिया। पिता जी के अत्यंत प्रिय श्री मनीष अवस्थी भी साथ गए थे। और मेरे लिए अपने पिता जी के लगाए पौधे को अपनी आस्था, श्रद्धा और समर्पण से सींचने जैसा आनन्द आया।