zero shadow day in india 2023 in hindi जीरो शैडो डे कब है ?

 

 शून्य छाया दिवस लखनऊ में कल 18 अगस्त को होगा या नहीं

23 अगस्त को क्या खास है?

ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय 

लखनऊ। सुमित कुमार श्रीवास्तव*
वैज्ञानिक अधिकारी
इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला, लखनऊ ने बताया कि कई दिनों से कई फोन आ रहे है कि शून्य छाया दिवस लखनऊ में कल 18 अगस्त को होगा या नहीं। इंदिरा गांधी नक्षत्र शाला मात्र 25 बिंदुओं में आपको समझा देगी कि कल लखनऊ में शून्य छाया दिवस नहीं होगा और क्यों नही होगा । तो आइए समझते है :- 


1. अक्सर लोग सोचते हैं कि हर दिन दोपहर में सूर्य ठीक सिर के ऊपर आ जाता है और हमारी छाया की लंबाई शून्य हो जाती है। 
पर, यह सच नहीं है। 

जीरो शैडो डे क्यों मनाया जाता है?

2. ऐसा साल में केवल दो दिन हो सकता है, वह भी तब, जब आप कर्क और मकर रेखा के बीच में कहीं रहते हों।
3. हमारी छाया की लंबाई क्षितिज से सूर्य की ऊंचाई पर निर्भर करती है। दिन के आरंभ में यह लंबी होती है और जैसे-जैसे दिन चढ़ता है, छाया छोटी होती जाती है।
 4. मध्याह्न यानी दोपहर के समय तो हमारी परछाई सबसे छोटी हो जाती है। 
5. *लेकिन, हर रोज छाया की लंबाई मध्याह्न के समय शून्य नहीं होती।*
6. पृथ्वी अपनी धुरी पर अपनी कक्षा (जिसमें वह सूर्य का चक्कर लगाती है) से 23.5 अंश पर झुकी रहती है। 
7. इसी कारण ऋतु परिवर्तन, सूर्य का उत्तरायण और दक्षिणायण, दिन की लंबाई का घटना-बढ़ना इत्यादि होता है।
8. यही वजह है कि सूर्य खगोलीय विषुवत रेखा से 23°.5 अंश उत्तर और  खगोलीय विषुवत रेखा से 23°.5 आकाश में दक्षिण की ओर जाता है। 
9. खगोलीय विषुवत से सूर्य के विस्थापन को क्रांति कोण या डेक्लिनेशन (Declination) कहा जाता है।
10. वर्ष में अलग-अलग समय पर सूर्य की स्थिति बदलती रहती है और वह शून्य यानी से 23.4 अंश उत्तर और इतना ही दक्षिण की ओर जाता है।
11. इस कारण सूर्य के कर्क (21 जून) विषुवत (21 मार्च, 23 सितंबर)और मकर रेखाओं (22 दिसंबर) के ठीक ऊपर चमकने के कारण मध्याह्न के समय सूर्य सिर के ठीक ऊपर होता है। 
12. इसीलिए, उन अलग-अलग तिथियों पर वहां किसी सीधी खड़ी वस्तु की छाया की लंबाई शून्य हो जाती है।

13. इसके अनेक प्रभाव पड़ते हैं; वर्ष में केवल वर्ष में दो दिवस 21 मार्च (वसंत विषुव) और 23 सितंबर (शरद विषुव) ऐसे होते हैं जब दिन और रात्रि की लंबाई समान होती है। 
14. ग्रीष्म अयनांत (21 जून) को सूर्य कर्क रेखा (23.4अंश उत्तर) के ठीक ऊपर चमकता है और क्रमशः दक्षिण की ओर बढ़ते हुए 22 दिसंबर (शीत अयनांत) को मकर रेखा ऊपर आ जाता है। 
15. 21 मार्च को कर्क रेखा पर दिन का प्रकाश 13.35 घंटे और रात्रि में अंधकार 10.25 घंटे रहता है। 
16. 22 दिसंबर को मकर रेखा पर भी यही घटनाक्रम होता है। इसी कारण उत्तरी गोलार्ध में 21 मार्च से दिन के प्रकाश का समय 12 घंटे से क्रमशः बढ़ते जाता है।17. यही ऋतु परिवर्तन का भी कारण है।
18. पृथ्वी की कर्क और मकर रेखाओं के बीच के क्षेत्र में 21 मार्च से 21 जून के बीच एक दिन ऐसा आता है जब किसी स्थान पर किसी वस्तु की छाया की लंबाई शून्य हो जाती है। 
19. उस दिन किसी सीधी खड़ी बेलनाकार वस्तु की छाया उसके नीचे छिप जाती है।
20. 21 जून और 23 सितंबर के बीच एक बार फिर ऐसा होता है। दोपहर के समय इन दो दिनों को छोड़कर छाया की लंबाई कुछ न कुछ रहती है।
21. छाया की लंबाई शून्य होने की तिथि इस बात से तय होती है कि उस स्थान का अक्षांश कितना है। विषुवत रेखा का अक्षांश शून्य होता है। इसी से अक्षांश की माप की जाती है।
22. 18 अगस्त को भारत वर्ष में ही नहीं पूरे विश्व में 12.97° पर जो जो स्थान होंगे वहां शून्य छाया दिवस होगा। 
23.भारतवर्ष में मुख्य रूप से बेंगलुरु , वेल्लोर, रत्नागिरी,चेन्नई, कांचीपुरम, अंबुर, हासन और मेंगुलूरु से शून्य छाया दिवस दिखाई देगा ।
24. चूंकि लखनऊ का अक्षांश 23.5° से ज्यादा है अतः यहां कभी शून्य छाया दिवस नही होगा । यहां न्यूनतम छाया दिवस हो सकता है वो भी 21 जून को. 
25. आशा है आप सबकी जिज्ञासाएं शांत हुई होंगी। इंदिरा गांधी नक्षत्र शाला से जुड़े और इसी तरह की खगोलीय गतिविधियों को करीब से जाने समझे ।