डॉ.अर्जुन श्रीवास्तव ने कार्यशाला में जलनेति का प्रदर्शन करके दिखाया
जिसके वक्ता इंडियन योग फेडरेशन के योगाचार्य भावना लोहानी और अनंत उदय फाउंडेशन के योगाचार्य अर्जुन श्रीवास्तव थे।डॉ.अर्जुन श्रीवास्तव ने कार्यशाला में जलनेति का प्रदर्शन करके दिखाया इसकी क्रियाविधि के साथ लाभ तथा सावधानियां के विषय में भी चर्चा की ।उन्होंने ने बताया की जलनेति के अभ्यास से नासिक में जमी गंदगी और श्लेष्मा परत को साफ कर देती है क्योंकि जलनेति के अभ्यास में गुनगुने जल का प्रयोग किया जाता है,जल इतना गुनगुना हो कि व्यक्ति उसको सहन कर सके साथ ही जल में एक चुटकी नमक का मिश्रण कर दिया जाता है
जो नाक के मल को ढीला कर निष्कासित कर देती हैl यदि जलनेति का अभ्यास सावधानी पूर्वक नहीं किया जाये तो इसके दुष्परिणाम भी देखने को मिलते हैं इसलिए जलनेति का अभ्यास समाप्त करने के पश्चात भस्त्रिका प्राणायाम करना चाहिए जिससे नासिक में रुका हुआ जल पूर्णता निष्कासित हो जाए यदि जल निष्कासित नहीं होता तो सिर में भारीपन तथा दर्द उत्पन्न हो सकता है इसके बाद मकर आसन का अभ्यास करना चाहिएl जलनेति प्रमुख रूप से ब्रोंकाइटिस,सर्दी,जुकाम,सिर दर्द में अत्यधिक उपयोगी है lइंडियन योग फेडरेशन की योगाचार्य श्रीमती भावना लोहानी ने हठ योग के आसन,प्राणायाम और मुद्रा पर अपने व्याख्यान प्रस्तुत किया साथ ही हठ योग के सिद्धासन,भद्रासन,सुखासन आसनों का भी प्रदर्शन किया l
फैकल्टी के कोऑर्डिनेटर डॉक्टर अमरजीत यादव ने बताया की हठयोग,योग की प्राचीन परंपरा है जिसमें आसन,प्राणायाम,मुद्रा,षट्कर्म समाहित है जलनेति के अभ्यास से नेत्र शक्ति बढ़ती है तथा इसके अभ्यास से निरंतर होने वाली एलर्जी में लाभ प्राप्त होता है।मस्तिष्क सहित श्वसन संस्थान की शुद्धि होती है रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है l इस अवसर पर अधिष्ठाता प्रोफेसर अशोक कुमार सोनकर, डॉ रामकिशोर, डॉ रामनरेश, शोभित सिंह व छात्र एवं छात्राएं उपस्थि थे।