पांच घंटे के जटिल ऑपरेशन के दौरान हेमीवरटेब्रा को ठीक किया गया और रीढ़ की हड्डी की नसों की सुरक्षा सुनिश्चित की गई
पांच घंटे लंबे इस जटिल ऑपरेशन में उसकी रीढ़ की एक अर्धविकसित हड्डी (हेमीवर्टेब्रा) को निकाला गया। ये ऑपरेशन बहुत ही नाज़ुक होता है क्योंकि इसमें स्कोलियोसिस को ठीक करते में इस बात की बहुत सावधानी रखनी पड़ती है कि आसपास की नसों को कोई नुकसान न पहुंचे, अन्यथा मरीज को पैरालिसिस (लकवा) का खतरा रहता है। सर्जरी की इस जटिलता के चलते ही देश के कई हॉस्पिटल्स ने इस जटिल ऑपरेशन को करने से मना कर दिया था।
डॉ. हिमांशु त्यागी के विशेषज्ञ मार्गदर्शन में गंभीर स्कोलियोसिस की स्थिति को ठीक करने के लिए सर्जरी की गई, जिसमें डॉ. राजेश मिश्रा और डॉ. मोहित शर्मा मुख्य सर्जन थे। पांच घंटे तक चली इस जटिल प्रक्रिया में रीढ़ में अधूरी बनी हुई हड्डी (हेमीवरटेब्रा) को निकाला गया।
फोर्टिस हॉस्पिटल ग्रेटर नोएडा में ऑर्थोपेडिक्स एंड स्पाइन के एडिशनल डायरेक्टर डॉ. हिमांशु त्यागी ने अपनी टीम की उपलब्धि पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा, "यह ऑपरेशन विशेष रूप से बेहद चुनौतीपूर्ण था क्योंकि रीढ़ में से अधूरी बनी हुई हड्डी को निकालते समय आसपास की नसों को सुरक्षित रखना बेहद जरूरी और चुनौतीपूर्ण था। इस जटिल ऑपरेशन की सफलता फोर्टिस अस्पताल, ग्रेटर नोएडा में हमारी टीम की एडवांस्ड मेडिकल स्किल्स और समर्पण का प्रमाण है।
फोर्टिस हॉस्पिटल ग्रेटर नोएडा के सीईओ, डॉ. प्रवीण कुमार ने बताया कि इस जटिल ऑपरेशन की सफलता अस्पताल के आधुनिक आईसीयू (गहन चिकित्सा इकाई) और अनुभवी एनेस्थेटिस्ट (दर्द निवारक) टीम की वजह से ही मुमकिन हो सकी। गौरतलब है कि इस ऑपरेशन में मरीज को लकवा होने का भी खतरा था। हालांकि, खुशखबरी ये है कि ऑपरेशन के कुछ ही दिनों बाद यह किशोर बिना किसी परेशानी के चल-फिर रहा है, सीढ़ियां चढ़ रहा है और उसमें किसी भी तरह की न्यूरोलॉजिकल समस्या के लक्षण भी नहीं दिख रहे हैं।
मरीज के परिवार ने इस जटिल मामले का इलाज करने और उनके बेटे को एक नया जीवन प्रदान करने वाली फोर्टिस हॉस्पिटल ग्रेटर नोएडा की मेडिकल टीम का आभार व्यक्त किया। यह सफल ऑपरेशन रीढ़ की हड्डी के इलाज के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण प्रगति है और फोर्टिस हॉस्पिटल, ग्रेटर नोएडा की अत्याधुनिक चिकित्सा देखभाल प्रदान करने की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।