ईडी और सीबीआई में क्या फर्क होता है | CBI Aur ED Me Kya Antar Hai?

ईडी और सीबीआई को क्या-क्या अधिकार मिले हुए हैं | What is the work of CBI?

 

What Is ED In India?

What Is The Work Of CBI?

CBI Aur ED Kya Hai?

न्यूज़ डेस्क, नई दिल्ली

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जब से गिरफ्तार हुए हैं तब से पूरे देश में उन्हीं की चर्चा है... मनी लांड्रिंग के एक मामले में केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया है... और उन्हें गिरफ्तार किया है ईडी ने... और उनकी गिरफ्तारी का आधार बनी है सीबीआई की जांच... 

ईडी या सीबीआई.. किसका डर ज्यादा?

अब सवाल आता है कि एक ही मामले में सरकार की दो-दो एजेंसियां... यानी सीबीआई और ईडी, कैसे काम कर रहीं हैं... भई जांच जब सीबीआई कर रही थी, तो उन्हें गिरफ्तार भी सीबीआई ही कर सकती थी... फिर ईडी को क्यों बीच में दखल देना पड़ा...आज अपनी रिपोर्ट में हम इसी सवाल को जानेंगे... हम जानेंगे कि...

ईडी और सीबीआई में क्या फर्क होता है?

ईडी और सीबीआई को क्या-क्या अधिकार मिले हुए हैं?

ईडी और सीबीआई में कौन ज्यादा शक्तिशाली है?

विपक्ष के नेता सीबीआई या ईडी.. किस से ज्यादा डरते हैं?

लेकिन इन सवालों का जवाब देने से पहले हम आपको बता देते हैं कि ऐसा नहीं है कि अरविंद केजरीवाल के रूप में पहली बार किसी मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी हुई है... इससे पहले झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी मनी लांड्रिंग के ही मामले में ईडी ने ही गिरफ्तार किया था... पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि ईडी की कार्यगुज़ारी में ज़ोरदार इज़ाफा हुआ है... विपक्ष ने ईडी की इसी कार्यगुज़ारी को लेकर काफी हल्ला भी मचाया हुआ है...  खैर, अब लौटते हैं सवालों पर... तो ईडी यानी Enforcement Directorate जिसे हिंदी में प्रवर्तन निदेशालय कहते हैं, वो केंद्र की एक एजेंसी है...

ठीक इसी तरह सीबीआई यानी Central Bureau of Investigation जिसे हिंदी में केंद्रीय जांच ब्यूरो कहते हैं, वो भी केंद्र की ही एजेंसी है... हालांकि दोनों एजेंसियों को अलग-अलग अधिकार हासिल हैं... ईडी खासतौर पर आर्थिक यानी financial गड़बड़ी पर फोकस करती है, जबकि सीबीआई क्राइम से लेकर तमाम तरह की investigation करती है..

मनी लॉन्ड्रिंग से रिलेटेड मामलों की जांच करने के लिए ED की स्थापना 1 मई 1956 को हुई थी... पहले इसका नाम ‘प्रवर्तन इकाई’ था, जो 1957 में बदलकर ‘प्रवर्तन निदेशालय’ कर दिया गया... 1960 में इसका प्रशासनिक नियंत्रण आर्थिक मामलों के विभाग से राजस्व विभाग के पास आ गया... मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों में यह एजेंसी PMLA कानून के तहत काम करती है... वहीं, ईडी की तरह सीबीआई भी केंद्र के आधीन जांच एजेंसी है... सीबीआई की स्थापना साल 1963 में हुई थी... यह कार्मिक विभाग, कार्मिक पेंशन और लोक शिकायत मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन कार्यरत एक प्रमुख जांच एजेंसी है... भारत सरकार के ऑर्डर पर सीबीआई, देश के किसी भी कोने में जांच कर सकती है... ये मुख्य रूप से भ्रष्टाचार, हत्या और घोटालों के मामलों की जांच करती है...

चलिए अब दोनों में फर्क जान लेते हैं...

हैं तो दोनों ही केंद्रीय जांच एजेंसियां... लेकिन दोनों की जांच के प्रोसीजर में काफी अंतर है... ईडी सिर्फ मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों पर कार्रवाई करती है, जबकि सीबीआई किसी भी मामले की जांच कर सकती है... इसके अलावा सीबीआई को राज्य सरकार से परमिशन लेनी होती है, जबकि ईडी को किसी भी तरह की परमिशन की जरूरत नहीं होती... और यही वजह भी है कि विपक्ष के नेता सीबीआई के बजाए ईडी से ज़्यादा डरते हैं... सीबीआई अपनी जांच भारतीय दंड संहिता यानी CRPC के तहत ही करती है, जबकि ईडी के पास PMLA, FEOA और FEMA जैसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के विशेष कानून हैं...

चलिए अब जानते हैं कि ईडी और सीबीआई में कौन ज्यादा शक्तिशाली है?

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट मानती है कि ईडी थानों की पुलिस नहीं है, वो दूसरी एजेंसियों से बिल्कुल अलग है... ED को गिरफ्तारी के वक्त ये बताने की जरूरत नहीं है कि आरोपी को PMLA के तहत क्यों गिरफ्तार किया जा रहा है? या क्या आरोप लगे हैं? जहां तक गिरफ्तारी के समय रिपोर्ट की कॉपी देने की बात है, तो CRPC के तहत पुलिस आरोपी को FIR की कॉपी देने के लिए बाध्य है... लेकिन ED के साथ ऐसा नहीं है... ED हमेशा से ताकतवर थी, लेकिन पहले वो अपनी ताकत का इस्तेमाल नहीं करती थी... कारोबारियों के अलावा ब्यूरोक्रेट्स, बड़े नेता भी इसकी जद में हैं... पहले CBI का नाम ज्यादा दिखता था, लेकिन अब ED का काम ज्यादा दिख रहा है... तो मतलब पूरी तरह साफ है... ईडी और सीबीआई दोनों ही केंद्रीय जांच एजेंसियां हैं, लेकिन ईडी कुछ अधिकार मिले हैं वह यह बताते हैं कि ईडी ज्यादा ताकतवर है...