शिक्षा ही स्टूडेंट के साथ जीवन पर्यंत मित्र के रूप में विद्यमान रहती है
उन्होंने बताया कि उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई की, फिर एमबीए किया और छात्र-छात्राओं को पढ़ाया भी। उन्होंने कहा कि एक शिक्षक के लिए वह दिन बहुत गौरव का होता है, जब उसे पता चलता है कि उसका पढ़ाया स्टूडेंट, समाज में अपना योगदान किसी उत्कृष्ट प्रबंधक, शिक्षक या चिकित्सक आदि के रूप मे दे रहा होता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा ही स्टूडेंट के साथ जीवन पर्यंत मित्र के रूप में विद्यमान रहती है।
डॉ नीरज बोरा ने छात्र-छात्राओं के आग्रह पर कबीर के दोहे सुनाएं। इन कबीर के दोहों को वह अक्सर अपने छात्र जीवन में गया करते थे।"बानी ऐसी बोलिए मन का आपा खोय", राहिमन धागा प्रेम का ना दीजो चटकाए दोहे सुन कर श्री नीरज बोरा ने छात्र-छात्राओं की विशेष प्रशंसा बटोरी। कार्यक्रम के शुभारंभ में शुभम एवं उनकी टीम ने मनमोहन सरस्वती वंदना की प्रस्तुति की तथा"जहा पढ़ल जाला गीता और कुरान,केतना सुंदर हमार हिंदुस्तान " के साथ "पाना है यदि प्रभु को तो प्यार से मिलेगा" गीत सुनाकर सभी का मन मोह लिया। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता, महाविद्यालय मंत्री प्रबंधक, श्री जी सी शुक्ला ने की। उन्होंने मेधा संवर्धन 2024 में प्रतिभा कर रहे सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर प्राचार्य प्रो विनोद चंद्रा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया तथा छात्र-छात्राओं से कहा कि आज सांस्कृतिक मंच पर छात्र-छात्राओं द्वारा जो प्रस्तुतियां आएंगी उन छात्र-छात्राओं के जीवन में वह सदैव मधुर स्मृतियों की तरह समायी रहेगी।
डॉ गिरिजेश त्रिपाठी ने कार्यक्रम का संचालन किया तथा कार्यक्रम की संयोजिका प्रो पायल गुप्ता ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए बताया कि इस वर्ष मेधा संवर्धन के 22 में संस्करण में कुल 22 सांस्कृतिक प्रतियोगिताएं होंगी। जिनकी थीम वसुधैव कुटुंबकम है।
आज दिनभर हुई सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं में वाद विवाद, नाटक परिधान शो, सुगम संगीत, एकल नृत्य, स्वरचित काव्य, कहानी लेखन, डॉक्यूमेंट्री फिल्म मेकिंग, पोस्टर मेकिंग, सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताए प्रमुख रूप से छात्र-छात्राओं के आकर्षण का केंद्र बिंदु रही। इस अवसर पर उप प्राचार्य प्रो के के शुक्ला, डॉ अंशुमाली शर्मा सहित महाविद्यालय के अनेक शिक्षक एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।