गुरुद्वारा सिंह सभा मे शबद कीर्तन के बाद गुरु के अटूट लंगर का हुआ आयोजन

After Shabad Kirtan, Guru's Atut Langar was organized in Gurdwara Singh Sabha.
 
बलरामपुर ( वैभव ) शनिवार 13 अप्रैल को गुरुद्वारा सिंह सभा उतरौला में  बैसाखी का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया सुबह से ही गुरुद्वारा सिंह सभा मे शबद कीर्तन के बाद गुरु के अटूट लंगर का आयोजन हुआ जिसमें सिख समाज के लोगो ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया । गुरुद्वारा के प्रधान दलबीर सिंह खुराना ने बताया कि विशाखा नक्षत्र पूर्णिमा में होने के कारण इस माह को बैसाख कहते हैं। कई जगहों पर इसे वैशाखी भी कहा जाता है। पंजाबी और सिख समुदाय के बीच बैसाखी का बहुत महत्व है। 

गुरुद्वारा के मुख्य ग्रंथि बलवान सिंह ने बताया कि जब मुगलकालीन के क्रूर शासक औरंगजेब ने मानवता पर बहुत जुल्म शुरू किए थे। खासकर सिख समुदाय पर क्रूरता करने की औरंगजेब ने सारी ही सीमाएं पार कर दी थी। अत्याचार की पराकाष्ठा तब हो गई, जब औरंगजेब से लड़ाई लड़ने के दौरान श्री गुरु तेग बहादुरजी को दिल्ली में चांदनी चौक पर शहीद कर दिया गया।

औरंगजेब के इस अन्याय को देखकर गुरु गोविंद सिंह जी ने अपने अनुयायियों को संगठित करके खालसा पंथ की स्थापना की। इस पंथ का लक्ष्य हर तरह से मानवता की भलाई के लिए काम करना था। खालसा पंथ ने भाईचारे को सबसे ऊपर रखा। मानवता के अलावा खालसा पंथ ने सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने के लिए भी काम किया।

इस तरह 13 अप्रैल,1699 को श्री केसगढ़ साहिब आनंदपुर में दसवें गुरु गोविंदसिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना कर अत्याचार को समाप्त किया। इस दिन को तब नए साल की तरह माना गया, इसलिए 13 अप्रैल को बैसाखी का पर्व मनाया जाने लगा। इस दौरान सरदार प्रितपाल सिंह, गुरविंदर सिंह,सुरेन्द्रपाल पाहुजा(बब्बू), हरचरन सिंह पाहुजा, भूपेंदर सिंह खुराना, तिरलोचन सिंह,प्रताप सिंह, अमरिंदर सिंह,राजेश खुराना,रिम्पल पाहुजा,अजय पाहुजा,अंकुर पाहवा,मोहित पाहवा, संदीप खुराना, राकेश खुराना, अमित खुराना, अभिषेक गुप्ता,आशीष कसौधन,ऋषभ गुप्ता आदि बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे