साल भर में केवल नवरात्रि में पड़ने वाले शनिवार को ही होते है मां धूमावती के दर्शन
सीतापुर (सुमित बाजपेयी) चैत्र नवरात्रि शुरू हो चुकी है...इसी सिलसिले मे देश भर के देवी मां के मंदिरों में भक्तों का तांता लगता है. ऐसा ही नैमिषारण्य तीर्थ स्थित कालीपीठ मंदिर में स्थापित है. खास बात यह है कि इस मंदिर में विराजमान मां धूमावती का दर्शन और पूजन नवरात्रि में केवल शनिवार के दिन ही किया जाता है. भक्त बाकी दिन माता के दर्शन नहीं कर सकते. ऐसे में माता धूमावती के दर्शन करने के लिए सुबह से ही मन्दिर मे श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ जाती है!
सुहागिनें नहीं करतीं माता के दर्शन
इस नवरात्रि में माता धूमावती के दर्शन का संयोग एक बार का ही है. बता दें कि नवरात्रि के शनिवार को ही माता धूमावती के पट खोले जाते हैं. तभी उनके दर्शन संभव हैं. किवदंती है कि सौभाग्यवती महिलाओं को माता का दर्शन मना है! सुहागिनें माता के दर्शन नहीं करती हैं! ऐसा देवी के वैधव्य रूप के कारण है!
हालांकि मंदिर के पुजारी के मुताबिक, ऐसा नहीं है. सुहागिनों को केवल माता की मूर्ति छूना मना है. बाकी पूजा का निषेध नहीं है. पुजारी ने कहा कि जो महाकाल भगवान शंकर को उदर में धारण कर सकती हैं. वह महिलाओं के सौभाग्य भक्षक काल को भी निगल कर चिर सौभाग्य का वरदान देती हैं. सौभाग्यवती महिलाओं के अलावा विधवा, विधुर, कन्याएं और बालक माता को स्पर्श भी कर सकते हैं. माता की यह मूर्ति रूप श्री नैमिषारण्य के कालीपीठ संस्थान में स्थित है!
क्यों हर दिन नहीं कर सकते माता के दर्शन
मंदिर के पुजारी ने मां की महिमा का गुणगान करते हुए बताया कि दस महाविद्या उग्र देवी धूमावती देवी का स्वरूप विधवा का है! इनका वाहन कौवा है! माता सफेद वस्त्र धारण किए हुए हैं! खुले केश उनके रूप को और भी भयंकर बना देते हैं. यही वजह है कि मां धूमावती के प्रतिदिन दर्शन न करने की परंपरा है. शनिवार को काले कपडे़ में काले तिल मां के चरणों में भेंट किये जाते हैं. मां के दर्शन कर मानचाहे फल की प्राप्ति होती है.