एक शाम इमरोज़ के नाम अपूर्वा सम्मान समारोह 2024 

One evening in the name of Imroz, Apoorva Samman Ceremony 2024
 
लखनऊ। लखनऊ पुस्तक मेले में आख़िरी शाम इमरोज़ के नाम रही। अपूर्वा द्वारा आयोजित 29वें सम्मान समारोह की अध्यक्षता आशिमा सिंह ने की, मुख्य अतिथि के रूप में पद्मश्री विद्या बिंदु सिंह मौजूद थी। विशिष्ट अतिथि सुरभि सिंह, वर्षा वर्मा, विभूति मिश्रा व सैयद ज़िया अल्वी साहब के मध्य प्रसिद्ध इतिहासकार |


प्रो. रवि भट्ट को लाइफटाइम एचीवमेंट सम्मान 2024, प्रसिद्ध शायरा तारा इकबाल को राजेश विद्रोही स्मृति व प्रो. डॉ. विभा अग्निहोत्री एवं डॉ. सीमा गुप्ता को नारी शक्ति सम्मान दिया गया। जरूरतमंद बच्चों की शिक्षा हेतु ममता सक्सेना भी सम्मानित हुई। 
विद्या बिंदु सिंह ने संस्था के साहित्य पर्यावरण व बच्चों की शिक्षा के कार्यों को अतुलनीय बताया और अपूर्वा के सम्मानों की सूची की सराहना की, प्रो. रवि भट्ट ने संस्था के सचिव संजय 'हमनवा' का साधुवाद देते हुए सभी का आभार व्यक्त किया।

इमरोज़ को आज के युग का राँझा बताते हुए संजय 'हमनवा' ने उन्हें "पवित्र प्रेम का प्रतीक" कहा।
तारा इक़बाल ने "तुम्हारे गमलों में आकर ये बोन साई हुए, हमारे गाँव में होते तो शजर होते" पढ़ा।
आगामी होली पर सयैद ज़िया अल्वी साहब ने "बुझे प्यास मुझसे भी तश्ना लबों की, मैं कतरा हूँ तू मुझको दरिया सा रंग दे" पढ़ा। 

डॉ श्वेता 'अज़ल' की ग़ज़ल "किस सुकूँ की तलाश है उसको क्यों मुसलसल सफ़र में रहता है" बहुत सराही गई ,देश के प्रतिष्ठित शायरों में शुमार राम प्रकाश बेख़ुद, मनीष शुक्ला, पवन कुमार को देर शाम तक चले कार्यक्रम में खचाखच भरे पंडाल में खूब वाहवाही मिली कार्यक्रम का संचालन संजय मल्होत्रा 'हमनवा' एवं आयुष चतुर्वेदी ने किया डॉ अमित अवस्थी, संजीव शुक्ला, डॉ. संदीप, गोबर गणेश, मनमोहन बारकोटी, डॉ.सुधा मिश्रा, अर्चना सिंह व नवीन शुक्ला की रचनाओं को खूब सराहा गया।
संजय 'हमनवा' ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए "मिलते ही जो लगे हमारा ऐसा कोई नहीं मिलता बन जाए जो आंख का तारा ऐसा कोई नहीं मिलता" पढ़ी धन्यवाद ज्ञापन डॉ. श्वेता श्रीवास्तव 'अज़ल' ने किया।