अग्रिम मोहन, प्रीति सिंह, कृष्णा नंद सिन्हा, शिखा को प्रथम पुरस्कार एक -  एक लाख रुपए प्रदान किए गए 

First prize of Rs 1 lakh each was awarded to Advance Mohan, Preeti Singh, Krishna Nand Sinha, Shikha.
 
उत्तर प्रदेश डेस्क लखनऊ ( आर एल पाण्डेय )। परिषद द्वारा शोध एवं विकास, बायोटेक्नोलोजी, इंजीनियरिंग, इन्नोवेशन, बौद्धिक सम्पदा संरक्षण इत्यादि के क्षेत्रों में विभिन्न गतिविधियां तथा कार्यक्रम किये जाते हैं, जिनमें प्रतिवर्ष उत्रोत्तर वृद्धि हो रही है। गत् वर्ष विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों से 114 रिसर्च प्रोजेक्ट स्वीकृत किये गये जो कि परिषद की ऐतिहासिक उपलब्धि है। 


परिषद द्वारा उ0प्र0 में अध्ययनरत अभियांत्रिकी के अन्तिम वर्ष के विद्यार्थियों के नवाचार तथा स्थानीय एवं पर्यावरण समस्याओं के निराकरण पर आधारित प्रोजेक्ट्स को प्रोत्साहित किये जाने हेतु सी.एस.टी.यू.पी. अभियांत्रिकी विद्यार्थी प्रोजेक्ट अनुदान योजना का प्रारम्भ वर्ष 2017 से किया गया। इस योजना के अन्र्तगत बी.टेक. अन्तिम वर्ष के विद्यार्थियों द्वारा प्रोजेक्टस आमंत्रित किये जाते हैं। परियोजना के अन्तर्गत वर्ष 2023-24 में उत्तर प्रदेश में कार्यरत तकनीकी विश्वविद्यालयों एवं तकनीकी कालेजों से विद्यार्थियों के मौलिक प्रस्ताव प्रोजेक्ट डेवलपमेंट हेतु परिषद पोर्टल के माध्यम से आमंत्रित किये गये थे। इस वर्ष इस योजना के अन्तर्गत 475 प्रोजेक्ट्स प्राप्त हुए जिनका मूल्यांकन प्रदेश के विभिन्न तकनीकी संस्थानों के विशेषज्ञों के समिति द्वारा किया गया। मूल्यांकनोपरान्त 60 प्रोजेक्ट्स को अधिकतम  रू.20,000/-के अनुदान हेतु चयनित किया गया। गत वर्ष 2023 के दिसम्बर माह के अन्तिम सप्ताह में योजना के प्रथम चरण में रू.10,000/- की अग्रिम राशि प्रोजेक्ट निर्माण हेतु विद्यार्थियों के बैंक खातों में हस्तांतरित कर दी गयी थी।  


    द्वितीय चरण में पूर्व में चयनित 60 प्रोजेक्ट्स के अन्तिम रूप से प्रदर्शन तथा मूल्यांकन कार्यक्रम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, उ0प्र0 लखनऊ के परिसर में आयोजित किया गया। प्रोजेक्ट्स के मूल्यांकन हेतु 09 सदस्यीय मूल्यांकन समिति में विभिन्न तकनीकी संस्थानों के विषय विशेषज्ञों को सम्मिलित किया गया। कार्यक्रम में प्रतिभाग करने वाले सभी विद्यार्थियों ने अत्यन्त उत्साह के साथ मूल्यांकन समिति के समक्ष अपने प्रोजेक्ट का प्रदर्शन किया तथा सामाजिक एवं पर्यावरण हित में प्रोजेक्ट्स की उपयोगिता से परिचित कराया। मूल्यांकन समिति द्वारा प्रोजेक्ट्स की नवीनता तथा उपयोगिता के आधार पर प्रोजेक्ट्स का मूल्यांकन किया गया साथ ही विद्यार्थियों को प्रोजेक्ट्स में संभावित सुधारों तथा नई दिशाओं में विज्ञान एवं तकनीक का प्रयोग करने हेतु मार्गदर्शन भी प्रदान किया गया। 


कम्प्यूटर साइंस एवं आई0टी0 से सम्बन्धित अधिकांश प्राजेक्टों में विद्यार्थियों द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेन्स, मशीन लर्निंग, ब्लाक चेन टेक्नोलोजी इत्यादि आधुनिक तकनीकों का प्रयोग किया गया है। इसमें में से 01 प्रोजेक्ट एड्रुनो माइक्रो कंट्रोलर  पर आधारित ग्रह एवं तारों के लगातार ट्रैक करने वाला माउंट (Arduino based Star and Planet Tracker) है, जिसमें एड्रुनो माइक्रो कंट्रोलर  (Arduino micro controllor) का उपयोग कर रात्रि के आकाश में खगोलीय पिंडों (Celestial Bodies) को सटीकता पूर्वक ट्रैक (precisely track) किया जा सकता है। परिषद के वैज्ञानिक अधिकारी, एवं उत्तर प्रदेश अमेचर एस्ट्रोनॉमर्स क्लब के मेंटर,  सुमित कुमार श्रीवास्तव द्वारा इस प्रोजेक्ट की प्रंशसा की गयी तथा यह बताया गया कि अभी भारत वर्ष में कंप्यूटराइज्ड माउंट इम्पोर्ट किये जाते है. यह अपने तरह का एक दम नया और पूर्णतया स्वदेशी कंप्यूटराइज्ड माउंट का माडल है. एक प्रोजेक्ट मोबाइल फ़ोन के लत यानि कि नोमोफोबिया का आकलन और भविष्यवाणी (Assessment and Prediction of Nomophobia) से सम्बन्धित है, जिसमें मशीन लर्निंग का उपयोग कर विद्यार्थियों में पाये जाने वाली स्मार्ट फोन एडिक्शन का पता लगाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त ब्लाक चेन टेक्नोलॉजी के माध्यम से नकली दवा का पता लगाना, आर्टिफिशियल इंटेलिजेन्स के माध्यम से लंग कैंसर का पता लगाना, मशीन लर्निंग का उपयोग कर वाहन चालकों को गाड़ी चलाते समय नींद आने के कारण होने वाले एक्सीडेन्ट को रोकना, गंगाजल में पाये जाने वाली विभिन्न प्रदूषक (Pollutants) का पता लगाना तथा जल की गुणवत्ता का आकलन किये जाने से (water quality assessment) से सम्बन्धित प्रोजेक्ट हैं।

 
सिविल इंजीनियरिंग में बैसिलस बैक्टीरिया (Bacillus Bacteria) का उपयोग कर कोनक्रीट की स्ट्रेन्थ बढ़ाना, फसल अवशेष से बायोगैस बनाना, प्रारंभिक भू-स्खलन चेतावनी प्रणाली (Early Land slide warning system) कोयले की राख से उच्च गुणवत्ता वाली ईंट का निर्माण, मलबे के प्रयोग से कंक्रीट बनाना, कंक्रीट में वाटर हायेसीन्थ नामक पौधा तथा सेन्टामार्या फीवर फ्यू नामक पौधा का उपयोग इत्यादि प्रोजेक्ट चयनित किये गये। 
    मैकेनिकल इंजीनियरिंग से बिना चालक के चलने वाला वाहन, प्लास्टिक वेस्ट से बिजली उत्पादन, हाइब्रिड विंड टरबाइन, कास्ट इफेक्टिव 3डी प्रिन्टिंग फिलामेन्ट, गैस लीकेज डिटेक्शन सिस्टम इत्यादि प्रोजेक्ट चयनित किये गये हैं। इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग से स्मार्ट शुगरकेन हार्वेस्ट, दिव्यांगजनों हेतु स्मार्ट ट्रेवलिंग एसिस्टेन्ट सिस्टम, स्मार्ट आई0ओ0टी0 बेस्ड इलेक्ट्रिकल व्हीकल चार्जिंग स्टेशन इत्यादि प्रोजेक्ट चयनित किये गये हैं। 


    इलेक्ट्रानिक्स एण्ड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग से आई0ओ0टी0 बेस्ड कैटल इन्ट्रूजन, डिटेक्शन सिस्टम जिसके द्वारा खेतों में आने वाले छुट्टा जानवरों को भगाया जा सकता है, जो कि प्रदेश में एक व्यापक समस्या है, आई0ओ0टी0 बेस्ड वेस्ट मैनेजमेन्ट सिस्टम, महिलाओं हेतु सेल्फ डिफेन्स सिस्टम, आई0ओ0टी0 बेस्ड वाटर वेस्ट सेग्रीगेटर इत्यादि प्रोजेक्ट चयनित किये गये है। इस स्कीम के प्रभारी  राधेलाल, संयुक्त निदेशक , द्वारा बताया गया कि सभी चयनित प्रोजेक्ट हमारे दैनिक जीवन से सम्बन्धित समस्याओं, लोकल एवं रीजनल समस्याओं तथा प्रदेश की समस्याओं के सोल्यूशन हेतु अत्यन्त उपयोगी है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि  शिवप्रसाद, सचिव, विप्रौप0 द्वारा विद्यार्थियों के प्रोजेक्ट्स कि सराहना करते हुए अपने आशिर्वचन से उनका प्रोत्साहन किया गया. उनके द्वारा डॉ आंबेडकर इंस्टिट्यूट फॉर हैंडीकैप्ड , कानपुर के प्रोजेक्ट एवं प्रोटोटाइप "दिव्यांग जनों हेतु सोलर पॉवेरेड ट्राई साइकिल" तथा  डॉ० राम मनोहर लोहिया अवध यूनिवर्सिटी, अयोध्या के विद्यार्थियों द्वारा नवन्वेषित "गैस लीकेज डिटेक्शन सिस्टम" की बहुत सराहना की .  शिवप्रसाद, सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, उत्तर प्रदेश द्वारा दृष्टिबाधित दिव्यांगो के लिए एच० बी० टी० यू०, कानपुर के विद्यार्थियों द्वारा नवनिर्मित "स्मार्ट ट्रेवल असिस्टेंट सिस्टम फार ब्लाइंड पर्सन" की भूरि-भूरि प्रंशसा की तथा इससे दृष्टिबाधित दिव्यांगो के लिए वरदान बताया. डॉ० पूजा यादव, संयुक्त निदेशक, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, उत्तर प्रदेश द्वारा आई० ई० टी०, लखनऊ के विद्याथियों द्वारा नवीन एवं अनोखे प्रोजेक्ट " एक्सट्रैक्शन ऑफ़ स्पेंट लिथियम यूसिंग ग्रीन साल्वेंट" की प्रंशसा की तथा इसे ई-वेस्ट का एक बेहतरीन उपाय बताया. साथ ही ये बताया कि यह प्रोजेक्ट आने वाले समय में पर्यावरण संरक्षण हेतु अत्यंत उपयोगी साबित होगा. 


    सभी 60 प्रोजेक्ट्स के प्रदर्शन एवं मूल्यांकन के बाद  अग्रिम मोहन, प्रीति सिंह, कृष्णा नंद सिन्हा, शिखा को प्रथम पुरस्कार रू.1.00 लाख,  अभिषेक मौर्य, अश्वनी यादव, सचिन तिवारी एवम् सौरभ को द्वितीय पुरस्कार रू.75,000/- एवं  अमित द्विवेदी, कमलेश यादव, निर्भय राय, एवम् श्रुति श्रीवास्तव को तृतीय पुरस्कार रू.50,000.00 की धनराशि सम्मान पत्र के साथ प्रदान की गयी। इसके अतिरिक्त 05 प्रोजेक्ट्स को सांत्वना धनराशि के रूप में रू.5,000.00 प्रदान की गयी एवं सभी प्रतिभागियों तथा उनके गाइड टीचर्स को प्रमाणपत्र प्रदान किये गये।
    कार्यक्रम में परिषद की संयुक्त निदेशक डॉ० हुमा मुस्तफा द्वारा कार्यक्रम में आये हुए सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया गया। डॉ० डी.के.श्रीवास्तव, निदेशक द्वारा कार्यक्रम का परिचय दिया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि  शिवप्रसाद, सचिव, विप्रौप0 द्वारा सभी प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। इस कार्यक्रम में सुमित कुमार श्रीवास्तव, वैज्ञानिक अधिकारी तथा अन्य अधिकारी एवं कर्मचारियों ने विभिन्न गतिविधियों में अपने सहयोग प्रदान किया.  संदीप यादव द्वारा कार्यक्रम का मंच सञ्चालन किया गया.  पूजा यादव, संयुक्त निदेशक द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम समाप्त किया गया।