बैंगलोर में पानी क्यों नहीं है | Why Bangalore Has Water Crisis?

बैंगलोर को पानी कहां से मिलता है | What Are The Problems In Bangalore?

 

Bengaluru Water Crisis

Water Crisis In Bangalore Latest News

How Is The Water Quality In Bangalore?

हमलोग अपने बचपन से सुनते चले आ रहे हैं की जल ही जीवन है.... और ये कई हद तक सही भी है, सोंचिये अगर हमे अपनी लाइफ बिना पानी के गुजारनी पड़े तो हमारा जीवन कितना मुश्किल हो जायेगा.... लेकिन आज हम जिस शहर की बात करने जा रहे हैं... वहां लोग पानी की महामारी से परेशान हैं... जी हाँ, हम बात कर रहे हैं, कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू की...

जल संकट का प्रमुख कारण क्या है?

देश का आईटी हब यानि  बेंगलुरु भीषण जल संकट से जूझ रहा है... जिसके चलते वॉटर टैंकर ऑपरेटर वहां की स्थितियों का फायदा उठाने में जुटे हुए हैं..... मतलब पहले जिस 1000 लीटर पानी के टैंकर की कीमत 600-800 रुपये के बीच थी... वही, अब 2,000 रुपये से भी ज्‍यादा हो गई है... इस महामारी ने तो कोरोना के समय ऑक्‍सीजन सिलेंडर की किल्‍लत की याद दिला दी है.... क्यूंकि उस वक्‍त अचानक हजारों रुपये में ऑक्‍सीजन सिलेंडर बिकने लगा था.... लोग अपनी जान बचाने के लिए कोई भी कीमत देने को तैयार थे.. और अब बेंगलुरु में ऐसी स्थिति से लोग परेशान हैं....  अब आप सोच रहे होंगे की ऐसी क्या वजह है, की बेंगलुरु को इतने भीषण जल संकट से जूझना पड़ रहा है...  तो इसका सबसे पहला कारण है, वहां पर्याप्त बारिश न होना, जिसके चलते कावेरी नदी के जल स्तर में काफी गिरावट आई है... जिसकी वजह से  पेयजल आपूर्ति और कृषि सिंचाई दोनों पर ही बुरा असर पड़ता दिखाई दे रहा है... और कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने भी कहा है की 'सभी बोरवेलों में से लगभग 3,000 बोरवेल सूखे पड़े हैं.. जिसके चलते वहां रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशंस ने अपने इलाकों में पानी की राशनिंग शुरू कर दी है... साथ ही वाहन धोने और स्विमिंग पूल एक्टिविटीज पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है... कुछ अन्य आरडब्ल्यूए ने निवासियों से पानी के दुरुपयोग पर नजर रखने के लिए सुरक्षा कर्मी तैनात किए हैं... साथ ही चेतावनी दी है कि जो भी पानी की खपत को 20% तक कम नहीं करेंगे, उनसे 5,000 रुपये का शुल्क लिया जाएगा।... 

बैंगलोर को पानी कहां से मिलता है?

और बेंगलुरु में इतना सूखा पड़ने की पहली वजह है, वहां का खराब प्रबंधन .... क्यूंकि परंपरागत रूप से कावेरी और स्थानीय झीलें बेंगलुरु को अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रखती हैं... और रिकॉर्ड के मुताबिक 1961 तक यहां कम से कम 262 झीलें थीं..  अब केवल 81 हैं... इनमें से भी केवल 33 को 'जीवित' के रूप में पहचाना जाता है, और बाकी को शहरी फैलाव की भेंट चढ़ा दिया गया है.... और दूसरी वजह है वहां कम बारिश होना...  क्यूंकि पिछले दो मानसून सीजन कमजोर थे... जिसकी वजह से कावेरी नदी में जल स्तर कम हो गया, जो बेंगलुरु की पीने और सिंचाई की जरूरतों के लिए पानी का प्राथमिक स्रोत है... और तीसरी वजह है वहां का घटता भूजल, बोरवेलों पर ज्यादा निर्भरता ने बेंगलुरु में भूजल स्तर को काफी कम कर दिया है, और लगातार खराब मानसून के कारण ये बोरवेल सूख गए हैं...  अब सवाल फिर से घूमकर वहीँ आ जाता है की वहां पर पानी की पूर्ति के लिए सरकार क्या कदम उठाएगी, तो आपको बता दें की लोग नागरिक निकाय बेंगलुरु जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड (BWSSB ) के अधिकारियों ने कहा कि बेंगलुरु में पानी के संकट को दूर करने के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल करके फिल्टर बोरवेल अब शहर में भी लगाए जाएंगे. BWSSB के अध्यक्ष राम प्रसाद मनोहर ने कहा है कि यह पहल भारतीय विज्ञान संस्थान (IISC ) के सहयोग से की गई है. इससे सिस्टम में लगभग 20-30 एमएलडी Minimal Liquid Discharge) पानी जुड़ने की उम्मीद है.... 

बहरहाल हम यही दुआ करते हैं की वहां पानी की किल्लत से जूझ रहे लोगों को जल्द रहत मिले, क्यूंकि हमारे जीवन में पानी की क्या प्राथमिकता है, इसे बयां करना शायद आसान नहीं ..