अयोध्या में हुआ कार्यक्रम का आयोजन | Ram Mandir Ayodhya Update
अयोध्या में कौन सा प्रोग्राम चल रहा है | Ayodhya Me Hua Bhavya Karyakram
Ram Mandir Ayodhya
अयोध्या में हुआ कार्यक्रम का आयोजन
Ayodhya Ka Karyakram
तुलसी उद्यान में आज सूर्यवंशी भगवान रामचन्द्र की अयोध्या में भारतीय शौर्य की एक नई गाथा लिखी गई। सम्पूर्ण भारत के 11 प्रदेशो के 250 से ज़्यादा कलाकारो ने अपने उन पारंपरिक लोकनृत्यों का प्रदर्शन करके इतिहास रच दिया,जिसमे नृत्य के साथ शस्त्र का समन्वय होता है।
अयोध्या में दिखा परंपराओं में भारतीय शौर्य गाथा...
शास्त्र की रक्षा हेतु शस्त्र धारण की अवधारणा सनातन संस्कृति की पहचान है।इसी विरासत को पीढ़ियों से लोक ने अपने संस्कारो में संजो कर रखा है। केरल के कलरिपट्टू से लेकर मणिपुर के थांग टा,गुजरात के तलवार रास से पंजाब का गतका इसी का प्रमाण है।
शौर्य पर्व का उद्घाटन आयुक्त अयोध्या मंडल गौरव दयाल ने दीप प्रज्जवलित करके किया उनके साथ मंच पर निदेशक लोक जनजाति और संस्कृति संस्थान डा.अतुल द्विवेदी, प्रो.ओम प्रकाश भारती, डॉ देवेन्द्र कुमार त्रिपाठी सचिव केंद्रीय ललित कला अकादमी लखनऊ, श्री सुधीर तिवारी उपस्थित थे।
शौर्य पर्व पर लोकनृत्यों में शस्त्र समन्वय
मुख्य अतिथि गौरव दयाल ने कहा कि अपनी परंपराओं को संरक्षित करके मुख्यधारा में लाना हम सबका कर्तव्य है।आज के कार्यक्रम से लोगो को अपनी समृद्ध संस्कृति को जानने का अवसर मिलेगा। कार्यक्रम का आरम्भ छाऊ नृत्य शैली में बंगाल के और शंख वादन से ओडिशा के कलाकारो ने किया। मल्लखंब की प्रस्तुति में कलाकारो ने शीर्षासन और योग कि मुद्राएं दिखाई वही समूह में किए गए आसान और पिरामिड ने अचंभित कर दिया।
ओडिसा के सुनील साहू ने शंख वादन से युद्ध के आरंभ और अंत में विराम के लिए किया जाता था,उसका प्रदर्शन किया उत्तर प्रदेश के कलाकारो ने महोबा कि लड़ाई आल्हा सुनाया तो पूरा पांडाल शौर्य से भर गया। किसी भी सांस्कृतिक मंच पर आजतक इतने लोक कलाकारो ने इस तरह की अनूठी प्रस्तुति नही दी थी। कलाकारो के रंग बिरंगे परिधानों और रोमांचक करतबों से पूरा पांडाल विस्मित था।
तुलसी मंच पर शौर्य पर्व ने रचा विश्व कीर्तिमान
कलारिपट्टू में कलाकारो का हवा में कलाबाज़ियां कहते हुए वार करना महाराष्ट्र की महिलाओ द्वारा लाठी और तलवार के सहारे एक साथ कई पुरुषों को पराजित करना सभी को हर्षित कर रहा था। पंजाब के जांबाजों को गतका उनकी युद्ध शैली को प्रतिबिंबित कर रहा था तो मणिपुर के कलाकारो का थांग टा अपने कौशल से चकित कर रहा था।तेलंगाना का कर्रा सामू में चपलता से शस्त्रों का प्रहार और बचाव माहौल में शौर्य को दिखा रहा था तो गुजरात की महिलाओ का तलवार पर करतब हतप्रभ कर रहा था।
लोक कलाओं के माध्यम से अपनी संस्कृति कि रक्षा के लिए युद्ध कला और शस्त्रों का कुशलता से प्रयोग संस्कारो के साथ विकसित करने की भारतीय परंपरा से परिचित होकर सभी जन विह्वल थे। इस अवसर पर रामायण कान्क्लेव के समन्वयक आशुतोष द्विवेदी, डॉ रानी अवस्थी,संतजन समेत भारी संख्या में दर्शक उपस्थित थे।