हीरोज क्लब बालिका वर्ग और छात्रावास बालक वर्ग में फाइव ए साइड हॉकी टूर्नामेंट का बना विजेता
सब जूनियर मिक्स वर्ग में हीरोज ब्लू ने हीरोज रेड को 1-0 से पराजित कर फाइनल जीता
स्टेडियम की ओर से अनुज और मानव ने दो- दो गोल किए।जबकि हीरोज क्लब की ओर से विपिन ने दो गोल किए। सब जूनियर मिक्स वर्ग में हीरोज ब्लू ने हीरोज रेड को 1-0 से पराजित कर फाइनल जीता। रश्मि ने एकमात्र विजई गोल दागा।सीनियर बालक वर्ग में छात्रावास 'ए' ने एलवीएम टीम को 3-2 से हराकर खिताब अपने नाम किया। मध्यांतर तक दोनो ही टीमें गोल करने में नाकाम रही।मध्यांतर के बाद झांसी छात्रावास की ओर से अंकित पटेल विवेक यादव और सोनू पटेल ने एक-एक गोल किया।
सीनियर बालिका वर्ग के फाइनल में हीरोज क्लब की टीम एल वी एम को 3-1 से हराकर चैंपियन बनी
जबकि सीनियर बालिका वर्ग के फाइनल में हीरोज क्लब की टीम एल वी एम को 3-1 से हराकर चैंपियन बनी।चंदा ने शानदार खेल दिखाते हुए 2 गोल और ज्योति सिंह ने एक गोल किया। एल वी एम की ओर से कशिश सोनकर ने एक मात्र गोल किया। मैच के निर्णायक अमित गुप्ता, सैयद अली,बृजेश कुशवाहा, सुनीता तिवारी, रूपेंद्र कुमार रहे।
पुरुस्कार वितरण समारोह के अतिथि पूर्व अंतरास्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी अब्दुल अजीज , जमशेर खान, प्रभारी क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी सुरेश बोनकर,उत्तर प्रदेश बॉक्सिंग संघ के कोषाध्यक्ष डॉक्टर रोहित पांडेय, राष्ट्रपति पुरुस्कार से सम्मानित डॉ नीति शास्त्री,अरुण कुमार सिंह दीपक, उमेश सिंह ध्यानचंद,अरुण सिंह, शाहिद कुरैशी, हिक्मत उल्ला ने विजेता उपविजेता टीमों के खिलाड़ियों को ट्रॉफी और व्यक्तिगत पुरुस्कार प्रदान किए।बालक वर्ग ने आलोक,शिवराज, विपिन और बालिका वर्ग में सलोनी और अनुष्का को विशेष पुरुस्कार प्रदान किया गया।
बारां राजस्थान खेल विभाग एवं जिला खेल अधिकारी विशाल सिंह द्वारा प्रदत्त हॉकी व स्मृति चिन्ह टूर्नामेंट की सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चंदा सिंह खाटी और आयोजन समिति के विवेक सिंह को वैभव प्रताप सिंह ने प्रदान कर सम्मानित किया।
इस अवसर पर हीरोज क्रीड़ा विकास समिति के सचिव अशोक सेन पाली,इशरत हुसैन,तुषार सिंह,राजीव सिंह,अनिल ठाकुर,विक्की सिंह,प्रिय सागर,पारुल सिंह,सलीम कप्तान, हीरालाल कुशवाहा,सलीम उद्दीन,
जगदीश,ताज अब्बास,संजय संजय भारती, अमित सेन,सुनील आदि उपस्थिति रहे।पुरुस्कार वितरण कार्यक्रम का संचालन बृजेंद्र यादव ने और सभी का आभार आयोजक संजीव ध्यानचंद व विवेक सिंह ने संयुक्त रूप से व्यक्त किया।