अबू धाबी में कौन सा हिंदू मंदिर बन रहा है | BAPS Hindu Mandir Abu Dhabi 

क्या दुबई में कोई मंदिर है | Which God is Worshipped in BAPS?

 

BAPS Hindu Mandir

क्या दुबई में कोई मंदिर है?

How many BAPS temple in world

अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के साथ ही प्रभु श्री राम के करोड़ों अनुयायियों का 500 सालों से चला आ रहा इंतजार खत्म हुआ. इसी साल के पहले महीने की 22 तारीख को देशभर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का समारोह भक्ति और उत्साह के साथ मनाया गया और राम ज्योति से पूरा देश रौशन हो गया. यह तो रही भारत की बात. सनातन प्रेमियों के लिए एक और अच्छी खबर है. और वह यह है कि पहली बार किसी मिडल ईस्ट कंट्री में अयोध्या के जैसे राम मंदिर की तरह ही एक भव्य मंदिर का निर्माण हुआ है. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर कैसे एक अरब मुल्क में हिंदुओं का एक भव्य मंदिर बनकर तैयार हुआ और इस मंदिर की क्या खास बातें हैं.

अरब के पहले हिंदू मंदिर की क्या है खासियत?

जब अयोध्या में राम मंदिर बनकर तैयार हुआ तो इस्लामिक और मुस्लिम बहुल देशों के संगठन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन यानी ओआईसी ने खुलकर इसके खिलाफ बयानबाजी की. इस संगठन की तरफ से कहा गया की मस्जिद की जमीन पर मंदिर बना देना सरासर गलत है और चिंता का भी विषय है. तो अब आप सोच सकते हैं कि जब भारत में जहां हिंदू बहुसंख्यक हैं, ऐसे देश में मंदिर का निर्माण होना मुस्लिम देशों के संगठन को ज़रा भी रास नहीं आ रहा है तो संयुक्त अरब अमीरात में वो एक भव्य मंदिर का निर्माण होते कैसे देख सकते थे. लेकिन मंदिर का निर्माण हुआ. डंके की चोट पर हुआ. लेकिन कोई कुछ नहीं कर सका. और इसकी वजह थी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ठोस और मजबूत विदेश नीति. जी हां, इसे आप नरेंद्र मोदी की विदेश नीति का कमाल नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे कि वो मुल्क जहां इस्लामी कानून माने जाते हैं ऐसे मुल्क में एक भव्य मंदिर बनकर तैयार हुआ है. सीधी सी बात है कि हमारे देश से लाखों लोग दूसरे मुल्कों में काम करने जाते हैं. अरब मुल्कों में भारत के लोग ज्यादा मिलते हैं. ऐसा नहीं है कि सिर्फ देश के मुस्लिम नागरिक ही अरब मुल्कों में काम करने जाते हैं. बल्कि हिंदू भी रोजी-रोटी के लिए इन देशों का रुख करते हैं. ऐसे में उन्हें अगर सबसे ज्यादा किसी चीज में परेशानी होती है तो वह है पूजा-पाठ की रस्में अदा करने में. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन लोगों की भावनाओं की कद्र किया और अरब मुल्कों के साथ दोस्ती वाला रिश्ता कायम करके वहां मंदिर की नींव डलवा दी. वह मंदिर जो अब बनकर बिल्कुल तैयार है. भारत और यूएई के बीच सद्भाव को दर्शाने के लिए इस मंदिर का निर्माण कराया गया है. बस अब इंतजार है तो 14 फरवरी का. यह वो दिन है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन करने संयुक्त अरब अमीरात पहुंचेंगे. बताया जा रहा है कि आम लोगों के लिए इसे 18 फरवरी को खोल दिया जाएगा. 

क्या सऊदी अरब में कोई हिंदू मंदिर है?

जिस मंदिर की बात हम इतनी देर से कर रहे हैं उसका नाम है बीएपीएस हिंदू मंदिर. इसे संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी अबू धाबी में बनाकर तैयार किया गया है. इसका निर्माण बीएपीएस संस्था की ओर से कराया गया है. वोही बीएपीएस संस्था जिसके बारे में कहा जाता है कि इस संस्था की तरफ से करीब 1100 मंदिर अब तक बनाए जा चुके हैं. 27 एकड़ जमीन पर बना यह मंदिर कई मायनों में बेहद खास है. आपको बता दें कि 27 एकड़ जमीन संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद जायद अल नाहयान ने दान में दी थी. उससे भी खास बात यह है कि इस मंदिर का निर्माण करने वाले कारीगर वहां के लोकल नहीं है बल्कि भारत से ही गए हुए थे. जी हां इस मंदिर का निर्माण भारतीय कारीगरों ने ही किया है. इस मंदिर को एक खास तरीके से बनाया गया है. बात करें अगर इस मंदिर के डिजाइन की तो वो भी बेहद यूनिक है.  इसके अलावा इसमें जो पत्थर का इस्तेमाल हुआ है. उसे उत्तरी राजस्थान से अबू धाबी पहुंचाया गया है. इन पत्थरों की खास बात यह है कि यूएई की तपा देने वाली गर्मी से भी इन पत्थरों को कुछ नहीं होगा. साथ ही इन पत्थरों की नक्काशी के ज़रिए प्रामाणिक प्राचीन कला और वास्तुकला को पुनर्जीवित करने की कोशिश की गई है. साथ ही साथ इस मंदिर में आपको इटली के खूबसूरत संगमरमर भी नजर आएंगे.

अबू धाबी के पहले हिंदू मंदिर का उद्घाटन किसने किया?

अब जरा एक और बात जान लीजिए. अबू धाबी का ये मंदिर एशिया का सबसे बड़ा मंदिर है, जिसकी ऊंचाई 108 फीट है. लंबाई 79.86 मीटर और चौड़ाई 54.86 मीटर है. खैर, बात हो मंदिर के निर्माण की और उसमें घंटियों का जिक्र ना आए ऐसा तो हो ही नहीं सकता. मंदिर के सिर्फ बाहरी हिस्से में ही 96 घंटियां लगाई गई हैं. और तो और मंदिर में आकर्षक वॉटरफॉल का भी निर्माण किया गया है, जो कि पवित्र भारतीय नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती की झलक पेश करेगा. मंदिर के अंदर पत्थर की नक्काशी हिंदुओं के दोनों महाकाव्यों रामायण और महाभारत और हिंदू धर्मग्रंथों और पौराणिक कथाओं के अन्य आख्यानों के महत्वपूर्ण क्षणों का वर्णन करती हैं. मंदिर के अंदर की बनावट भी देखने लायक हैं. मंदिर में दो शानदार गुंबदों का भी निर्माण हुआ है, जो सद्भाव और शांति का संदेश दे रहा है. इस मंदिर में भारत के उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक के हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों को स्थापित किया जाएगा. सात शिखरों के नीचे देवताओं की मूर्तियां स्थापित की जाएंगी. इतना ही नहीं, मंदिर परिसर में कक्षाएं, प्रदर्शनी केंद्र और बच्चों के लिए खेल के मैदान भी होंगे, ताकि बच्चों का भी इंटरेस्ट बना रहे.

यकीनन, जो ऐतिहासिक दृश्य देश ने 22 जनवरी को देखे थे. ठीक वही दृश्य पूरा देश और पूरी दुनिया 14 फरवरी को भी देखेगी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अबू धाबी में जाकर इस भव्य और अनोखे मंदिर का उद्घाटन करेंगे. धर्म से परे हर भारतवासी के लिए यह बेहद गौरव का क्षण होगा.