भगवान का नाम लड्डू गोपाल कैसे पड़ा | Bhagvan Shree Krishna Ko Laddu Gopal Kyu Kaha Jata Hai?

लड्डू गोपाल के पीछे की कहानी क्या है | Kanha Ji Ko Laddu Gopal Kyon Kahate Hain?

 

श्री कृष्ण के परम भक्त कौन थे?

Bhagwan Krishna Ke Kitne Naam Hai?

भगवन श्री कृष्णा की रोचक कहानी

सनातन धर्म में भगवान श्रीकृष्ण की उपासना का विशेष महत्व है... भगवान श्रीराम की बात करें तो उन्हें शील, सौंदर्य और शक्ति से परिपूर्ण त्रिवेणी संगम कहा गया है, इसलिए उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम की उपाधि दी गई है... यह भी सच है कि श्रीराम का शील, सौंदर्य और शक्ति का अद्भुत समन्वय पहले से ही कृष्ण में मौजूद है, लेकिन राम में प्रेम के जो तत्व नदारद हैं, वे भी श्रीकृष्ण में पाए जाते हैं...

भगवान श्री कृष्ण को लड्डू गोपाल क्यों कहा जाता है?

सनातन संस्कृति की अवतारी परपंरा में कृष्ण अकेले हैं जो दुखों के महासागर में हंसते-गाते-नाचते द्वीप की तरह हैं...  भगवान श्रीकृष्ण को कई नामों से जाना जाता है... जैसे- श्याम, मोहन, बंसीधर, कान्हा आदि... हालांकि लड्डू गोपाल उनका सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय नाम है... लेकिन क्या आपने कभी यह जानने की कोशिश की है कि भगवान कृष्ण का नाम लड्डू गोपाल कैसे और क्यों पड़ा? अगर नहीं तो चलिए इस रिपोर्ट में हम आपको बता देते हैं कि भगवान श्री कृष्ण को लड्डू गोपाल नाम से क्यों जाना जाता है...  दरअसल, भगवान श्री कृष्ण को लड्डू गोपाल कहे जाने के पीछे की कहानी जुड़ी है ब्रज भूमि में रहने वाले कुम्भनदास नाम के भगवान श्रीकृष्ण के एक परम भक्त से...

आखिर कैसे लड्डू गोपाल पड़ा भगवान श्री कृष्ण का नाम? जानें इससे जुड़ी रोचक कहानी

कुम्भनदास हर वक्त प्रभु श्री कृष्ण की भक्ति में लीन रहते थे और पूरे नियमावली से भगवान की सेवा करते थे... वे उन्हें छोड़ कर कहीं नहीं जाते थे, ताकि उनकी सेवा में कोई अड़चन न हो.. एक दिन की बात है... वृन्दावन से उनके पास भागवत कथा करने का न्योता आया... पहले तो उन्होंने मना कर दिया लेकिन लोगों के जोर देने पर वे कथा के लिए जाने के लिए तैयार हो गए... उन्होंने सोचा कि भगवान की सेवा की तैयारी करके वे रोजाना कथा करके वापस लौट आएंगे जिससे भगवान का सेवा नियम भी नहीं छूटेगा... उन्होंने अपने पुत्र रघुनंदन को समझा दिया कि वे भोग तैयार कर चुके हैं, तुम्हें बस समय पर ठाकुर जी यानी कृष्ण जी को भोग लगा देना है... कुम्भनदास अपने पुत्र को सारी बातें समझा कर भागवत कथा कराने के लिए निकल गए... कुम्भनदास के पुत्र रघुनंदन ने भोजन की थाली ठाकुर जी के सामने रखी और सरल मन से आग्रह किया कि ठाकुर जी आओ और भोग लगाओ... दरअसल रघुनंदन थे छोटे, उन्हें यह लगा कि भगवान कृष्ण प्रकट होकर खुद भोजन करने आएंगे... उसने बार-बार ठाकुर जी से आग्रह किया लेकिन भोजन तो वैसे का वैसे ही रखा रहा... अब रघुनंदन उदास हो गया और रोने लगा... 

भगवन श्री कृष्णा की रोचक कहानी

जब रघुनंदन रोने लगा तो भगवान कृष्ण से यह देखा नहीं गया... श्री कृष्ण ने एक बालक का रूप धारण किया और भोजन करने बैठ गए... यह द्रश्य देखकर रघुनंदन काफी खुश हुआ... रात को जब कुम्भनदास भागवत कथा करा कर वापस लौटे तो उन्होंने अपने बेटे से पूछा कि तुमने ठाकुर जी को भोग लगाया था? रघुनंदन ने कहा- हां... उन्होंने प्रसाद मांगा तो पुत्र ने कहा कि ठाकुर जी ने सारा भोजन खा लिया... अपने बेटे की यह बात सुनकर उन्होंने सोचा कि बच्चे को भूख लगी होगी तो सारा भोजन उसने ही खा लिया होगा... अब तो ये रोज का नियम हो गया कि कुम्भनदास जी भोजन की थाली लगाकर जाते और रघुनंदन ठाकुर जी को भोग लगाते और जब वे वापस लौटकर प्रसाद मांगते तो एक ही जवाब मिलता कि ठाकुर जी ने सारा भोजन खा लिया... कुम्भनदास जी को अब लगने लगा कि पुत्र झूठ बोलने लगा है... कुंभनदास ने एक दिन अपने बेटे का झूठ पकड़ने के लिए एक योजना बनाई... कुम्भनदास ने एक दिन लड्डू बनाकर थाली में सजा दिए और छिप कर देखने लगे कि बच्चा क्या करता है... रघुनंदन ने रोज की तरह ही ठाकुर जी को पुकारा तो ठाकुर जी बालक के रूप में प्रकट होकर आए और लड्डू खाने लगे... यह देखकर कुम्भनदास दौड़ते हुए आए और प्रभु के चरणों में गिरकर विनती करने लगे... उस समय ठाकुर जी के एक हाथ मे लड्डू और दूसरे हाथ वाला लड्डू मुख में जाने को ही था कि वे जड़ हो गए... उसके बाद से ही उनकी इसी रूप में पूजा की जाती है और वे ‘लड्डू गोपाल’ कहलाए जाने लगे...

आज भी हम देखते हैं कि जिन घरों में भगवान श्री कृष्ण की नियमित रूप से पूजा की जाती है वहां पर उन्हें लड्डू का भोग जरूर लगाया जाता है... एक आस्था होती है कि भगवान कृष्ण खुद लड्डू खाने आएंगे...  खैर, हमें उम्मीद है कि भगवान श्री कृष्ण से जुड़ी हुई यह कहानी आपको जरूर पसंद आई होगी...