फांसी की सजा सुबह 4.30 बजे ही क्यों दी जाती है | Rajdroh Ke Liye Kya Sza Di Jaati Hai ?

राजद्रोह का मतलब क्या होता है | Fansi Se Bhi Bdi Sja Kya Hoti Hai ?

 

Fansi Ki Sja Subah Hi Kyu Di Jati Hai?

भारत में फांसी कौन रोक सकता है?

Dahej Hatya Ke Liye Kya Saza Milti Hai?

by supriya singh

अगर कोई व्यक्ति किसी की हत्या कर देता है तो उसे कई सालों तक जेल की सजा हो जाती है. नही तो उस व्यक्ति को फांसी की जा सुनाई जाती है लेकिन आज हम आपको ऐसी सजा बताने जा रहे हैं, जो फांसी से भी बड़ी सजा हैं, ऐसी सजा जो फांसी की सजा से भी अधिक कठोर और क्रूर हैं. 

सूर्योदय से पहले फांसी क्यों की जाती है?

जी हाँ, दुनिया में कुछ ऐसे भी देश हैं जहाँ फांसी से भी बड़ी सजा है. जैसे की दुनिया की सबसे बड़ी सजा में से एक है, दहेज हत्या के लिए पत्थर से मारकर मार डालना.  जिसमे सऊदी अरब, इराक, ईरान, पाकिस्तान, यमन, और मलेशिया जैसे देशों में दहेज हत्या के लिए पत्थर से मारकर मार डालने की सजा दी जाती है. यह सजा सबसे क्रूर सजाओं में से एक मानी जाती है. और दूसरा है राजद्रोह के लिए मृत्युदंड, कुछ देशों में राजद्रोह के लिए मृत्युदंड की सजा दी जाती है. 

राजद्रोह का मतलब क्या होता है?

भारत में भी राजद्रोह के लिए मृत्युदंड की सजा दी जा सकती है, लेकिन हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि राजद्रोह के लिए मृत्युदंड की सजा असंवैधानिक है. इसके बाद है युद्ध अपराधों के लिए मृत्युदंड, युद्ध अपराधों जैसे नरसंहार, मानवता के खिलाफ अपराध, और युद्ध के नियमों का उल्लंघन करने के लिए मृत्युदंड की सजा दी जा सकती है. और इसके बाद है. कट्टरपंथी धार्मिक गुटों द्वारा दी जाने वाली सजाएँ, जैसे की कुछ कट्टरपंथी धार्मिक गुट अपने सदस्यों को अपराधों के लिए क्रूर और अमानवीय सजाएँ देते हैं. इन सजाओं में पत्थर से मारकर मार डालना, हाथ-पैर काटना, जिंदा दफनाना, और आग में झोंकना आदि शामिल हैं. और कुछ जगह मौत के बाद अपराधियों के परिवारों को भी सजा दी जाती है. जैसे उदाहरण के लिए सऊदी अरब में दहेज हत्या के लिए अपराधी के परिवार को भी दंडित किया जाता है. 

लोगों को सुबह जल्दी क्यों फांसी दी जाती है?

अब ये सारी सजा फांसी से बड़ी सजा के रूप में मानी जाती हैं, लेकिन अब सवाल ये है की फांसी की जो सजा है, वो सुबह 4 : 30 बजे ही क्यों दी जाती है. जेल के नियमों के अनुसार जेल के सभी कार्य सूर्योदय के बाद शुरू होते हैं. फांसी के कारण जेल के बाकी कार्य प्रभावित न हों, इसलिए इसे सुबह 4.30 बजे किया  जाता है. क्यूंकि फांसी की सजा एक गंभीर सजा है और इसे किसी भी तरह से शोरगुल या प्रचार के बिना  किया जाना चाहिए. सुबह 4.30 बजे यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि फांसी की सजा बिना किसी शोरगुल के दी जा सके. और फांसी की सजा के बाद शव का पोस्टमार्टम किया जाता है.  सुबह 4.30 बजे पोस्टमार्टम के लिए पर्याप्त समय होता है. और लोगो का मानना है कि सुबह 4.30 बजे फांसी की सजा देने से कैदी की मृत्यु के बाद उसके शरीर को जल्दी से ठंडा होने में मदद मिलती है जिससे पोस्टमार्टम में भी आसानी होती है.