Untold Stories of Hinduism : हिन्दू धर्म में 33 करोड़ देवता हैं या नहीं?

Hindu Dharm me 33 Crore Devta Story in Hindi
 
 
Supriya singh 

Untold Stories of Hinduism : हिंदू धर्म, जिसे सबसे ज्यादा प्राचीन माना जाता है, जिसमें बहुत सारे देवी देवताओं की पूजा की जाती है. और एक सवाल, जो हमेशा सेंटर ऑफ़ अट्रैक्शन रहता है, वो ये हिंदू धर्म में कुल कितने देवी देवता हैं. क्योंकि हिंदू धर्म को लेकर लोगों में बहुत सारी Misconceptions हैं. और आज के टाइम में भी मैक्सिमम लोगों का यही मानना है कि हिंदुओं के 33 करोड़ देवी- देवता होते हैं. तो चलिए जानते हैं, की क्या वाकई में हिंदुओ के 33 करोड़ देवी देवता होते हैं. 

हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवता क्यों हैं?

तो हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की संख्या को लेकर हमेशा से एक दिलचस्प चर्चा रहती है।क्यूंकि आमतौर पर माना जाता है कि हिंदू धर्म में तैंतीस करोड़ देवी-देवता हैं, लेकिन इस संख्या का क्या मतलब है, और क्या रामायण के अरण्यकांड में दी गई ये तैंतीस देवताओं की सूची से इसका कोई संबंध है. और ये सवाल न सिर्फ रिलीजियस लोगों के लिए, बल्कि बाकि के Devotees के लिए भी चर्चा में रहता है। तो अब मैं आपको  हिंदू धर्म के देवताओं की संख्या और रामायण के अरण्यकांड के चौदहवे सर्ग के चौदहवे श्लोक के Facts का Analysis बताते हैं. 

तो अगर मैं सबसे पहले तैंतीस करोड़ देवताओं के महत्व की बात करूँ, तो हिंदू धर्म में देवताओं की संख्या को लेकर कहा जाता है कि वो असंख्य हैं, जिनकी कुल संख्या तैंतीस करोड़ यानि 330 मिलियन है। और ये संख्या सुनने में बहुत बड़ी लगती है, लेकिन इसका प्रतीकात्मक महत्व है। दरअसल, हिंदू धर्म में देवी-देवताओं को कई रूपों में पूजा जाता है, और उनका कर्तव्य है जीवों के कल्याण के लिए काम करना। और तैंतीस करोड़ देवताओं की मान्यता का संबंध विभिन्न पुराणों और शास्त्रों से जुड़ा हुआ है। यहाँ "तैंतीस" संख्या का अर्थ सिर्फ एक शाब्दिक गणना नहीं है, बल्कि ये असीमितता और अनंत ब्रह्मा के विभिन्न रूपों का प्रतीक है। क्यूंकि जब हम इन देवताओं को गिनने की कोशिश करते हैं, तो हम पाते हैं कि वे डिफरेंट Classes में बांटे गए हैं, जिसमे प्रमुख देवता, उपदेवता, और उनके अनुयायी।

कहाँ वर्णन है 33 देवताओं का 

वहीँ अब अगर रामायण के अरण्यकांड की बात करें तो उसके चौदहवे सर्ग के चौदहवे श्लोक में, महर्षि वाल्मीकि ने उन तैंतीस देवताओं का उल्लेख किया है जो मुख्य रूप से बारह आदित्य, आठ वसु, ग्यारह रुद्र और दो अश्विनी कुमारों के रूप में जाने जाते हैं। ये देवता मुख्य रूप से वैदिक पंथों में महत्वपूर्ण माने जाते हैं, और इनकी पूजा विभिन्न धार्मिक कर्मकांडों और यज्ञों में की जाती है। और इस श्लोक में विशेष रूप से इन देवताओं के कार्यों और उनकी शक्तियों का वर्णन किया गया है।

बारह आदित्य और आठ वसु

तो अगर मैं पहले बारह आदित्य की बात करूँ, तो आदित्य वो देवता हैं जो सूर्य देवता के रूप में पूजे जाते हैं। वे दिन और रात के चक्र के संचालन, जीवन के पालन और संसार के प्रकाश के लिए जिम्मेदार होते हैं। और बारह आदित्य के नाम हैं- सूर्य, सोम, मङ्गल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु, केतु, अग्नि, यम और वरुण। इसके बाद हैं आठ वसु, वसु वो देवता हैं जिन्हें विशेष रूप से पृथ्वी, जल, आकाश, आकाशीय तत्वों और भूतल की शक्ति का प्रतिनिधित्व करने वाला माना जाता है। और आठ वसु का उल्लेख प्राचीन वैदिक ग्रंथों में किया गया है। इनके नाम हैं प्रद्युम्न, आनन्द, धर, अग्नि, वायु, प्रजापति, वरुण और आकाश।

ग्यारह रुद्र और दो अश्विनी कुमार

वही अगर हम ग्यारह रुद्र की बात करें तो रुद्र देवता को शिव का रूप माना जाता है, जो संहारक हैं। ग्यारह रुद्र वो देवता हैं जो प्रलयकाल में विश्व के संहारक होते हैं। उनके नाम हैं- शिव, महादेव, रुद्र, भीम, काल, शंकर, चित्ररथ, कालद्रष्टा, कुमार, आदि। और ये रुद्र देवता देवताओं के सेनापति होते हैं और उनका काम सृष्टि के विनाश और फिर से निर्माण में सहायक होता है। सबके लास्ट में आते हैं दो अश्विनी कुमार, अश्विनी कुमार दो दिव्य चिकित्सक देवता होते हैं, जो जीवन की संजीवनी और उपचार के लिए प्रसिद्ध हैं। इनका नाम "अश्विनी" का अर्थ होता है घोड़ा, और वे सूर्य देवता के पुत्र होते हैं। और इनकी पूजा विशेष रूप से चिकित्सा और स्वास्थ्य के लिए की जाती है।

तैंतीस देवताओं में है शक्ति का भंडार 

तो जब हम रामायण के संदर्भ में इन तैंतीस देवताओं का उल्लेख करते हैं, तो हमें ये समझने की जरुरत है कि वाल्मीकि जी ने इन देवताओं के माध्यम से न सिर्फ एक धार्मिक दृष्टिकोण दिया है, बल्कि इनकी भूमिका और शक्तियों के बारे में भी बताया है। और अब सवाल ये आता है कि अगर रामायण में तैंतीस देवताओं का उल्लेख किया गया है, तो फिर तैंतीस करोड़ देवताओं की बात क्यों की जाती है. तो इसका जवाब हमें हिंदू धर्म की व्यापकता और विविधता में मिलेगा। हिंदू धर्म में देवता केवल अदृश्य शक्ति नहीं, बल्कि जीवन के हर पहलू का प्रतीक माने गए हैं। वो  आकाश, पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, और अन्य प्राकृतिक शक्तियों का प्रतीक होते हैं।

हिन्दू धर्म में है गहरा महत्त्व 

इसलिए तैंतीस करोड़ देवताओं का अर्थ ये है कि हर एक देवता किसी न किसी विशेष ऊर्जा या गुण का प्रतीक है। और हिंदू धर्म की इस विशिष्टता को समझना आसान नहीं है। क्यूंकि तैंतीस करोड़ देवताओं की मान्यता और रामायण के अरण्यकांड के तैंतीस देवताओं के संबंध को समझने के लिए हमें इस धर्म की गहरी आध्यात्मिकता और संस्कृति को समझना होगा। और यही कारण है कि हिंदू धर्म में इन देवी-देवताओं का महत्व हमेशा अत्यधिक रहा है और ये हमारे जीवन के हर पहलू में ये आशीर्वाद देने वाले हैं। तो उम्मीद है की आपको भी आपका जवाब मिल गया होगा। की आखिर हिन्दू धर्म में 33 करोड़ देवताओं का वर्णन क्यों है.