Kinner Ke Bare Me Jankari In Hindi : किन्नरों की उत्पत्ति कैसे हुई?

Kinnar Ka Humare Jeevan Me Mahatva
 

Kinnar Ka Diya Hua Sikka

किन्नर किसका रूप होता है?

Kinnar Ki Shuruat Kahan Se Hui?

किन्नर, समाज का एक ऐसा हिस्सा हैं. जिनसे न तो हम उनसे जुड़ना चाहते हैं और न ही उनके बारे में बात करना चाहते हैं.... इसीलिए किन्नर, समाज का तीसरा वर्ग माना जाता है। लेकिन कभी आपने सोचा है की जब इनकी रचना भी भगवान ने ही की है तो फिर हम उनसे इतना भेदभाव क्यों रखते हैं.... तो आज हम आपको किन्नरों के महत्त्व के बारे में बताते हैं साथ ही ये भी बात करेंगे की उनकी रचना कहाँ से हुई.... 

किन्नर की शुरुआत कैसे हुई?

देखिये जब से दुनिया बनी है न, तब से इस सृष्टि में किन्नर मौजूद हैं, जिसका उल्लेख पुराणों और पौराणिक कथाओं में किया गया है। शिव पुराण में भी जिक्र किया गया है  कि सृष्टि के आरंभ में ब्रह्मा जी ने अपनी योग शक्ति से पुरुषों को उत्पन्न किया। योग द्वारा मनुष्यों और जीवों को उत्पन्न करने में काफी समय लग रहा था, ऐसे में ब्रह्मा जी के निवेदन पर भगवान शिव ने अपने शरीर के आधे अंग से एक स्त्री को उत्पन्न किया और शिव अर्धनारीश्वर रूप में प्रकट हुए।

अर्धनारीश्वर रूप में भगवान शिव, न पूर्ण रूप से पुरुष थे और न पूर्ण स्त्री। अर्धनारीश्वर रूप से जहां सृष्टि में स्त्री रूप का सृजन हुआ, और वहीं किन्नर की भी परिकल्पना हुई। इसलिए भगवान शिव ही किन्नरोंं को सृष्टि में लाने वाले माने जाते हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार बुध ग्रह नपुंसक माना जाता है, इसलिए किन्नरों में बुध ग्रह का वास माना गया है। यही वजह है कि बुध ग्रह को अनुकूल बनाने के लिए किन्नरोंं का ज्योतिषशास्त्र में काफी महत्व बताया गया है। और  बुध ग्रह के दोषों को दूर करने का उपाय भी किन्नरों से ही संबंधित है। ज्योतिष के अनुसार किन्नर, बुध ग्रह के प्रतीक होते हैं। इन्हें प्रसन्न कर बुध ग्रह को शांत किया जा सकता है। 

किन्नर से क्या लेना शुभ होता है?

इसके साथ ही हमारे समाज में किन्नरों को  मंगलमुखी भी कहा जाता है। इसीलिए  घर में कैसा भी शुभ अवसर जैसे शादी-ब्याह, जन्म या अन्य किसी भी प्रकार के शुभ कामों  में किन्नरों को सम्मान स्वरूप आमंत्रित कर इनसे आशीर्वाद लेते  हैं, किन्नरों को आपने विवाह-शादी या बच्चे के समय नाचते-गाते कई बार देखा होगा। यह घर की खुशियों में शामिल होकर बड़े रोब से बधाई मांगते हैं। लेकिन  घर में कोई भी मातम या घटना होने पर इन्हें बिल्कुल नहीं बुलाया जाता और ऐसी भी मान्यता रही है कि  कोई भी किन्नर किसी व्यक्ति को शाप दे दे तो उसका विनाश होना  सुनिश्चित है।

तो अब जानते हैं की ये किन्नर कौन होते हैं, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्मपत्री के आठवें घर में शुक्र और शनि मौजूद हों और इन्हें गुरु, चन्द्र नहीं देख रहे हों तो व्यक्ति नपुंसक हो सकता है। कुंडली में जिस घर में शुक्र बैठा है, उससे छठवें या आठवें घर में शनि है तो व्यक्ति में प्रजनन क्षमता की कमी हो सकती है। अगर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि है तो इस तरह की समस्या से बचाव होता है। जन्म के समय कुंडली में शनि छठवें या बारहवें घर में, कुंभ या मीन राशि पर हो और ऐसे में कोई शुभ ग्रह शनि को नहीं देख रहा हो तो व्यक्ति में प्रजनन क्षमता की कमी हो जाती है और व्यक्ति किन्नर हो सकता है।

किन्नर जब सिक्के देती है तो उसका क्या मतलब होता है?

ज्योतिषशास्त्र के उपायों में बताया गया है कि बुधवार के दिन अगर किन्नर दिख जाए तो उसे बुरा-भला कहकर भगाएं नहीं, बल्कि उन्हें कुछ धन जरूर दान करें। अगर किन्नर अपनी ख़ुशी से आपके दिए पैसों में से एक रूपया भी निकालकर आपको वापस कर दे तो उसे अपने पर्स में संभालकर रख लेना चाहिए। क्यूंकि ये आपकी आर्थिक उन्नति के लिए बहुत ही शुभ होता है। इसलिए कभी भी आपको किन्नर दिखें तो उनका अनादर गलती से भी ना करें। क्यूंकि उनका एक श्राप आपकी जिंदगी बदल सकता है.