माघ महीने की क्या विशेषता बताई गई है | Magh Ko Pavitra Mahina Kyu Mana Jata Hai?

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माघ का अर्थ क्या है?

Magh Ka Mahina 2024 Kab Hai?

माघ मास में किसकी पूजा करें?

माघ का महीना चल रहा है. माघ महीना पहले माध महीना था, जो बाद में माघ हो गया। "मध" शब्द श्री कृष्ण के एक रूप "माधव" से संबंधित है। यह महीना बहुत ही पवित्र माना जाता है। इस माह में कई धार्मिक त्यौहार आते हैं। साथ ही प्रकृति भी अनुकूल होने लगती है। माघ महीना 24 फरवरी तक रहेगा. इस महीने में नदी में स्नान और दान करना शुभ माना जाता है। पुराणों के अनुसार यह महीना शुभ कार्यों के लिए भी बहुत शुभ माना जाता है। इस महीने की धार्मिक परंपराएं अच्छे स्वास्थ्य की दृष्टि से भी खास हैं।

माघ का यह धार्मिक महीना सेहत के लिए भी है खास

पुराण कहते हैं कि इस माह नदियों में स्नान करना चाहिए। उगते सूर्य को जल अर्पित करें। एक समय खाना खाएं और अपने आहार में तिल को शामिल करें। तिल का दान भी करें. इन सभी परंपराओं में अच्छे स्वास्थ्य का राज छिपा है।

उगते सूर्य से विटामिन डी प्राप्त होता है

माघ माह में सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा इसलिए है क्योंकि उगते सूर्य से विटामिन डी प्राप्त होता है। माघ महीने में धूप का सेवन करने से स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं धीरे-धीरे खत्म होने लगती हैं। इस माह में सूर्य देव की पूजा को विशेष महत्व दिया गया है। इस दौरान सूर्य से निकलने वाली किरणें स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद बताई जाती हैं। इससे शरीर को विटामिन डी मिलता है। बच्चों को धूप दिखाने से उन्हें निमोनिया और ठंड से होने वाली बीमारियों से बचाया जा सकता है। वहीं, बुजुर्ग लोगों को भी कुछ देर इस धूप में बैठना चाहिए। इससे उन्हें हड्डियों से जुड़ी समस्याओं से राहत मिलती है।

माघ माह में तिल से स्वास्थ्य अच्छा रहता है

इस माह में तिल का प्रयोग सबसे अधिक किया जाता है। माघ माह में संकष्टी चतुर्थी, षटतिला एकादशी, तिल द्वादशी, अमावस्या, तिलकुंड चौथ, अजा एकादशी और पूर्णिमा। तिल के बिना ये व्रत और त्योहार अधूरे हैं। इस दिन तिल खाने और दान करने का प्रावधान है। इन तीज-त्योहारों के साथ-साथ पूरे महीने पानी में तिल डालकर स्नान करने का विधान है। इस महीने तिल खाने से आपकी सेहत अच्छी रहती है। तिल में मौजूद पौष्टिक तत्व शरीर को साल भर स्वस्थ रखते हैं।

इस माह स्नान करने से मौसमी बीमारियों से बचाव होता है

इस माह में नदियों में स्नान और तिल दान करने की परंपरा है। माघ महीने में मौसम ठंडा रहता है, लेकिन दिन भर हल्की धूप रहती है। जिसकी गर्मी नदियों में गहराई तक समा जाती है। वहीं, रात में ठंड बढ़ने से नदियों के ऊपर का पानी ठंडा हो जाता है।
इस प्रकार बहने वाली नदियों में सुबह-सुबह पानी गुनगुना रहता है। जिसमें नहाने से शरीर का तापमान बराबर रहता है। इस प्रकार नदी के जल में स्नान करने से मौसमी बीमारियाँ नहीं होती हैं।