देश के असली हीरो कौन है | Nyima Tenzin Kon Hai In Hindi Biography

भारत के सुपर हीरो कौन है | Tibetan-Indian SFF Hero Nyima Tenzin

 

Bharat Ki Gupt Sena Kaun Hai?

भारत के राष्ट्रीय हीरो कौन है?

Who Was Nyima Tenzin?


आज हम आपको एक ऐसे सैनिक के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने भारत की 'गुप्त सेना' में कई साल काम किया है... साल 2020 अगस्त का महीना था, जब भारतीय सेना के जवान भारत-चीन बॉर्डर पर देश की सुरक्षा में तैनात थे.... क्यूंकि जून 2020 में भारत और चीन के बीच गलवान घाटी में संघर्ष के बाद स्थिति बहुत गंभीर हो गई थी...  अरुणाचल प्रदेश से लेकर लद्दाख बॉर्डर तक तैनात हर भारतीय सैनिक के ज़हन में यही था कि हमें चीनी सैनिकों को धूल चटाना है!

नियामा तेनजिंग कौन है?

चीन के नापाक इरादों के ख़िलाफ़ भारत के अलावा तिब्बती लोगों में भी काफी आक्रोश था, आपको ये जानकर हैरानी होगी...  कि चीन के ख़िलाफ़ संघर्ष में तिब्बत के एक शरणार्थी ने भारतीय सेना के साथ मिलकर निडरता से चीनी सैनिकों का सामना किया। हालाँकि, इस संघर्ष में वो वीर गति को प्राप्त हो गये।  और यह वीरगाथा भारत की गुप्त सेना में तैनात तिब्बती सैनिक नीमा तेनज़िन की है.....  अब जानते हैं की आखिर क्या हुआ था 30 अगस्त की रात को, 30 अगस्त की रात लेह में तेनज़िन के भाई नामदाख तेनज़िन की आँख लगने ही वाली थी कि अचानक रात क़रीब साढ़े दस बजे उनके पास फ़ोन आया... खबर दुःखद थी! इसलिए फ़ोन के दूसरी तरफ़ से बोल रहे एक सैनिक ने केवल इतना कहा कि नीमा घायल हो गए हैं! यह सुनकर नामदाख की आँखें भर आई! डर से थिलमिला कर उन्होंने पूछा- क्या हुआ? नीमा सुरक्षित हैं ना? लेकिन फ़ोन के दूसरी तरफ़ से कोई जवाब नहीं आया और अचानक ही फ़ोन कट गया....  बीबीसी को बताये एक रिपोर्ट में नामदाख तेनज़िन कहते हैं  कि “उन्होंने मुझे ये नहीं बताया कि नीमा की मौत हो गई है. एक दोस्त ने बाद में मुझे इसकी जानकारी दी."  51 साल के नीमा तेनज़िन, भारतीय सेना की एक विशिष्ट पैराट्रूप यूनिट ‘स्पेशल फ्रंटियर फ़ोर्स’ (एस एफ़ एफ़) में , जिसमें सिर्फ़ तिब्बती सैनिक शामिल हैं, उसका हिस्सा थे! नीमा तेनज़िन भारतीय-तिब्बती गुप्त सेना में  सूबेदार थे. और लद्दाख में भारत की सीमाओं की रक्षा करते हुए वो शहीद हुए! लद्दाख के पैंगोंग त्सो झील के दक्षिणी किनारे पर भारतीय सीमा की हिफाज़त के लिए चीनी सैनिकों का सामना करते वक्त उन्होंने अपने प्राणों का बलिदान दे दिया. आपकी जानकारी के लिए बता दें की कि तेनज़िन के परिवार ने भारत की सेना में तीन दशक तक सेवा दी.... 

देश के असली हीरो कौन है?

तिब्बती शरणार्थी नीमा तेनज़िन लद्दाख के चुशूल सेक्टर में चीनी सेना को खदेड़ने के लिए भारतीय आर्मी द्वारा चलाए गए एक ऑपरेशन का हिस्सा थे! यह ख़ुफ़िया ऑपरेशन 29 व 30 अगस्त की रात को चलाया गया था! इसी दौरान सूबेदार नीमा वीरगति को प्राप्त हुए. अगली सुबह सोमवार को 7 SFF की 7 विकास बटालियन के इस जांबाज़ सैनिक को जब अंतिम विदाई दी गई! इस दौरान नीमा के पार्थिव शरीर को तिरंगे के साथ तिब्बती झंडे में लपेटा गया! साथ ही उन्हें 21 बंदूक़ों की सलामी भी दी गई.... भारतीय सेना के इस गुप्त ‘फ़ैंटम फोर्स’ ने सन 1971 के भारत-पाक युद्ध और बांग्लादेश की आज़ादी में अहम भूमिका निभाई थी! हाल ही में सन 2020 में गलवान घाटी में हुए भारत-चीन संघर्ष में भी तिब्बती सैनिकों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया था। नीमा तेनज़िन भी इस संघर्ष में चीनी सैनिकों को गलवान घाटी से पीछे खदेड़ने में सफल रहे थे! आपको बता दें कि भारतीय सेना ने नीमा तेनज़िन जैसे 3500 तिब्बती सैनिकों के योगदान को गुप्त रखा! इसके पीछे का कारण चीन की आँखों से तिब्बत की सैनिकों गतिविधियों को ओझल रखना था! लेकिन  स्पेशल फ्रंटियर फ़ोर्स में होने के कारन तेनज़िन की शहादत के बाद अब कहीं जाकर हम उन सैनिकों की बहादुरी और वीरता के बारे में पूरी तरह जान पाये हैं... 

आपको बता दें कि ‘स्पेशल फ्रंटियर फ़ोर्स’ (एसएफ़एफ़) भारत के गुप्त सेना में तैनात तिब्बती सैनिकों का एक यूनिट है! साल 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद एसएफ़एफ़ का गठन पूर्व पायलट और ओडिशा के तत्कालीन मुख्यमंत्री बीजू पटनायक, गुप्तचर ब्यूरो के निदेशक बी.एन. मलिक, अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसी सीआईए और भारतीय सेना ने मिलकर किया था। एसएफ़एफ़ में मौजूदा समय में लगभग हज़ारों की संख्या में तिब्बती शरणार्थी हैं, जो बिना अपनी सार्वजनिक पहचान के हमारे देश की सेवा कर रहे हैं....  और ऐसे जवानों को हमारा सलाम है.... बहरहाल हमे उम्मीद है की आपको भी इस स्टोरी के बाद तिब्बत के उन जवानों पर गर्व हो रहा होगा, जो हमारे देश की रक्षा करते हैं... पर आप अपने देश से कितना प्यार करते हैं हमे कमेंट करके जरूर बताइयेगा,