कहीं आप भी तो नही पी रहे दूध के नाम पर जहर

डॉ शंकर सुवन सिंह

दूध की पोषकता से खिलवाड़


डॉ. शंकर सुवन सिंह

दूध पोषकता का पर्याय है। दूध दुनिया को पोषण देता है। दूध दूषित न हो  इसका विशेष ख्याल रखना होगा। दूषित दूध, दूषित जीवन शैली का परिचायक है। दूषित दूध मात्र सफ़ेद जहर है। शुद्ध दूध अमृत है। किसी पदार्थ या भोजन की गुणवत्त्ता, उपयोग की उपयुक्तता होती है।

किसी आहार का उसके विशेष लक्षण के अनुरूप होना, भोजन की गुणवत्ता कहलाती है। दूध में 87.7% पानी,  4.9 प्रतिशत लैक्टोज़ (कार्बोहाइड्रेट ), 3.4 प्रतिशत फैट, 3.3 प्रतिशत  प्रोटीन और  0.7 प्रतिशत खनिज होता है। ये इसका विशेष लक्षण है।

यदि दूध अपने विशेष लक्षण के अनुरूप है तो वह गुणवत्तापूर्ण पोषण का प्रतीक है। आज कल देखने को मिल रहा है कि दूध में सामान्यतः पानी मिलाकर दूधिया घर घर दूध बांटता है। दूध में पानी मिलाने से दूध की मात्रा बढ़ जाती है। इसके बावजूद सामान्यतः लोगों का मानना है कि पानी मिला दूध दूषित नहीं होता है। जबकि दूध में पानी मिलाने पर दूध का फैट कम हो जाता है। वाह्य स्रोत से मिलाया गया पानी दूध को दूषित भी करता है। इससे दूध की गुणवत्ता में कमी आती है। दूध का गाढ़ापन (फैट) पानी मिलाने पर कम हो जाता है तो इसका गाढ़ापन (फैट) बढ़ाने के लिए दुग्ध उद्योग, दूध में यूरिया मिलाता है। यूरिया एक कार्बनिक यौगिक है।

इसका रंग सफेद होता है और इसका इस्तेमाल फसलों के उत्पादन में किया जाता है। यह एक गंधहीन, जहरीला और बेस्वाद रसायन (केमिकल) है। इसे दूध में मिलाने से दूध का रंग नहीं बदलता है। इसे मिलाने से दूध गाढ़ा हो जाता है। दूध में फैट की मात्रा बढ़ाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। इस रसायन (केमिकल) के कई गंभीर नुकसान हैं। यह आपकी आंतों को खराब कर सकता है और पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचाता है। यूरिया, दूध की शक्ति को क्षीण कर देता है। दूध में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने क लिए मेलामाइन नामक पदार्थ मिलाया जाता है। मेलामाइन एक प्रकार का मार्बल पत्थर का बुरादा (पाउडर) होता है। लोगों में मेलामाइन युक्त दूध पीने से से  किडनी की समस्याएं हो रही हैं।

स्टार्च दूध में पाया जाने वाला एक और आम मिलावट है। दूध का घनत्व बढ़ाने के लिए इसमें स्टार्च मिलाया जाता है। यह दूध में मिलाए गए बाहरी पानी का पता लगाने से रोकने में मदद भी करता है। यह दस्त का कारण बन सकता है। शरीर में ज्यादा स्टार्च जमा होने से डायबिटीज जैसी बीमारी का खतरा होता है। 

लेखक
डॉ. शंकर सुवन सिंह
असिस्टेंट प्रोफेसर
डेरी इंजीनियरिंग/फ़ूड साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग
सैम हिग्गिनबोटोम यूनिवर्सिटी ऑफ़ एग्रीकल्चर, टेक्नोलॉजी एंड साइंसेज
प्रयागराज- 211007 (उत्तर प्रदेश)

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