यूपी में पशुआहार, कृत्रिम गभार्धान के क्षेत्र में खुलेंगे रोजगार के अवसर

लखनऊ, 21 सितंबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश सरकार डेयरी सेक्टर का कायाकल्प करने की योजना बना रही है। सरकार राज्य दुग्धशाला विकास एवं दुग्ध उत्पादन प्रोत्साहन नीति-2022 लाने जा रही है। इससे न केवल दूध उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि दुग्ध आधारित प्रसंस्कृत उत्पादों के उत्पादन का भी रास्ता साफ होगा। इसके अलावा, पशु आहार के क्षेत्र में भी उछाल आएगा।
यूपी में पशुआहार, कृत्रिम गभार्धान के क्षेत्र में खुलेंगे रोजगार के अवसर
यूपी में पशुआहार, कृत्रिम गभार्धान के क्षेत्र में खुलेंगे रोजगार के अवसर लखनऊ, 21 सितंबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश सरकार डेयरी सेक्टर का कायाकल्प करने की योजना बना रही है। सरकार राज्य दुग्धशाला विकास एवं दुग्ध उत्पादन प्रोत्साहन नीति-2022 लाने जा रही है। इससे न केवल दूध उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि दुग्ध आधारित प्रसंस्कृत उत्पादों के उत्पादन का भी रास्ता साफ होगा। इसके अलावा, पशु आहार के क्षेत्र में भी उछाल आएगा।

यह नीति अन्ना प्रथा पर रोक लगाने में भी मददगार बनेगी। पशुआहार, कृत्रिम गभार्धान के क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी खुलेंगे।

दूध के वाजिब दाम मिलने पर लोग बेहतर प्रजाति के गोवंश रखेंगे। ये लंबे समय तक पूरी क्षमता से दूध दें, इसके लिए संतुलित एवं पोषक पशुआहार देंगे। इस तरह पशु आहार में प्रयुक्त चोकर, चुन्नी, खंडा, खली की मांग बढ़ेगी।

सरकार की ओर से मिली जानकारी के अनुसार संतुलित एवं पोषक आहार की मांग बढ़ने से इस तरह की इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही इनको बनाने के लिए कृषि उत्पादों की मांग का लाभ किसानों को मिलेगा। प्रस्तावित नीति में इसी लिए पशुआहार निर्माणशाला पर सरकार ने कई तरह की रियायतों एवं अनुदान का जिक्र किया है।

इस समय पशुपालन क्षेत्र की सबसे बड़ी चुनौती अनियोजित प्रजनन के कारण मिश्रित नस्ल के पशु खासकर गोवंश हैं। ऐसी नस्लों की दूध देने की क्षमता कम होती है। लिहाजा, दूध लेने के बाद लोग इनको पशुपालक छोड़ देते हैं। सूखे के समय (जिस समय दूध नहीं देतीं) तो उनको पूरी तरह छोड़ दिया जाता है। खेतीबाड़ी में बैलों का प्रयोग न होने से बछड़े तो छोड़ ही दिए जाते हैं। इस तरह छुट्टा पशु किसानों के लिए एक बड़ी समस्या बन जाते हैं।

दूध के लिए अच्छी नस्ल के बेहतर प्रजाति के गोवंश रखने पर पशुपालक इनकी नस्ल पर ध्यान देंगे। ऐसे में कृत्रिम गभार्धान (आर्टिफिशियल इंसिमेशन/एआई) की संख्या बढ़ेगी। इससे नस्ल में क्रमश: सुधार होता जाएगा। यही नहीं, कुछ पशुपालक एआई की अत्याधुनिक तकनीक सेक्स सॉर्टेड सीमेन वर्गीकृत वीर्य का भी सहारा लेंगे।

पशु विशेषज्ञों की मानें तो जिन गायों की एआई होती है, उनके द्वारा बछिया जनने की संभावना 90 फीसद से अधिक होती है। इस तरह पैदा होने वाली अच्छी प्रजाति की बछिया को किसान सहेजकर रखेंगे। यही नहीं, इस विधा से पैदा होने वाले बछड़े भी बेहतर प्रजाति के होंगे। इनकी भी सीमेन के लिए अच्छे दामों पर मांग होगी। इस तरह धीरे-धीरे सही उत्तर प्रदेश दुग्धशाला विकास एवं दुग्ध उत्पादन प्रोत्साहन नीति अन्ना प्रथा के नियंत्रण में भी मददगार होगी।

इस क्रम में पशु आहार निर्माणशाला इकाई की स्थापना पर प्लांट मशीनरी एवं स्पेयर पार्ट्स और तकनीकी सिविल कार्य के लिए ऋण पर देय ब्याज की दर का 5 प्रतिशत ब्याज उपादान (प्रतिवर्ष अधिकतम 150 लाख रुपये की धनराशि तक) एवं अधिकतम 750 लाख रुपये की धनराशि की सीमा (कुल 5 वर्ष की अवधि में) तक ही अनुमन्यता होगी।

उल्लेखनीय है कि पशुआहार के मुख्य तžव कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, विटामिन तथा खनिज लवण होते हैं। डेयरी पशु शाकाहारी होते हैं अत: ये सभी तत्व उन्हें पेड़ पौधों से, हरे चारे या सूखे चारे अथवा दाने से प्राप्त होते हैं। इन पशु आहारों में प्रमुख रूप से मक्का, जौ, जई का प्रयोग होता है। इसके अलावा क्षेत्र की उपलब्धता के आधार पर बिनोले सरसों या मूंगफली की खली, गेहूं का चोकर, दाल का चूरा और साधारण नमक आदि का प्रयोग होता है। अमूमन ये वो उत्पाद होते हैं जो इन अनाजों की ग्रेडिंग के बाद बचते हैं। इस तरह इनकी ग्रेडिंग, पैकिंग, ट्रांर्पोटेशन, लोडिंग एवं अनलोडिंग के क्षेत्र में भी रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।

--आईएएनएस

विकेटी/एसजीके

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