सार्वजनिक क्षेत्र के बीमाकर्ताओं के पास उचित सत्यापन का अभाव, कई जगह हुई चूक: कैग

नई दिल्ली, 5 अगस्त (आईएएनएस)। सार्वजनिक क्षेत्र की स्वास्थ्य बीमा कंपनियों के पास उचित सत्यापन जांच और नियंत्रण का अभाव है, जिसके परिणामस्वरूप कई चूक हुई हैं, जिनमें दावों का एकाधिक निपटान, बीमा राशि से अधिक भुगतान, स्वीकार्य दावा राशि का गलत मूल्यांकन, प्रत्यारोपण और अन्य पर अनियमित भुगतान शामिल हैं।
सार्वजनिक क्षेत्र के बीमाकर्ताओं के पास उचित सत्यापन का अभाव, कई जगह हुई चूक: कैग
सार्वजनिक क्षेत्र के बीमाकर्ताओं के पास उचित सत्यापन का अभाव, कई जगह हुई चूक: कैग नई दिल्ली, 5 अगस्त (आईएएनएस)। सार्वजनिक क्षेत्र की स्वास्थ्य बीमा कंपनियों के पास उचित सत्यापन जांच और नियंत्रण का अभाव है, जिसके परिणामस्वरूप कई चूक हुई हैं, जिनमें दावों का एकाधिक निपटान, बीमा राशि से अधिक भुगतान, स्वीकार्य दावा राशि का गलत मूल्यांकन, प्रत्यारोपण और अन्य पर अनियमित भुगतान शामिल हैं।

संसद में शुक्रवार को पेश सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों के स्वास्थ्य बीमा कारोबार में तीसरे पक्ष के प्रशासकों पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की ऑडिट रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।

भारत में 32 सामान्य बीमा कंपनियां स्वास्थ्य बीमा कारोबार कर रही हैं। इनमें से चार सार्वजनिक क्षेत्र की सामान्य बीमा कंपनियां (पीएसयू बीमाकर्ता) हैं, जिनमें द न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (एनआईएसीएल), यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (यूआईआईसीएल), द ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (ओआईसीएल) और नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (एनआईसीएल) शामिल हैं।

लेखापरीक्षा (ऑडिट) द्वारा डेटा विश्लेषण से पता चला कि एनआईएसीएल और यूआईआईसीएल ने अलग-अलग तिथियों पर एक से अधिक बार दावों का निपटारा किया है, हालांकि पॉलिसी नंबर, बीमित नाम, लाभार्थी का नाम, अस्पताल में भर्ती होने की तारीख, बीमारी कोड, अस्पताल का नाम और बीमारी समान थी।

जैसा कि डेटाबेस से देखा गया है, ऑडिट ने एनआईएसीएल में एकाधिक यानी मल्टीपल सैटलमेंट के 792 मामलों (4.93 करोड़ रुपये) और यूआईआईसीएल में कई सैटलमेंट के 12,532 मामलों (8.60 करोड़ रुपये) को इंगित किया।

इसके अलावा, एनआईएसीएल में ऑडिट के दौरान देखा गया कि पॉलिसीधारकों के लिए निपटाए गए दावे 139 खुदरा दावों (रिटेल क्लेम) में बीमा राशि और संचयी बोनस से अधिक हो गए, जो 33 लाख रुपये के अधिक भुगतान को दर्शाता है।

ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि यूआईआईसीएल में, भुगतान किया गया दावा 2,223 दावों में बीमा राशि से अधिक था, जिसमें 36.13 करोड़ रुपये शामिल थे, जिसमें समूह के दावे शामिल थे। समूह पॉलिसियों के लिए, कॉर्पोरेट बफर के माध्यम से बीमा राशि पर इस तरह के अधिक भुगतान के लिए पॉलिसी में प्रावधान है। हालांकि, दावा प्रसंस्करण शीट/सत्यापित नोट में बफर के उपयोग या बफर और उपयोग आदि के उपलब्ध शेष का संकेत नहीं दिया गया था।

रिपोर्ट में कहा गया है कि टीपीए को सर्विस लेवल एग्रीमेंट के अनुसार दावों की अनिवार्य जांच करने की जरूरत है, लेकिन एनआईएसीएल, यूआईआईसीएल और ओआईसीएल में 2,735 सैंपल दावों में से 562 दावों (40.46 करोड़ रुपये में) में जांच रिपोर्ट शामिल नहीं है।

लेखापरीक्षा रिपोर्ट ने इंगित किया कि आंतरिक लेखापरीक्षा/स्वास्थ्य लेखापरीक्षा के लिए प्रणालियां और प्रक्रियाएं अपर्याप्त थीं और किए गए लेखापरीक्षा की संख्या लक्ष्य के निर्धारित/निपटाए गए दावों की कुल संख्या की तुलना में नगण्य थी।

ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2019 को समाप्त तीन वित्तीय वर्षों के दौरान, टीपीए द्वारा संसाधित दावों के 659 ऑडिट पीएसयू बीमाकर्ताओं द्वारा गठित स्वास्थ्य ऑडिट टीमों द्वारा किए गए थे और 14.30 करोड़ रुपये की वसूली की ओर इशारा किया गया था, हालांकि, पीएसयू बीमाकर्ताओं ने अब तक केवल 6.06 करोड़ रुपये की वसूली की है।

इसके अलावा यह भी सामने आया है कि सभी चार पीएसयू बीमाकर्ताओं ने 2016-17 से 2020-21 तक सभी पांच वर्षों में स्वास्थ्य बीमा पोर्टफोलियो में घाटा उठाया है।

2016-17 से 2020-21 के दौरान चार पीएसयू बीमा कंपनियों का कुल नुकसान 26,364 करोड़ रुपये दर्ज किया गया है।

--आईएएनएस

एकेके/आरएचए

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