हिमाचल मुर्रा भैंस प्रजनन फार्म करेगा स्थापित

शिमला, 10 अक्टूबर (आईएएनएस)। हिमाचल प्रदेश सरकार डेयरी विस्तार सेवाओं के लिए 506.45 लाख रुपये खर्च कर केंद्रीय वित्त पोषित मुर्रा भैंस फार्म स्थापित करेगी। राज्य के पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने रविवार ने यह जानकारी दी।
हिमाचल मुर्रा भैंस प्रजनन फार्म करेगा स्थापित
हिमाचल मुर्रा भैंस प्रजनन फार्म करेगा स्थापित शिमला, 10 अक्टूबर (आईएएनएस)। हिमाचल प्रदेश सरकार डेयरी विस्तार सेवाओं के लिए 506.45 लाख रुपये खर्च कर केंद्रीय वित्त पोषित मुर्रा भैंस फार्म स्थापित करेगी। राज्य के पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने रविवार ने यह जानकारी दी।

मुर्रा भैंस की रोगमुक्त देसी नस्ल को बढ़ावा देकर हिमाचल प्रदेश तथा पड़ोसी राज्यों को उच्च गुणवत्ता के दूध, पनीर आदि पौष्टिक डायरी उत्पाद मुहैया करवाए जा सकें। यह प्रजनन केंद्र 4 हैक्टेयर क्षेत्र में विकसित सिंचित उपजाऊ भूमि में हिमाचल प्रदेश लाईवस्टॉक व पोल्ट्री विकास बोर्ड के तत्वाधान में संचालित किया जाएगा।

मुर्रा भैंस कई डेयरी किसानों की पहली पसंद है।

देशी मुर्रा नस्ल, जिसे राष्ट्रीय स्तर पर करनाल में राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो द्वारा स्वदेशी के रूप में मान्यता प्राप्त है और राज्य में कुल 6,46,565 भैंस आबादी में से 3,59,979 (55 प्रतिशत) आंकी गई है।

इस प्रजनन फार्म में राज्य सरकार 50 रोगमुक्त भैसों (50 व्यस्क व 20 बछिया) के पालन के लिए 75 लाख रुपये की लागत से अति-आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित तीन शेड स्थापित लगाएगी।

विशिष्ट स्वास्थ्य एवं रोगमुक्त नस्ल की पहले या दूसरे दुग्धपायन की 30 व्यस्क भैसों तथा 20 बछड़ों को 36 लाख रुपये की लागत से दो बैचों में सरकारी फार्म/निजी फार्म या किसानों से सीधे तौर पर खरीदा जाएगा।

कंवर ने कहा कि राज्य सरकार हट्ठेकट्ठे निरोगी मुर्रा सांडों के उच्च गुणवत्ता के शुक्राणुओं को राज्य में किसानों के कृत्रिम गर्भाधान के लिए प्रदान करेगी तथा सरप्लस शुक्राणुओं को पंजाब, हरियाणा, दिल्ली तथा उत्तर प्रदेश के किसानों को उपलब्ध करवाया जाएगा, ताकि इन राज्यों उच्च गुणवत्ता के शुक्राणुओं की बढ़ती हुई मांग को पूरा किया जा सके व क्षेत्र में पौष्टिक और स्वास्थ्य के लिए हितकर दूध उत्पादन को बढ़ावा मिल सके।

मुर्रा भैंस फार्म वैज्ञानिक अपशिष्ट प्रबंधन और वर्षा जल संचयन सुविधाओं और एक चारा फार्म से लैस होगा।

पशुओं के पालन की लागत को कम करने के लिए 15 लाख रुपये की लागत से चारा उत्पादन किया जाएगा, ताकि परियोजना को आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनाया जा सके और गोबर को हरे चारे की खेती के लिए जैविक खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सके।

--आईएएनएस

एचके/एसजीके

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