तीन महिला मीडिया कर्मचारियों की दिन दहाड़े हत्या, दहशत में लोग

तीन महिला मीडिया कर्मचारियों की दिन दहाड़े हत्या, दहशत में लोग

अफगानिस्तान में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। यहां जलालाबाद में एक स्थानीय रेडियो और टीवी स्टेशन में काम करने वाली युवतियों की सरेआम कत्ल कर दिया गया है। इन तीनों युवतियों के नाम मुर्सल वाहिदी, सादिया सदत और शहनाज है। तीनों की उम्र 18 से 20 साल के आसपास बताई जा रही है। आईएसआईएस ने इस हत्याओं की जिम्मेदारी ली है। जानकारी के मुताबिक, तीनों युवतियां एनिकेस टीवी स्टेशन से अपना काम खत्म करके घर वापस जा रही थीं इसी दौरान उन पर अटैक किया गया।

हत्यारा किया गया गिरफ्तार

अफगानिस्तान प्रशासन ने बताया कि इस घटना को अंजाम देने वाले हत्यारे को गिरफ्तार कर लिया गया है, जिसका नाम कारी बसर है। कारी बसर को तालिबान का सदस्य बताया जा रहा है। हालांकि तालिबान के प्रवक्ता जबीदुल्ला ने दावा किया है कि युवतियों को हत्यारे कारी बसर का तालिबान से कोई लेना-देना नहीं है। वहीं आईएसआईएस का इस मामले में कहना है कि, इन युवतियों को इसलिए मारा गया क्योंकि वे एक ऐसे मीडिया स्टेशन के साथ काम कर रही थी जो 'धर्मभ्रष्ट' अफगानिस्तान सरकार के इशारों पर चलता है।

परिजनों ने क्या कहा?

इस मामले में मोहम्मद नजीफ ने कहा कि उनकी कजिन सादिया महज 18 साल की थी और वह पिछले एक साल से इस टीवी स्टेशन में जॉब कर अपनी फैमिली को सपोर्ट कर रही थी। सादिया के टीवी स्टेशन में जॉब करने पर परिवार बहुत खुश था। उन्होंने बताया कि उसे किसी संगठन से कोई चोतावनी नहीं आई थी और उसे मार दिया गया। मुझे नहीं पता कि ये आतंकवादी मासूम बच्चियों का शिकार क्यों करते हैं।

राष्ट्रपति अशरफ गनी ने की कड़ी निंदा

वहीं इस घटना की अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा है कि इन बेगुनाह युवतियों पर जानलेवा हमले न सिर्फ इस्लाम बल्कि अफगानिस्तान की संस्कृति और शांति के खिलाफ भी है। वहीं विवादित टीवी स्टेशन के न्यूज एडिटर का कहना है कि मारी गई तीनों युवतियां बेहद लोकप्रिय थीं। वे अक्सर भारत और तुर्की के भावुकता से भरे सीरियल्स को अफगानिस्तान की लोकल भाषा में डब कर लोगों के सामने पेश करती थीं।

पिछले छह महीनों में हो चुकी हैं 15 मीडियाकर्मियों की हत्याएं

आपको बता दें, अफगानिस्तान में पिछले छह महीनों में 15 मीडियाकर्मियों की हत्याएं की जा चुकी हैं। अफगानिस्तान कई सालों से मीडिया कर्मचारियों के लिए सबसे असुरक्षित देश के तौर पर सामने आ रहा है।

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