उपराष्ट्रपति ने एफआरसीसीई की समुद्री व्याख्या इकाई का उद्घाटन किया
इस दौरान उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम अपने ग्रह के स्वास्थ्य में वांछित बदलाव लाने के लिए आवश्यक संशोधन करें।
समुद्री पर्यावरण पर ज्ञान के प्रसार और तटीय क्षेत्र में निवास कर रहे समुदायों के साथ काम करने के लिए समुद्री व्याख्या इकाई की स्थापना की गई है। यह केंद्र अपने संपूर्ण परिप्रेक्ष्य में समुद्री जल के अंतर्गत इमारती लकड़ी संरक्षण पर अनुसंधान के लिए देश में अकेला प्रतिष्ठान है।
इस मौके पर नायडु, जो विशाखापत्तनम की चार दिवसीय यात्रा पर हैं, ने कहा कि उन्हें खुशी है कि एफआरसीसीई पूर्वी और पश्चिमी तट के मैंग्रोव और तटीय इकोसिस्टम के संबंध में वन जैव विविधता और वन आनुवंशिक संसाधन के प्रबंधन पर अनुसंधान कर रहा है।
उन्होंने कहा, मैंग्रोव इकोसिस्टम के साथ-साथ पूर्वी घाट की जैव विविधता पर उनका शोध कार्य पारिस्थितिक क्षरण और जलवायु परिवर्तन के इस काल में और अधिक महत्वपूर्ण है।
यह दोहराते हुए कि विज्ञान का अंतिम उद्देश्य खुशी लाना और लोगों के जीवन को बेहतर बनाना है, उपराष्ट्रपति ने तटीय समुदायों को लाभ पहुंचाने के लिए केंद्र के प्रयासों की सराहना की।
उन्होंने गरीबी को कम करने के उपाय के रूप में केंद्र द्वारा आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के मछुआरों को क्षरण योग्य या खराब हो सकने वाली लकड़ी से बने 100 परिरक्षक-उपचारित कटमरैन के वितरण पर भी प्रसन्नता व्यक्त की।
--आईएएनएस
एकेके/एएनएम