शिक्षा मंत्रालय के बाहर एसएफआई छात्रों का विरोध
एसएफआई दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सुमित कटारिया और राज्य समिति सदस्य यशिता सिंह के एक प्रतिनिधिमंडल द्वारा शिक्षा मंत्रालय को एक ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें अधिकारियों से छात्र समुदाय, शिक्षकों और सभी सही हितधारकों की मांगों पर ध्यान देने की अपील की गई है।
विरोध प्रदर्शन में दिल्ली विश्वविद्यालय, अम्बेडकर विश्वविद्यालय, जेएनयू आदि के छात्र शामिल हुए। मंत्रालय के बाहर सड़क पर सभा को एसएफआई छात्रों ने संबोधित किया। इन छात्रों ने कहा कि शिक्षा को नुकसान पहुंचाने के प्रयासों का विरोध करने और इसके महत्व को रेखांकित किया जाएगा।
छात्रों का आरोप है कि बामा, महाश्वेता देवी और सुकीरथरानी जैसे दलित साहित्य को पाठ्यक्रम से जानबूझकर हटाया जा रहा है। प्र्दशनकारी छात्रों ने कहा कि इन लेखकों के काम बेहद महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे जाति और लिंग उत्पीड़न को चुनौती देते हैं।
एसएफआई दिल्ली राज्य समिति के सचिव प्रीतीश मेनन ने कहा कि छात्र समुदाय के प्रति शत्रुतापूर्ण हो रही है। एनईपी 2020 की शुरूआत की गई है जो भारतीय शिक्षा प्रणाली के लिए हितकारी नहीं है। यह न केवल निजीकरण को तेज करता है बल्कि देश में ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने का प्रयास करता है। जबकि 10 फीसदी से भी कम छात्रों के पास डिजिटल बुनियादी ढांचे तक पहुंच है।
इन छात्रों ने एफवाईयूपी को भी खतरनाक बताया है। इन छात्रों के मुताबिक यह नीति पूरी तरह से छात्र विरोधी, गरीब विरोधी नीति है।
--आईएएनएस
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